IPS Success Story: संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) हर साल देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा यानी सिविल सेवा का आयोजन करता है। यह वह परीक्षा है, जब आपकी मेहनत के साथ-साथ आपकी दृढ़ता और निरंतरता की भी परीक्षा ली जाती है। यही वजह है कि इसमें आवेदन करने वाले लाखों युवा होते हैं, लेकिन सफलता केवल उन्हीं को मिलती है, जो इन तीन चीजों में संयम बनाकर तैयारी करता है। यह बात सबको पता है कि इस परीक्षा में सक्सेस रेट बहुत कम है, हालांकि फिर भी युवा इस परीक्षा की सालों से तैयारी कर रहे हैं और दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में अधिकारी के रूप में शामिल होने के लिए कोई अपने घर-परिवार को छोड़कर तैयारी कर रहा है, तो कोई 9 से 5 की नौकरी और घर की जिम्मेदारियों के साथ इस परीक्षा के लिए समय निकालकर सफलता के मुकाम तक पहुंचना चाहता है। हाल ही में सिविल सेवाओें के नतीजे भी जारी हो गए हैं, जिसके बाद हमारे सामने देशभर से युवाओं की प्रेरक और असाधरण कहानियां आ रही हैं। इन्हीं कहानियों में एक कहानी है बजरंग यादव की, जिनकी पिता की हत्या कर दी गई और इसके बाद उनके सिर पर इस सिविल सेवा परीक्षा को पास करने का जुनून सवार हो गया। इस लेख के माध्यम से हम बजरंग यादव की कहानी को जानेंगे।
बजंरग यादव का परिचय
बजरंग यादव मूलरूप से उत्तरप्रदेश के बस्ती जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने बस्ती से ही अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की, जिसके बाद उन्होंने इलाहबाद विश्वविद्यालय से बीएससी मैथ्स ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की।
दिल्ली आकर शुरू की तैयारी
बजरंद यादव ने एक कोचिंग संस्थान को दिए गए इंटरव्यू में बताया कि डिग्री पूरी करने के बाद वह दिल्ली आ गए थे। यहां आकर उन्होंने तैयारी शुरू कर दी थी। जब फॉर्म भरा, तो कुछ समय मिला पढ़ने के लिए, जिसका उपयोग उन्होंने पढ़ने के लिए किया।
21 साल की उम्र में पास किया प्रीलिम्स
बजरंग के मुताबिक, जब उन्होंने पहली बार प्रीलिम्स दिया, तो उनकी उम्र सिर्फ 21 साल थी, जो कि सिविल सेवा में शामिल होने के लिए न्यूनतम उम्र है। अपने पहले प्रयास में ही उन्होंने प्रीलिम्स की परीक्षा पास कर ली थी, जिसके बाद परिवार की उम्मीदें बढ़ीं, हालांकि वह मेंस की परीक्षा को पास करने में सफल नहीं हो सके।
2020 में पिता की हो गई हत्या
बजरंग के पिता गांव में रहकर खेती का काम करते थे। साल 202 में जब कोरोना महामारी ने दस्तक दी, तब उनके पिता की कुछ लोगों द्वारा हत्या कर दी गई। इसके बाद उनका परिवार पूरी तरह से टूट गया था। बजरंग कोरोना महामारी की वजह से अपनी पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सके थे। तब उनकी मां ने उन्हें रोते हुए हौंसला दिया था कि उन्हें ही अब चुनौती को पार करना है।
सिर पर सवार हुआ सिविल सेवा का जुनून
पिता की हत्या के बाद बजरंग पूरी तरह से टूट चुके थे, जिसके बाद उनके सिर पर सिविल सेवाओं को पास करने जुनून सवार हो गया था। इसके लिए वह दिन-रात पढ़ने लगे।
डेढ़ नंबर से प्रीलिम्स में फेल
बजरंग ने अपना दूसरा प्रयास किया, लेकिन सिर्फ डेढ़ नंबर से प्रीलिम्स की परीक्षा को पास करने में असफल रह गए। उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि तीसरे प्रयास के लिए तैयारी शुरू कर दी।
तीसरे प्रयास में हासिल की सफलता
बजरंग ने अपना तीसरा प्रयास किया और इस बार उन्होंने प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू में जगह बनाई। जब परिणाम जारी हुआ, तो वह अपने दोस्तों के साथ परिणाम का इंतजार कर रहे थे। बजरंग के मुताबिक, उन्होंने परिणाम की पीडीएफ में सिर्फ अपने नाम के तीन अक्षर लिखे थे, जिसके बाद उनका नाम आ गया था। इसे देखकर वह व उनके सभी दोस्त रोने लगे थे। उन्होंने 454वीं रैंक के साथ इस परीक्षा को पास किया है, जिसके बाद उन्हें IPS बनने का अवसर मिलेगा।