हमारे देश भारत में साइंस को अन्य सभी एकेडमिक विषयों में सबसे ज्यादा महत्त्व दिया जाता है. अधिकतर स्टूडेंट्स और उनके पेरेंट्स इंजीनियर या डॉक्टर के पेशे को ही अच्छा समझते हैं. इसलिए, कई स्टूडेंट्स अपने पेरेंट्स के प्रेशर के कारण साइंस स्ट्रीम से पढ़ाई तो कर लेते हैं लेकिन उनके जीवन का सपना डॉक्टर या इंजीनियर बनना नहीं होता है. हालांकि, डॉक्टर और इंजीनियर के पेशे के अलावा उन्हें कोई अन्य ऑप्शन समझ में नहीं आता और अधिकतर साइंस स्टूडेंट्स कन्फ्यूजन में ही इन विषयों को पढ़ते रहते हैं. दरअसल, साइंस का सिलेबस तथा फील्ड बहुत ज्यादा व्यापक है और इसकी बारीकियों को समझने पर, आपको कई ऐसी फ़ील्ड्स मिलेंगी जिनका हमारे रोज़मर्रा के जीवन में बहुत ज्यादा उपयोग होता है. आप अपने स्टडी और करियर लाइन में आगे बढ़ने के लिए इनमें से किसी भी एक फील्ड में कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं. 12वीं पास साइंस स्टूडेंट्स के लिए नीचे कुछ ऐसे ही कोर्सेज का विवरण दिया जा रहा है. आइये आगे पढ़ें यह आर्टिकल:

नैनो-टेक्नोलॉजी
नैनो टेक्नोलॉजी के अंतर्गत प्रैक्टिकल साइंस के क्षेत्र में प्रयोग किये जाने वाले 1 से 100 नैनो अर्थात 10-9 मीटर स्केल में प्रयोग की जाने वाली तथा अध्ययन की जानेवाली सभी टेक्नीक्स का अध्ययन किया जाता है. इस फील्ड में बहुत ज्यादा ग्रोथ की संभावना है. 12वीं के बाद नैनो टेक्नोलॉजी में बीएससी या बीटेक और उसके बाद इसी सब्जेक्ट में एमएससी या एमटेक करके इस फील्ड में पसंदीदा करियर बनाया जा सकता है. एक अनुमान के अनुसार इस फील्ड में लगभग 10 लाख प्रोफेशनल्स की जरुरत है.ग्लोबल इनफॉर्मेशन इंक की रिसर्च के अनुसार 2018 के अंत तक नैनो टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री का 3.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. इसलिए इस फील्ड में भी करियर के सुनहरे अवसर मौजूद हैं
माइक्रो-बायोलॉजी
माइक्रो बायोलॉजी में माइक्रोब्स, कीटनाशक, पर्यावरण, मानवीय बीमारियों आदि में सूक्ष्म जीवों का अध्ययन किया जाता है. इस फील्ड में अपना करियर बनाने के लिए बीएससी इन लाइफ साइंस या बीएससी इन माइक्रो-बायोलॉजी कोर्स किया जा सकता है.इसके बाद मास्टर डिग्री और पीएचडी भी का ऑप्शन है. इस फील्ड में स्पेशलाइजेशन के बाद ही ज्यादा सफलता मिलती है.इससे जुड़े पैरामेडिकल, मरीन बायोलॉजी, बिहेवियरल साइंस, फिशरीज साइंस जैसे कई फील्ड्स हैं, जिनमें साइंस में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स अच्छा करियर बना सकते हैं. इतना ही नहीं माइक्रोबायलोजिस्ट के रूप में आप किसी साइंटिस्ट के साथ रिसर्च वर्क भी कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त हॉस्पिटल, लेबोरेट्री, क्लीनिक, यूनिवर्सिटीज, निजी या सरकारी क्षेत्र, फार्मास्यूटिकल, डेयरी प्रोडक्ट्स, टीचिंग, बीयर मेकिंग आदि क्षेत्रों में भी रोजगार की तलाश की जा सकती है.
एस्ट्रो-फिजिक्स
अगर ऊपर असामन में चमकते सितारे, रात की चांदनी अनायास ही आपको अपनी तरफ आकर्षित करती हैं तो आप 12 वीं साइंस स्ट्रीम से करने के बाद एस्ट्रो-फिजिक्स के क्षेत्र में एक रोमांचक और इंट्रेस्टिंग करियर बना सकते हैं. इसके लिए मुख्य रूप से यूनिवर्सिटीज या कॉलेज द्वारा दो कोर्सेज रिसर्च ओरिएंटेड प्रोग्राम (एमएस इन फिजिकल साइंस) और बैचलर्स प्रोग्राम (बीएससी इन फिजिक्स) में अपनी योग्यता तथा रूचि के अनुसार एडमिशन ले सकते हैं. रिसर्च ओरिएंटेड प्रोग्राम की अवधि 5 साल तथा बैचलर्स प्रोग्राम की अवधि 3 या 4 साल है.
वाटर साइंस
वाटर साइंस के अंतर्गत जल के निचले सतह के विषय में अध्ययन किया जाता है.इसमें हाइड्रोमिटियोरोलॉजी, हाइड्रोजियोलॉजी, ड्रेनेज बेसिन मैनेजमेंट, वॉटर क्वॉलिटी मैनेजमेंट, हाइड्रोइंफॉर्मेटिक्स जैसे विषयों पर फोकस किया जाता है. भूस्खलन,हिमस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की अनिश्चितता की वजह से इस फील्ड में रिसर्च की डिमांड हमेशा बनी रहती है और यह डिमांड कभी खत्म होने वाली नहीं है. इसलिए यह भी छात्रों के लिए एक बढ़िया ऑप्शन है.
रोबोटिक साइंस
आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस के विस्तार के कारण आजकल ज्यादातर कंपनियों तथा संस्थानों में रोबोटिक्स की मांग भी बढ़ी है.इसका प्रयोग लगभग सभी क्षेत्रों में होने लगा है. हार्ट सर्जरी,लैंडमाइंस तथा कार असेम्बलिंग आदि में इसका प्रयोग दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा है. इसीलिए रोबोटिक साइंस का फील्ड लोगों के बीच बहुत अधिक पोपुलर होता जा रहा है. इस फील्ड में अपना करियर बनाने के लिए स्टूडेंट्स इस फील्ड से जुड़े कुछ स्पेशलाइजेशन कोर्स भी कर सकते हैं. जैसे ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, एडवांस्ड रोबोटिक्स सिस्टम आदि. इस कोर्स में एडमिशन लेने के लिए कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री अनिवार्य है.रोबोटिक्स में एमई की डिग्री प्राप्त कर चुके स्टूडेंट्स को इसरो जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में रिसर्च वर्क की नौकरी आसानी से मिल सकती है. अतः 12 वी में साइंस स्ट्रीम लेने वाले छात्रों के लिए यह भी एक सही करियर ऑप्शन है.
स्पेस साइंस
स्पेस साइंस का फील्ड भी बहुत व्यापक फील्ड है. इस विषय के अंतर्गत स्टेलर साइंस, प्लैनेटरी साइंस, कॉस्मोलॉजी तथा एस्ट्रोनॉमी आदि का अध्ययन किया जाता है. बैंगलोर में स्थित आईआईएससी तथा इसरो में स्पेस साइंस से जुड़े विषयों में बीएससी,बीटेक तथा पीएचडी तक के कोर्सेज कराये जाते हैं. बीएससी की अवधि 3 साल,बीटेक की 4 साल है. पीएचडी की अवधि मिनिमम 2 साल और मैक्सिमम 5 साल है. छात्र इस फील्ड में भी अपने सुनहरे करियर की तलाश कर सकते हैं.
एनवायरमेंटल साइंस
इस विषय के अंतर्गत मनुष्य द्वारा की गयी गतिविधयों के असर का अध्ययन किया जाता है.आज के बढ़ते प्रदूषण वाले माहौल में इस विषय का महत्व और अधिक बढ़ गया है. आम जनता को प्रदूषण से राहत पहुँचाने के लिए नित्य नए नए प्रयोग किये जा रहे हैं. आजकल तो शुद्ध हवा जैसी चीजों की भी बिक्री की जाने लगी है. एनवायरमेंटल साइंस में इकोलॉजी,डिजास्टर मैनेजमेंट,वाइल्ड लाइफ मैनेजमेंट,पॉल्यूशन कंट्रोल जैसे विषय पढ़ाये जाते हैं.इन सब्जेक्ट्स में ज्यादातर एनजीओ और यूनेस्को की प्रोजेक्ट के तहत भी काम किया जाता है.इस फील्ड में बहुत ज्यादा काम हो रहे हैं. इसलिए इस फील्ड में भी जॉब की बेहतर संभावनाएं हैं.
आयुर्वेद में बीएमएस
12 वीं क्लास में साइंस स्ट्रीम से पढ़ाई करने के बाद मेडिकल में रूचि रखने वाले छात्रों के लिए आयुर्वेद में बीएमएस करने का भी एक बेहतर ऑप्शन मौजूद है. इसे बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन और सर्जरी कहते हैं.यह कोर्स साढ़े पांच साल का होता है तथा इसमें एक साल का इंटर्नशिप भी होता है. सरकार द्वारा आयुष विभाग की स्थापना तथा आयुर्वेद पर अधिक जोर देने के कारण आजकल आयुर्वेदिक दवाइयों तथा डॉक्टरों की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गयी है. इसलिए इस फील्ड में भी बढ़िया फ्यूचर है.
डेयरी साइंस
दुग्ध उत्पादन में भारत पूरे विश्व में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर आता है. इसलिए डेयरी प्रोडक्शन भारत का एक अहम् व्यावसायिक फील्ड है.डेयरी टेक्नोलॉजी या डेयरी साइंस के अंतर्गत मिल्क प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, स्टोरेज और डिस्ट्रिब्यूशन आदि का कार्य किया जाता है.
भारत में नित्य प्रति बढ़ते दूध की खपत को देखते हुए इस क्षेत्र में ट्रेंड प्रोफेशनल्स की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गयी है.साइंस स्ट्रीम से 12 वीं पास करने के बाद स्टूडेंट्स ऑल इंडिया लेवल पर आयोजित इसके एंट्रेंस एग्जाम को क्वालीफाई करने के बाद 4 वर्ष के ग्रेजुएशन डिग्री, डेयरी टेक्नोलॉजी के कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं. इसके अतिरिक्त भारत में कुछ ऐसे इंस्टीट्यूट्स भी हैं जो डेयरी टेक्नोलॉजी में दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स ऑफर करते हैं.
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