ओबीसी क्रीमी लेयर मुद्दे ने एक बार फिर अशांति का माहौल उत्पन्न कर दिया है. कुल 120 आईएएस परीक्षा(यूपीएससी सीएसई 2015) में सफल उम्मीदवार कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के हाल के निर्णय का शिकार हो अयोग्य घोषित होने के कगार पर हैं.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने ओबीसी के लिए क्रीमीलेयर बंद कर दिया है. इस फैसले ने सरकार नौकरी पाने की तैयारी में लगे उम्मीदवारों के बीच हडकंप मचा दिया है. सरकार के इस निर्णय से सिविल सर्विस परीक्षा 2015 में सफल उम्मीदवार सबसे ज्यादा प्रभावित होंगें.
क्रीमी लेयर से ओबीसी कोटा हटाने के इस निर्णय को सिविल सर्विस परीक्षा 2015 में सफल उम्मीदवार के लिए भी लागू कर दिया गया है. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के इस निर्णय को अमल में लाते हुए संघ लोक सेवा आयोग ने ओबीसी कोटे के तहत दावेदार बहुत उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित कर दिया है. कुल 1078 सफल उम्मीदवारों में से केवल 902 उम्मीदवारों को ही आयोग ने सेवा पद आवन्टन किया है.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अपने ताजा निर्णय में अन्य पिछड़ा वर्ग को क्रीमी लेयर के कोटे का लाभ लेने से वंचित कर दिया है. नॉन-क्रीमी लेयर का लाभ केवल उन्ही उम्मीदवारों को मिलेगा जो आय निर्धारित आय मापदंड को पूरा करते हों.
अन्य पिछड़ा वर्ग के दर्जे के पुनर्वर्गीकरण किये जाने से बहुत उम्मीदवारों का सपना चूर-चूर हो जायेगा. यूपीएससी में सफल उम्मीदवार कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के इस फैसले से आहत है, जिसके तहत उनके दर्जे को सामान्य श्रेणी के तहत परिभाषित कर उन्हें क्रीमी-लेयर का लाभ लेने से वंचित कर दिया गया है. हालाँकि इस बाबत कोई अधिकारिक सूचना जारी नही की गयी है परन्तु टेलीफ़ोन के द्वारा उम्मीदवारों को सूचित कर दिया गया है कि उनकी उम्मीदवारी को अभिभावक के सरकारी नौकरी और सालाना आय 6 लाख से अधिक होने के कारण सामान्य श्रेणी के तहत रखा गया है
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के इस फैसले को अनुचित बताते हुए निर्णय से प्रभावित ओबीसी उम्मीदवारों ने इस फैसले के विरोध में हड़ताल करने और न्यायालय में जाने का निर्णय लिया है. उल्लेखनीय है कि ओबीसी कोटा को यूपीए सरकार द्वारा 1993 में लागू किया गया था. इसके बाद क्रीमी-लेयर का प्रावधान किया गया ताकि गरीब अन्य पिछड़ा वर्ग को समृद्ध अन्य पिछड़ा वर्ग से अलग किया जा सके.
परिस्थिति में और ज्यादा गड़बड़ी आने वाली है, क्योंकि सरकार ओबीसी क्रीमी-लेयर के सालान आय को 8 लाख 50 हजार से ज्यादा करने जा रही है. यह फैसला जाट, पाटीदार एवं अन्य जाति द्वारा ओबीसी श्रेणी में शामिल होने के लिए कर रहे आन्दोलन को और हवा देगी.
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