वस्तुतः मनुष्य के जन्म लेकर मृत्यु तक मनुष्य का साथ बराबर जंगल तथा वृक्ष के साथ बना रहता है. पैदा होने के बाद जहां लकडी का पालना उसे सहारा देता है, तो मृत्यु के बाद भी उसे लकडियों के ढेर यानि चिता में ही आखिरी शरण मिलती है.ज्यादातर छोटे बडे समारोह, त्योहार बिना वृक्ष पूजन के अपने परिणाम तक नहीं पहुंचते.तार्किक दृष्टिकोण से देखा जाय तो इस विश्व में प्राण वायु यानि ऑक्सीजन का इकलौता जरिया वृक्ष ही हैं, उनके आभाव में मानव जीवन बहुत दुरूह अर्थात मुश्किल हो जाएगा.. ऐसी स्थिति में यदि हम चाहते हैं कि सौरमंडल में पृथ्वी का एक अद्वितीय ग्रह के रूप में दर्जा बरकरार रहे तो फिर वनों की सुरक्षा के अतिरिक्त हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है. यही कारण है कि देश की सरकार वनों की सुरक्षा और उनकी वृद्धि हेतु संबंधित विशेषज्ञों की काफी संख्या में नियुक्ति करती है. अतः इस क्षेत्र में युवाओं के लिए बडी संख्या में अवसरों का पिटारा मौजूद है.
फॉरेस्ट्री में करिअर के लिए कई विविधतापूर्ण विकल्प उपलब्ध हैं
दरसल प्रकृति का अध्ययन वास्तव में एक ऐसा अध्ययन है जिसके सिलेबस का कोई ओर छोर नहीं होता है. इसके ना तो शुरुआत का पता चलता है और ना ही अंत का. लेकिन खुशी की बात यह है कि विविधताओं से परिपूर्ण भारत के वन युवाओं के लिए करियर के कई नए विकल्प खोलते हैं. गौरतलब है कि बहुत पहले ऐसा नहीं था. सीमित संभावनाओं वाले इस क्षेत्र में वन्य अधिकारी, शोधकर्ता, कंजर्वेशनिस्ट जैसे गिने चुने पदों के लिए ही अवसर मौजूद थे.लेकिन धीरे धीरे फॉरेस्ट और वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन के बारे में लोगों के बीच जागरूकता का प्रसार हुआ, इस क्षेत्र में काम का दायरा दिनों दिन बढ़ता चला जा रहा है. सरकारी व निजी क्षेत्रों में कई ऐसे विभाग हैं, जो फॉरेस्ट्री में ग्रेजुएट युवाओं को अवसर दे रहे हैं.
इस क्षेत्र में मिलने वाले नए अवसर
आजकल फॉरेस्ट्री में क्वालीफाइड छात्रों के लिए फॉरेस्ट, कंजरवेशन के अलावा भी कई अनेक अवसर मौजूद हैं. लेकिन इन पदों से जुड़े कार्यों का नेचर ट्रेडिशनल फॉरेस्ट्री से कुछ अलग है. आज के परिवर्तनशील दौर में संभव है कि आने वाले कल में इन्हीं जॉब्स की डिमांड हो. टिंबर प्लांटेशन के क्षेत्र में कार्य करने वाले कॉरपोरेट हाउस, एनजीओ, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी, फिल्म मेकिंग, लैंडस्केप मैनेजमेंट, जू क्यूरेटिंग, कंसल्टेंसी फर्म्स आदि इसके कुछ प्रमुख उदाहरण हैं.
फॉरेस्ट्री में अनुसंधन के कई अवसर उपलब्ध
अनुसंधान के लिए पर्यावरण एक बहुत ही लोकप्रिय विषय रहा है. अनुसंधान के जरिए ही हमें वृक्षों,वन्य जीवों में होने वाले बदलावों, लक्षणों प्रजातिगत विभिन्नताओं की जानकारी प्राप्त होती है. भारत में कई ऐसे इंस्टीट्यूट हैं जहाँ एक रिसर्चर या फिर रिसर्च असोसिएट के रूप में कार्य किया जा सकता है. उनमें से कुछ प्रमुख संस्थान हैं-
इंडियन कांउसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन (आईसीएफआरई), इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल फॉरेस्ट्री एंड इको रिहैबिलिटेशन एंड वाइल्ड लाइफ रिसर्च इंस्टीट्यूट, टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट आदि.
इसके अतिरिक्त फॉरेस्ट्री में डिग्री लेने वालों के लिए विदेशों में भी कार्य करने का भरपूर मौका है. आज के इस दौर में बढ़ते प्रदूषण के कारण लोग पर्यावरण को लेकर बहुत संवेदनशील तथा जागरूक हो चुके हैं. वे न केवल इस दिशा में संगठित प्रयासों के हिमायती हैं बल्कि स्वयं भी इस क्षेत्र में पहल करने को आतुर रहते हैं. लोगों के इस ग्लोबल इंवायरनमेंट कंसर्न के चलते आज विदेशों और खासतौर यूएन में क्वालीफाइड युवाओं की मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है.
आवश्यक शैक्षणिक योग्यता
इस क्षेत्र में नौकरी के लिए न्यूनतम आवश्यक शर्त बीएससी इन फॉरेस्ट्री है. लेकिन अगर आपने साइंस विषय के साथ बारहवीं किया है तो आप फॉरेस्ट्री कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं. हायर लेवल पर फॉरेस्ट्री कोर्सेज में स्पेशलाइजेशन होता है. इसके अंतर्गत फॉरेस्ट मैनेजमेंट, कॉमर्सियल फॉरेस्ट्री, फॉरेस्ट इकोनॉमी, वुड सांइस, वाइल्ड लाइफ सांइस आदि बेहद लोकप्रिय हैं. कई प्रोफेशनल संस्थान पीजीडीएम इन फॉरेस्ट मैनेजमेंट जैसे डिप्लोमा कोर्स भी कराते हैं.
फॉरेस्ट्री में डिग्री हेतु मुख्य संस्थान
फॉरेस्ट्री रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादून
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट, भोपाल, मप्र
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, देहरादून
कॉलेज ऑफ हॉर्टीकल्चर एंड फॉरेस्ट्री, सोलन, हिप्र
कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग,पंजाब
कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रीजनल रिसर्च सेंटर, धारवाड, राजस्थान
कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, उत्तराखंड
वस्तुतः फिलहाल फॉरेस्ट्री में काम करने के बहुत सारे अवसर मौजूद हैं. इसके अंतर्गत सिर्फ वन सुरक्षा ही एक मात्र कार्य नहीं रह गया है. इसमें वनों से जुड़े औद्योगिक उत्पादन के क्षेत्र में भी काम के ढेर सारे अवसर उपलब्ध हैं. इसके अतिरिक्त इकोलॉजी,
नेचुरल डिजास्टर मैनेजमेंट,फॉरेस्ट सर्वे, स्वाइल वाटर कंजरवेशन, इको टूरिज्म जैसे क्षेत्रों में भी फॉरेस्ट्री ग्रेजुएट/पीजी/डिप्लोमाधारी अभ्यर्थियों की बहुत डिमांड है. फॉरेस्ट्री में पेशेवरों की दिनोंदिन बढ़ती मांग ने इनसे जुड़े संस्थानों का महत्व बढ़ा दिया है.
अतः अगर आपको वनों का दृश्य देखना, वहां रहना रोमांचकारी लगता है तो आप अवश्य ही अपनी रूचि और योग्यता के अनुकूल कोर्स में एडमिशन लेकर अपने करियर में चार चाँद लगा सकते हैं.