स्कूली शिक्षा विद्यार्थी के जीवन का एक ऐसा समय होता है जब सभी विषयों की मूल जानकारी देते हुए ज्ञान को उसके दिमाग में सुदृढ़ किया जाता हैl लेकिन बढ़ते हुए कम्पटीशन के इस युग में मात्र किताबी ज्ञान बच्चों के लिए काफ़ी नहीं होगा l स्कूल में रहते हुए विद्यार्थी का लक्ष्य केवल अपने अकादमिक गोल तक सफलतापूर्वक पहुंचना होता हैl लेकिन स्कूल से निकलते ही कॉलेज और करियर से जुड़ी कई चुनौतियाँ उसके सामने आती है जिनके लिए उसे अगर पहले से तैयार न किया गया हो तो इन चुनौतिओं के पार लगना विद्यार्थी के लिए एक बेहद मुश्किल कार्य साबित हो सकता है और शायद सही दिशा के अभाव में उसे असफ़लता का सामना करना पड़ेl
जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों के लिए अगर विद्यार्थी को स्कूल में रहते ही सही दिशा निर्देश देते हुए तैयार किया जाए तो स्कूली जीवन के बाद भी विद्यार्थी सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो पाएगाl
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हम जानते हैं कि कॉलेज और करियर में सफ़लता के लिए एक स्थिर पाठ्यक्रम के अलावा और भी बहुत सी Skills की ज़रूरत होती हैl Practical knowledge और soft skills ऐसे दो पहलु हैं जिनकी मदद से विद्यार्थी अपनी कॉलेज और प्रोफेशनल लाइफ़ दोनों में सफ़लता हासिल कर सकता हैl
यहाँ हम आपको 7 ऐसे महत्वपूर्ण तरीकों के बारे में बतायेंगे जिनकी मदद से विद्यार्थी को स्कूली जीवन के बाद सामने आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार किया जा सके l ये कुछ इस प्रकार हैं :
1. विद्यार्थी को सिखाएं अखंडता व ईमानदारी के गुण:
जीवन में किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए हमें दूसरों की सहयता की आवश्यकता पड़ती हैl बड़े से बड़ा बिजनेसमैन भी लाखों लोगों की मदद से ही सफ़लता के शिखर तक पहुँच पाया हैl इसलिए विद्यार्थिओं को स्कूल से ही एकता, अखंडता व ईमानदारी का सबक सिखाना चाहिएl इसके लिए उन्हें ग्रुप टास्क जैसी गतिविधियों में लगाना होगा जहाँ एक असाइनमेंट को पूरा करने के लिए हर एक विद्यार्थी का अपना ख़ास योगदान रहेगा और सबके निजी योगदान को एकत्रित करने का बाद ही असाइनमेंट कम्पलीट हो पायेगीl इससे हर विद्यार्थी अपनी ड्यूटी के प्रति समर्पित होना सीखेगा और साथ ही सीखेगा कि दूसरों के साथ मिलकर कैसे सहजता से किसी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा किया जा सकेl
2. विद्यार्थियों में Communication Skills को दें बढ़ावा:
किसी के व्यक्तित्व की असली पहचान उसके संचार या कम्युनिकेशन के तरीके से ही होती हैl निजी जीवन में अच्छे कम्युनिकेशन स्किल्स जहाँ आपके कॉन्टेक्ट्स यानि ताल्लुक़ात बढ़ाने में मदद करते हैं वहीँ किसी नौकरी के लिए चयन के समय भी ये employer को सबसे ज़्यादा प्रभावित करते हैंl
विद्यार्थियों में Communication Skills निखारने के लिए उनमें लेखन को बढ़ावा देना चाहिएl विद्यार्थियों को ग्रुप डिस्कशन (GD) में शामिल करना चाहिएl उन्हें किसी ग्रुप का प्रतिनिधित्व करने का मौका देना चाहिए जिससे वे अपने विचारों को स्पष्ट व सही रूप से दूसरों के सामने व्यक्त करने की कला को सीख सकेंl क्लास डिस्कशन के छोटे-छोटे स्त्र आयोजित करने चाहिए जिनमे विद्यार्थी अकादमिक प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने वाले विचार दूसरों के समक्ष रख सकेंl
3. विद्यार्थियों में ज़िम्मेदारी व जवाबदेही की भावना भरपूर भरें:
स्कूल के बाद जब विद्यार्थी कॉलेज में जाता है तो ख़ुद को प्रतबंधित करने वाली गतिविधियों जैसे स्कूल पीरियड्स, होमवर्क, रेगुलर क्लास, आदि से आज़ाद पाता हैl कुछ विद्यार्थी इस आज़ादी का फ़ायदा उठाते हुए अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं और अंत में असफ़ल होकर रह जाते हैंl
इसलिए विद्यार्थी में हर काम को जिम्मेदारीपूर्ण करने की योग्यता होनी चाहिएl इसके लिए काम पूरा ना होने नोटबुक में केवल जीरो लगा देना या विद्यार्थी को सज़ा देना कोई सही तरीका नहीं होगाl बल्कि कोई काम समय पे या सही ढंग से न पूरा करने पर विद्यार्थी को इसका कारण पूछना चाहिए और यह जानना चाहिए कि भविष्य में ऐसी देरी या गलती को वह कैसे सुधारेगाl
4. विद्यार्थियों को प्रोफेशनलिज्म यानि व्यावसायिकता के गुर सिखाएं:
प्रोफेशनलिज्म में व्यक्ति का आचरण, योग्यता, क्षमता, अनुशासन, आदि विशेषताएं शामिल होती हैं जो जीवन में किसी भी लक्ष्य तक पहुँचने के लिए आवश्यक होती हैंl
विद्यार्थियों में ये विशेषताएं class expectations यानि क्लास अपेक्षाओं की मदद से उजागर की जा सकती हैंl इनमे कुछ ख़ास बातें जैसे कि कक्षा में सही टाइम पर उपस्थित होना, हर कार्य के लिए पूरी तैयारी के साथ आना, हर असाइनमेंट को समय से पूरा करना, किसी भी टॉपिक पर स्पष्ट व सरल लिखना जो पढ़ने वाले की समझ के अनुसार भी हो और विद्यार्थियों में दूसरों की इज्ज़त करने की भावना भरनाl
5. विद्यार्थियों को हर काम व्यवस्थापूर्वक तरीके से करना सिखाएं:
किसी भी कार्य को सफ़ल अंजाम देने के लिए उसे organized यानि व्यवस्थापूर्वक तरीके से करना ज़रुरी होता हैl
स्कूल में विद्यार्थियों को सही व्यवस्थता सिखाने के लिए उन्हें किसी ख़ास समस्सया पर आधारित प्रोजेक्ट दिया जाए जिसको पूरा करने के लिए पर्याप्त समय अवधि भी बच्चों को दी जाए जिसमे बच्चे उस प्रोजेक्ट के लिए स्वयं से एक व्यवस्था तैयार करें और सही फोकस के साथ सभी मापदण्डों के मुताबिक उसे पूरा करेंl इससे उनमे self monitoring के गुर भी सीख पाएंगेl
6. विद्यार्थियों में Teamwork के भाव को दे बढ़ावा:
जैसे कि पहले भी इस लेख में हमने बात की है कि किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए हमें दूसरों के सहयोग की ज़रूरत पड़ती है l इसके लिए हमारे भीतर एक टीम में रहते हुए सभी के विचारों को एक साथ लेकर चलते हुए सहजता से कार्य को अंजाम तक पहुँचाने की क्षमता होनी चाहिए l इसके लिए विद्यार्थियों को स्कूल में ही टीम भावना व सह्कार्यता का पाठ पढ़ाना चाहिए l विभिन्न छात्रों का एक ग्रुप बनाकर उन्हें एक असाइनमेंट दी जाए जिस में सभी को अलग अलग ज़िम्मेदारी सौंपी जाए और सब का कार्य एक दुसरे से जुड़ा हो l ऐसे तरीकों से उनमें संचार, विश्वास, एकता, अखंडता, सह्कार्यता, ज़िम्मेदारी आदि जैसे महत्वपूर्ण गुण विकसित होंगे l
7. विद्यार्थियों के सामने आदर्श स्थितियाँ पेश करें:
हम जो कुछ देखते हैं उसका असर हमारे ऊपर सबसे ज़्यादा होता है l इसी तथ्य के अनुसार अगर हम विद्यार्थियों में किसी प्रकार के गुणों को विकसित करना चाहते हैं तो उन गुणों को दर्शाती हुई कुछ आदर्श घटनाएँ या स्थितियां उनके सामने रखनी होंगी l जैसे कि अध्यापकों का आपस में ताल मेल या सीनियर विद्यार्थियों का आचरण विद्यार्थियों पे सीधा असर करता है l जब एक विद्यार्थी दूसरों में टीम भावना, एक दुसरे के प्रति आदर की भावना, संचार का तरीका व अनुशासन की भावना को निरंतर नोट करेगा तो ये सभी गुण सहज ही उसके भीतर उत्पन्न व विकसित होंगे और वह आसानी से इन गुणों को रियल लाइफ में लागु करने का ढंग भी सीख जायेगा l
इस प्रकार, परंपरागत शिक्षा के तरीकों में कुछ बदलाव लाकर स्कूल में रहते ही विद्यार्थियों को स्कूल के बाद जीवन में सामने आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार किया जा सके जिससे हमारे देश का भविष्य सही मार्ग पर चलते हुए सफ़लता के कदम चूम सके l
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