अगर आपको बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्में देखकर और हीरो या हीरोइन का अभिनय देखकर ऐसा लगता है कि आखिर ये इतनी नेचुरल एक्टिंग कैसे करते हैं? काश हम भी ऐसा कर पाते..... तो इसके लिए आपको नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का रुख करना चाहिए. यहां एक्टिंग सीखकर आप भी अभिनय और रंगमंच की बारीकियों को समझ सकते हैं और रंगमंच तथा फिल्मों की दुनिया में अपना टैलेंट दिखा सकते हैं.
भारत सहित पूरी दुनिया में इन दिनों रंगमंच का स्वरुप काफी बदल चुका है. अधिकतर लोग अब एक्टिंग तथा थियेटर की दुनिया में नाम और दाम कमाना चाहते हैं क्योंकि इस फील्ड में अच्छा पैसा कमाने के साथ साथ आपको शोहरत भी मिलती है और आप रातो रात स्टार या सुपरस्टार भी बन सकते हैं.
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय) विश्व के टॉप मोस्ट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स में से एक है तथा भारत में यह अपनी तरह का एकमात्र इंस्टीट्यूट है जो रंगमंच और अभिनय की कला में डिग्री प्रदान करता है. इसकी स्थापना संगीत नाटक अकादमी ने अपनी एक इकाई के तौर पर वर्ष, 1959 में की गई थी.

1975 में इसे एक स्वतंत्र संस्था का रूप दिया गया और इसका रजिस्ट्रेशन वर्ष 1860 के सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट XXI के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था के रूप में किया गया.इस संस्था को भारत सरकार के कल्चरल मिनिस्ट्री द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. इस स्कूल में दिया जाने वाला ट्रेनिंग
अत्यंत गहन विषद और व्यापक होता है. इसके सिलेबस में अभिनय और रंगमंच के समस्त पहलुओं को समाहित किया गया है ताकि यहाँ से निकलने के बाद उम्मीदवार एक्टिंग के सभी रूपों में माहिर हो सकें .
इस इंस्टीट्यूट की सबसे रोचक बात यह है कि यहाँ ट्रेनिंग के एक अंश के रूप में छात्रों को खुद के नाटक तैयार करने होते हैं और आगे चलकर उसे जनता के समक्ष भी प्रस्तुत करना होता है. इसके अतिरिक्त इसके सिलेबस में उन महान रंगकर्मियों के कार्यों को भी दर्शाया जाता है जिन्होंने समकालीन रंगमंच के विभिन्न पहलुओं को साकार रूप देने में बहुत अधिक सहयोग दिया है.
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की मुख्य दो प्रस्तुति इकाइयां हैं - रंगमंडल और थियेटर इन एजुकेशन कंपनी.रंगमंडल की शुरुआत सुश्री मीना विलियम्स, सुश्री सुधा शिवपुरी और श्री ओम शिवपुरी के सानिध्य में वर्ष 1964 में की गयी.रंगमंडल का मुख्य उद्देश्य इस स्कूल के ग्रेजुएट्स को अपने नाटकों को प्रोफेशनल रूप में प्रस्तुत करने के लिए मंच उपलब्ध कराना था. आगामी वर्षों में रंगमंडल ने ऐसे विभिन्न नाट्यकारों और निर्देशकों के कार्यों को प्रस्तुत किया जो इनके साथ समय-समय पर हमेशा जुड़े रहे. अपने प्रयास तथा बेहतर परिणाम के कारण रंगमंडल अब नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का एक अभिन्न अंग बन चुका है. प्रस्तुतियों के अतिरिक्त रंगमंडल द्वारा गर्मी के मौसम में अपना एक फेस्टिवल भी आयोजित किया जाता है. इस फेस्टिवल में नए प्रस्तुतियों के साथ साथ पूर्व मंचित प्रस्तुतियों को भी दिखाया जाता है. रंगमंडल देश विदेश में यात्रा कर अपनी प्रस्तुतियां देता है.
नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा का महत्त्व
रंगमंच को और सही तरीके से समझने के लिए संस्कृत में भरत मुनि का नाट्य शास्त्र, आधुनिक भारतीय नाटक, पारंपरिक भारतीय रंगमंच के रूप, एशियन नाटक और पाश्चात्य नाट्य प्रोटोकॉल आदि का अध्ययन किया जा सकता है. इससे अभिनय के सभी दृष्टिकोणों और पृष्ठभूमियों को समझने में मदद मिलेगी.
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा द्वारा तीन वर्षीय प्रशिक्षण कार्यक्रम कराया जाता है.इस कोर्स का नाम है ‘ड्रामेटिक आर्ट में 3 वर्षीय डिप्लोमा.’ यह पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री के बराबर है और सरकारी तौर पर मान्यता प्राप्त है. इस कोर्स में कुल 26 सीटें उपलब्ध है. इस कोर्स में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम का आयोजन किया जाता है. इस कोर्स में एडमिशन के लिए यह आवश्यक है कि उम्मीदवार ने इससे पूर्व कम से कम 6 नाटकों में कार्य किया हो तथा अपनी मातृभाषा के अतिरिक्त हिंदी अंग्रेजी भाषा का सही ज्ञान रखता हो.
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का कैम्पस बहावलपुर हाउस दिल्ली में स्थित है तथा यह आधुनिक ऑनलाइन कैटलॉग और ऑडियो-वीडियो लाइब्रेरी सहित कई अन्य सुविधाओं जैसे वाई-फाई तथा एसी क्लासरूम से लैस है.
यूँ तो नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का कोई अपना प्लेसमेंट सेल नहीं है लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इससे स्टडी करने वाले छात्र खाली नहीं बैठते हैं. उन्हें कोई न कोई काम मिल ही जाता है. नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में पढ़ाई करने वाले छात्र एनएसडी के रंगमंडल और संस्कार रंग टोली में ही कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर काम करने लगते हैं, कुछ थिएटर कंपनी, टीवी सीरियल और फिल्मों में चले जाते हैं तो कुछ अपने-अपने रूचि के क्षेत्र में काम करने लगते हैं.
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के फेमस स्टूडेंट्स
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के प्रसिद्द पूर्व छात्रों में ओम पुरी, पंकज कपूर, एम. के. रैना, रंजीत कपूर, आलोक नाथ, राज बब्बर, नसीरुद्दीन शाह,नीना गुप्ता, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, इरफान खान आदि प्रमुख हैं. इनके अतिरिक्त भी तमाम हस्तियों ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से स्टडी की. इनमें से कुछ ने अभिनय के क्षेत्र में अपनी पहचान बनायीं तथा कई ने निर्देशन तथा कला के क्षेत्र में अपने मेहनत तथा काम से एक मुकाम हासिल किया.
आगे चलकर इस स्कूल द्वारा बच्चों को भी थियेटर कला का ज्ञान प्रदान करने तथा रंगमंच में रूचि पैदा करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस स्कूल द्वारा संस्कार रंग टोली के माध्यम से नियमित कार्यशालाएं भी आयोजित की जाती हैं. साथ ही बच्चों के नाटकों के लोकप्रिय उत्सव बाल संगम व जश्न-ए-बचपन का भी आयोजन इस स्कूल द्वारा प्रति वर्ष किया जाता है.
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का एक पब्लिकेशन यूनिट भी है जिसके जरिये थियेटर विषय से सम्बन्धित पुस्तकें प्रकाशित की जाती हैं. इस पब्लिकेशन की सबसे बड़ी पब्लिकेशन रंगयात्रा में 1964 के बाद के 25 वर्षों के रंगमंच के इतिहास को दिखाया गया है. अपने नियमित पब्लिकेशन्स के अतिरिक्त 2010 तक इस यूनिट ने लगभग 82 पब्लिकेशंस प्रिंट किये हैं.
अतः अगर आप भी रंगमंच कलाकारों अथवा हीरो हिरोइन की तरह पब्लिक फिगर बनकर नाम, शोहरत और पैसा कमाना चाहते हैं तो एनएसडी का एंट्रेंस क्वालीफाई कर यहां स्टडी करने की योजना बना सकते हैं.
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