UP Board Class 12 Mathematics-I Notes : Determinants(Chapter-2), Part-I
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1. एकघातीय युगपत समीकरण
2. सारणिक की पंक्तियाँ तथा स्तम्भ
3. द्वितीय क्रम के सारणिक का विस्तार
4.तृतीय क्रम के सारणिक का विस्तार
1. परिचय
(Introduction)
1. निम्नलिखित एकघातीय युगपत समीकरणों पर विचार कीजिए:
a1x+b1y = 0
a2x+b2y = 0
जहाँ x ¹ 0 तथा y ¹ 0
उक्त समीकरणों से x एवं y का विलोपन निम्नवत किया जा सकता है :
पहले समीकरण से, a1x = -b1y
दूसरे समीकरणा से, a2x = -b2y
भाग करने पर, a1/ a2 = b1/b2 या a1b2 = a2b1
या a1b2 -a2b1 = 0
याद रखिए (Note):
I. उक्त सारणिक में दो पंक्तियाँ (®) तथा दो स्तम्भ(¯) हैं| अत: यह द्वितीय क्रम अथवा द्वितीय कोटि (Second Order) का सारणिक कहलाता है|
II. a1, b2, a2, b1 उक्त सारणिक के अवयव अथवा तत्व (Elements or Constituents) कहलाते है|
III. a1b2 तथा a2b1 उक्त सारणिक के पद कहलाते हैं|
IV. व्यंजक ( a1b2 -a2b1 ) को उक्त सारणिक का प्रसार अथवा विस्तार (Expansion) अथवा मान (Value) कहते हैं|
V. उक्त सारणिक में उस रेखा को जिसके अनुदिश अवयव a1 एवं b2 स्थित हैं, मुख्य विकर्ण (Main or Leading or Principal Diagonal) कहते हैं तथा a1 एवं b2 को मुख्य विकर्ण के अवयव कहते हैं|
UP Board Class 12 Mathematics Long Answer Solved Practice Paper Second Set -I
* अब निम्नलिखित एकघातीय युगपत समीकरणों पर विचार कीजिए:
a1x + b1y + c1 = 0
a2x + b2y + c2 = 0
a3x + b3y + c3 = 0
जहाँ x ¹ 0, y ¹ 0 तथा z ¹ 0
उक्त समीकरणों से x, y, एवं z का विलोपन निम्नवत किया जा सकता है:
अन्तिम दो समीकरणों को व्रजरगुणन विधि से हल करने पर,
UP Board Class 12 Mathematics Long Answer Solved Practice Paper First: Set -I
* सारणिक की पंक्तियाँ तथा स्तम्भ
(Rows and Columns of a Determinant):
किसी सारणिक में क्षैतिज रेखाएँ क्रमश: पहली, दूसरी, तीसरी,....... पंक्तियाँ (Rows) कहलाती है जिन्हें क्रमश: R1:R2:R3,......से प्रदर्शित किया जाता है तथा उर्ध्वाधर रेखाएँ उसके क्रमश : पहले, दूसरे, तीसरे,........स्तम्भ कहलाते हैं जिन्हें C1,C2,C3,...... से प्रदर्शित किया जाता है|
याद रखिए (Note):
* सारणिक को प्राय : प्रतीक Δ(Delta) अथवा अक्षर D से प्रदर्शित किया जाता है|
सारणिक का विस्तार (Expansion of a Determinant)
1. द्वितीय क्रम के सारणिक का विस्तार:
हम जानते हैं कि
अत: स्पष्ट है कि तृतीय क्रम के सारणिक के विस्तार में प्रथम पंक्ति के प्रत्येक अवयव को द्वितीय क्रम के उस सारणिक से गुणा किया जाता है जो अवयव की पंक्ति एवं स्तम्भ को छोड़ने पर शेष रह जाता है तथा इस प्रकार प्राप्त पदों के चिन्ह एकान्तरत: धन और ऋण लिए जाते हैं|
इसी प्रकार किसी भी पंक्ति अथवा स्तम्भ के अनुदिश तृतीय क्रम के सारणिक का विस्तार किया जा सकता है, परन्तु पदों के चिन्ह निम्नांकित पैटर्न के अनुसार होने चाहिए|