इंसान की आसमान छूने की इच्छा ने ही सही मायने में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग को जन्म दिया है. इंजीनियरिंग की इस ब्रांच में एरोप्लेन्स, हेलीकाप्टर्स और मिसाइल्स के डिजाइन, मैन्युफैक्चर, फेब्रिकेशन और मेंटेनेंस से जुड़े सभी कार्य आते हैं. सरल शब्दों में, एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग डिजाइन, एयरक्राफ्ट ऑपरेट करने की टेक्नीक, फ्लाइट मशीन की मेन्युफैक्चरिंग की साइंटिफिक स्टडी है. एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग आजकल भारत के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के बीच सबसे पसंदीदा करियर ऑप्शन्स में से एक है.
एक रिपोर्ट में वर्ष, 2020 तक भारत को इस फील्ड में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बनने का अनुमान भी लगाया जा चुका है. इसलिए, इस आर्टिकल में हम इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के लिए भारत में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की फील्ड में उपलब्ध विभिन्न एकेडमिक कोर्सेज और करियर स्कोप की महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं. इसलिए, आइये ध्यान से पढ़ें यह आर्टिकल:

भारत में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के एकेडेमिक कोर्सेज
अंडरग्रेजुएट कोर्सेज
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में अंडरग्रेजुएट कोर्स करने के लिए स्टूडेंट्स ने अपनी 12वीं क्लास का बोर्ड एग्जाम फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स विषयों सहित पास किया हो.
- बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग – एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (बीई)
- बैचलर ऑफ़ टेक्नोलॉजी – एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (बीटेक)
पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में कोई पोस्टग्रेजुएट कोर्स करने के लिए स्टूडेंट्स ने किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री हासिल की हो.
- मास्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग – एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (एमई)
- मास्टर ऑफ़ टेक्नोलॉजी – एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (एमटेक)
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की फील्ड में उपलब्ध हैं ये स्पेशलाइजेशन्स
- एयरफ्रेम एंड इनस्टॉलेशन डिजाइन
- कॉन्फ़िगरेशन मैनेजमेंट
- फ्लाइट कंट्रोल्स
- मास प्रॉपर्टीज
- मिशन सिस्टम्स एंड फ्लाइट टेस्ट
- प्रोपल्जन इंटीग्रेशन एंड परफॉरमेंस
- रिक्वायरमेंट्स डेफिनिशन एंड वेरिफिकेशन
- सिस्टम्स इंजीनियरिंग
- सर्टिफिकेट – एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस
- डिप्लोमा – एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग
भारत में इन प्रमुख इंस्टीट्यूट्स और यूनिवर्सिटीज से करें एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कोर्सेज
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईआईएसटी), थिरुवनंतपुरम
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (आईआईएई)
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस (आईआईएससी), बैंगलोर
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, बॉम्बे, खड़गपुर, मद्रास, कानपुर
- एयरोस्पेस इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी, कानपुर
- मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी
- अन्ना यूनिवर्सिटी
- पीईसी यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी
- मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, देहरादून
एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स के लिए आवश्यक हैं ये स्किल्स और क्वालिटीज
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की फील्ड में डिग्री/ डिग्रियां हासिल करने के अलावा भी कैंडिडेट्स के पास कुछ जरुरी स्किल्स और क्वालिटीज होने चाहिए ताकि वे अपना सफल करियर बना सकें. आइये आगे पढ़ें:
- कैंडिडेट्स के पास मैनुअल, टेक्नीकल और मेकेनिकल एप्टीट्यूड होना चाहिए.
- कैंडिडेट्स का नार्मल कलर विजन और आई विजन होना चाहिए.
- कैंडिडेट पूरी तरह फिजिकली फिट हो.
- कैंडिडेट्स में स्पेसक्राफ्ट और एयरक्राफ्ट से संबद्ध सभी काम करने के लिए पैशन हो.
- एनालिटिकल स्किल्स – ताकि डिजाइन्स में लगातार सुधार किया जा सके.
- बिजनेस स्किल्स – मौजूदा बिजनेस प्रैक्टिसेज और डिफेन्स रिक्वायरमेंट्स के मुताबिक प्रोजेक्ट्स तैयार किये जा सकें.
- क्रिटिकल थिंकिंग – देश की सरकार द्वारा निर्धारित स्टैंडर्ड्स के मुताबिक प्रोजेक्ट डिजाइन्स बनाये जा सकें.
- प्रॉब्लम सॉल्विंग – मौजूदा प्रोजेक्ट्स में आने वाली प्रॉब्लम्स को कुशलता से सॉल्व करने की काबिलियत हो.
- राइटिंग स्किल्स – प्रोफेशनल अपने प्रोजेक्ट डिज़ाइन सहित अन्य स्पेसिफिकेशन्स को स्पष्ट रूप से लिख सकें ताकि उन प्रोजेक्ट्स और स्पेसिफिकेशन्स का जरूरत पड़ने पर भविष्य में इस्तेमाल किया जा सके.
भारत में एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स का जॉब प्रोफाइल
एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स टेक्निकल एक्सपरटाइज के हाई लेवल और सेफ ऑपरेशन सुनिश्चित करने के लिए एयरक्राफ्ट्स को डिज़ाइन, डेवलप और मेनटेन करने से संबद्ध सभी काम करते हैं जैसेकि:
- सिविल एविएशन में एयरक्राफ्ट इंजीनियर्स एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की मैकेनिकल या इलेक्ट्रॉनिक ब्रांच में स्पेशलाइज्ड होते हैं.
- एयरोनॉटिकल मैकेनिकल इंजीनियर्स इंजन्स और एयरफ्रेम्स की सर्विसिंग और ओवरहॉलिंग करते हैं.
- एयरोनॉटिकल इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर्स इंस्ट्रूमेंट्स, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट्स, नेविगेशन, राडार और रेडियो कम्युनिकेशन की मेंटेनेंस में स्पेशलाइज्ड होते हैं.
- फ्लाइट इंजीनियर्स प्री-फ्लाइट इंस्पेक्शन्स करते हैं. वे रिफ्यूलिंग सहित फ्लाइट के दौरान एयरक्राफ्ट की सेफ परफॉरमेंस के लिए जिम्मेदार होते हैं.
- एयरपोर्ट्स पर एयरक्राफ्ट ओवरहॉलिंग और रूटिंग मेंटेनेंस का काम ये पेशेवर ही संभालते हैं.
- एयरक्राफ्ट्स की मरम्मत का काम भी यही पेशेवर मैनेज करते हैं.
- हैंगर्स और वर्कशॉप्स में भी ये पेशेवर एयरक्राफ्ट्स की ओवरहॉलिंग और मेंटेनेंस से संबद्ध कामकाज करते हैं.
- ये पेशेवर क्वालिटी स्टैंडर्ड्स के मुताबिक प्रोजेक्ट्स तैयार करते हैं.
- एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स अपने प्रोजेक्ट्स के टेक्निकल और फाइनेंशियल आस्पेक्ट्स का मूल्यांकन करते हैं.
भारत में एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स के प्रमुख कार्य
ये पेशेवर फुल टाइम जॉब करते हैं. जिन इंजीनियर्स के पास प्रोजेक्ट होता है उन्हें प्रोजेक्ट पूरा होने तक कई घंटे अतिरिक्ति काम करना पड़ता है ताकि अपने प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस की निगरानी कर सकें. ये पेशेवर अपने प्रोजेक्ट के डिजाइन की रिक्वायरमेंट्स को पूरा करने, एयरक्राफ्ट की परफॉरमेंस, डिज़ाइन मानकों के मुताबिक प्रोजेक्ट तैयार करवाने, टेस्ट फ्लाइट्स और फर्स्ट फ्लाइट तक अपने प्रोजेक्ट के लिए पूरी तरह जिम्मेदार होते हैं और इन पेशेवरों को निर्धारित समय सीमा के भीतर अपना प्रोजेक्ट पूरा करना होता है.
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग: प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रिक्रूटर्स
हमारे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स के लिए करियर की संभावनाएं बहुत उज्ज्वल हैं और आगे एक बेहतर शानदार करियर संभावना है. भारत के अलावा एयरोस्पेस इंजीनियर्स को संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, यूके और जर्मनी जैसे कई देशों में भी जॉब के अवसर मिल सकते हैं. एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की फील्ड में कुछ प्रमुख नेशनल और इंटरनेशनल रिक्रूटर्स के नाम निम्नलिखित हैं:
- एनएएल – नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज
- एचएएल – हिंदुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड
- सिविल एविएशन डिपार्टमेंट
- इसरो – इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन
- डिफेन्स मिनिस्ट्री
- डीआरडीओ – डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन
- एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट ऐस्टेब्लिश्मेंट
- एयरलाइन्स
- प्राइवेट जेट एंड एयरलाइन्स
- फ्लाइंग क्लब्स
- एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनीज
- बोईंग
- एयरबस
- नासा – नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन
भारत में एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स का सैलरी पैकेज
हमारे देश में एक एयरोनॉटिकल इंजीनियर एवरेज 5 लाख – 6 लाख रु. सालाना कमाता है. शुरू में इन प्रोफेशनल्स को रु. 35 हजार से रु. 1 लाख प्रति माह एवरेज सैलरी मिलती है. किसी सुप्रसिद्ध इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से ग्रेजुएटेड एयरोनॉटिकल इंजीनियर को सॉफ्टवेयर फील्ड में रु. 30 लाख तक सालाना का सैलरी पैकेज मिलता है. इसरो, भारत सरकार में इस फील्ड में इंजीनियर्स को रु. 46 हजार से रु. 76 हजार प्रति माह एवरेज सैलरी मिलती है. डीआरडीओ, भारत सरकार में इस फील्ड में बेसिक पे रु. 39 हजार – रु. 67 हजार प्रति माह तक मिलती है.
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