आईएएस 2015 के टॉपर सिद्धार्थ जैन जोकि आईआईटी रुड़की से एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं, ने अपने दूसरे प्रयास में ही प्रतिष्ठित यूपीएससी आईएएस परीक्षा 2015 में 13 वीं रैंक हासिल किया है. सिद्धार्थ, जिनके पिता एक चार्टर्ड अकाउंटेंट है और माँ एक गृहणी है, साधारण पहनावा और भेष-भूषा के बावजूद एक अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी है. जीवन की कठिन परिस्थितियों के साथ लड़ने के लिए वह हर पल तैयार रहते है और इस संबंध में कहते हैं कि-“ बुरे दौर और प्रतिकूल परिस्थितियों के साथ लड़ना ही जीवन है और इसमें उन्हें आनंद आता है.”
जीवन और अखिल भारतीय सेवा के प्रति उनका नजरिया बेहद ही उत्साहवर्धक रहा है जोकि उनके व्यक्तित्व की पहचान भी है. इसके अतिरिक्त वह दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा उत्सुक रहते है और अपनी सफलता का श्रेय अपने दोस्तों को ही देते है. दोस्तों के बारे में अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए वह कहते हैं कि-“जीवन के लिए मित्र बहुत महत्वपूर्ण हैं और खासकर आईएएस परीक्षा के तैयारी के दौरान होने वाले दबाव से उबरने में वो काफी मदद भी करते हैं.”
ग्रुप डिस्कशन में सिद्धार्थ हमेशा से विश्वास रखते है साथ ही वह मनुष्य की ऑडियो विजुअल मेमोरी के गुणों में भी भरोसा करते है. उनके मुताबिक "ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है" आज भी उतना ही प्रासंगिक है और इसमें उनका पूरा विश्वास है. इस सवाल के जवाब में कि अखिल भारतीय सेवाओं में भ्रष्टाचार धीरे-धीरे बढती जा रही है, सिद्धार्थ अपने शिक्षक की उन पंक्तियों को याद करते हैं कि-“ जिला का राजा बनने जा रहे हो, भिखारी की तरह हाथ नहीं फैलाना.”
शौक एवं रुचियां
सिद्धार्थ कहते है की प्रतिदिन कोई ना कोई खेल में खुद को व्यस्त रखना आवश्यक है साथ ही खुद को शांत रखने के लिए विपश्यना के अभ्यास पर भी वह बल देते है. विपश्यना से वह अच्छी तरह से प्रशिक्षित है और दबावों से पार पाने में इसके महत्त्व से भी वह भली भांति परिचित है. अध्ययन के दौरान अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए वह ‘ध्यान और इसके महत्त्व’ का भी उल्लेख करना नहीं भूलते है.
आईएएस परीक्षा की तैयारी
अपनी तैयारी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 2012 में अपने बीटेक के तीसरे वर्ष के दौरान ही आरंभ कर दी थी. आईआईटी में पढ़ाई के दौरान ही सिद्धार्थ को अपने दोस्तों के साथ परिचर्या में समाज में बदलाव लाने की प्रेरणा मिली.
2014 में अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने सामान्य अध्ययन और वैकल्पिक विषय में अच्छे अंक हासिल किये लेकिन निबंध में औसत से भी नीचे अंक प्राप्त होने के कारण वह यूपीएससी आईएएस परीक्षा 2014 में चयनित उम्मीदवारों की अंतिम सूची में स्थान नहीं बना सके.
इसके बाद उन्होंने सामान्य अध्ययन के सभी पेपर को सामान महत्व दिया. उनका कहना था कि छात्रों को सामान्य अध्ययन के सभी प्रश्न पत्रों के बीच संतुलन बनाये रखना चाहिए क्योंकि सभी बराबर अंक के होते है. अपने तैयारी के दौरान उन्होंने अध्ययन के विभिन्न तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया और उपलब्ध ऑनलाइन अध्ययन सामग्री को उतना ही महत्त्व दिया. उन्होंने परीक्षा के वातावरण में ही मोक टेस्ट पेपर देने और उसे हल के अभ्यास पर भी बल दिया. उनका कहना है कि परीक्षा के जैसे वातावरण में मोक टेस्ट पेपर हल करने से आपका मस्तिष्क वास्तविक परीक्षा के लिए बेहतर रूप से प्रशिक्षित हो जाता है.
आईएएस उम्मीदवारों के लिए संदेश
सिद्धार्थ का कहना है की आईएएस परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों को समाचार पत्र और मासिक पत्रिकाओं का अध्ययन उनकी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए. समाचार पत्र या पत्रिका में विभिन्न लेखों को पढ़ते समय उम्मीदवारों को उन मुद्दों के विभिन्न आयामों और उनसे जुडी हुई सरकारी नीतियों का आत्म-विश्लेषण करना चाहिए. साथ ही समाचार पत्रों और अन्य लेखों से जरुरी पॉइंट्स को नोट करना भी आपके तैयारी का हिस्सा होना चाहिए. इस दौरान वह सॉफ्ट नोट्स बनाने को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि उसे भविष्य के लिए संशोधित करना आसान और सहज होता है.
उन्होंने कहा कि उम्मीदवारों को भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा के उभरते पैटर्न का सामना करने के लिए खुद के अन्दर विश्लेषणात्मक कौशल विकसित करना भी आवश्यक है.
सिद्धार्थ जैन की अंतिम मार्कशीट | |
सामान्य अध्ययन-I | 103 |
सामान्य अध्ययन-II | 82 |
सामान्य अध्ययन-III | 97 |
सामान्य अध्ययन-IV | 99 |
वैकल्पिक विषय गणित पेपर-I | 114 |
वैकल्पिक विषय गणित पेपर-I | 154 |
निबंध पेपर | 142 |
साक्षात्कार | 187 |
कुल | 978 |
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