IAS Success Story: UPSC सिविल सेवा परीक्षा देश में सबसे सर्वोच्च सेवाओं में शुमार है। इस प्रतिष्ठित सेवा के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग तैयारी करते हैं। कई सालों तक तैयारी करने के बाद भी इसमें सफलता सुनिश्चित नहीं होती है। हालांकि, इसके बाद भी युवा इस परीक्षा को पास कर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की बागडोर संभालने का सपना देखते हैं। हालांकि, विभिन्न कारणों की वजह से उन्हें सफलता मिलने में काफी समय भी लग जाता है। वहीं, कुछ युवा होते हैं, जो सही रणनीति पर काम करते हुए अपने पहले प्रयास में ही सफलता के शिखर पर पहुंच अपनी मेहनत का झंडा फहराते हैं। आज हम आपको अनन्या सिंह की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने सिविल सेवाओं में अपने पहले प्रयास में ही 51वीं रैंक हासिल कर आईएएस अधिकारी बनकर अपना सपना पूरा कर दिया।
अनन्या सिंह का परिचय
अनन्या सिंह ने प्रयागराज से अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की। उन्होंने CISCE बोर्ड से 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की। बोर्ड में अच्छे अंको होने की वजह से उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय(डीयू) के प्रतिष्ठित कॉलेज लेडी श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉर्मस में दाखिला मिल गया। यहां से उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की।

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ग्रेजुएशन में शुरू की तैयारी
अनन्या सिंह जब ग्रेजुएशन कर रही थी, तब उन्होंने सिविल सेवक बनने का निर्णय कर लिया था। इसके लिए उन्होंने ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष से ही सिविल सेवा के लिए पढ़ना शुरू कर दिया था।
पहले बेस किया मजबूत
अनन्या सिंह ने यूपीएससी सिविल सेवा की तैयारी के दौरान सबसे पहले सिलेबस पर फोकस किया। उन्होंने सिलेबस पर फोकस करते हुए अपना बेस बनाना शुरू किया, जिसके लिए वह दिन का अधिकांश समय पढ़ने में दिया करती थी। अनन्या को पता था कि एक बार बेस मजबूत हो गया, तो वह अपनी तैयारी को और अच्छे तरीके से धार दे सकती हैं।
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एक साल तक जमकर की तैयारी
अनन्या ने सिविल सेवा की तैयारी के लिए पूरा एक साल कड़ी मेहनत की। उन्होंने दिन में पांच से छह घंटे पढ़ने के साथ अपने नोट्स बनाए। वह अपने नोट्स को इस तरह तैयार करती थी, जिससे उन्हें रिविजन में आसानी हो सके। उन्होंने तैयारी के दौरान सीमित किताबें पढ़ने के साथ रिविजन पर फोकस किया।
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51वीं रैंक के साथ बनी IAS
साल 2019 में सिविल सेवा की जब परिणाम आया, तो अनन्या ने परीक्षा को अपने पहले प्रयास में ही 51वीं रैंक के साथ पास कर लिया था। वह बहुत कम उम्र में ही आईएएस बनने वाली महिलाओं में भी शामिल हैं। परीक्षा पास करने के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल कैडर मिला है।
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