IRS Success Story: संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) सिविल सेवा परीक्षा देश की सबसे मुश्किल और प्रतिष्ठित सेवाओं में शुमार है। इस परीक्षा को पास करने के बाद दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की बागडोर संभालने का मौका मिलता है। हालांकि, यह मौका मिलना इतना आसान नहीं है। युवा कई वर्षों तक इस परीक्षा की तैयारी करते हैं और इसके बाद भी इसमें सफलता सुनिश्चित नहीं है। इसके बावजूद भी युवा इस परीक्षा के लिए दिन-रात तैयारी करते हैं और सफलता के शिखर तक पहुंचने के इंतजार में रहते हैं। आज हम आपको बिहार के रहने वाले प्रभाकर प्रभात की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने 10वीं कक्षा के बाद सिर्फ 14 साल की उम्र में ही रेलवे में सरकारी नौकरी हासिल कर ली थी। इसके बाद उन्होंने डिस्टेंस एजुकेशन से अपनी पढ़ाई पूरी की और नौकरी करते हुए पांच बार यूपीएससी सिविल सेवा को पास किया। वर्तमान में वह वित्त मंत्रालय में आईआरएस के रूप में वरिष्ठ पद पर भारत सरकार को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्रभाकर ने जागरण जोश से बातचीत में अपनी संघर्ष की कहानी को साझा किया है, कहानी जानने के लिए यह लेख पढ़ें।

प्रभाकर प्रभात का परिचय
प्रभाकर प्रभात मूलरूप से बिहार के नालंदा के रहने वाले हैं। परिवार में पिता नरेंद्र सिंह पेशे से किसान हैं और मां रंजू कुमारी आंगनवाड़ी में काम करती हैं। वहीं, पत्नी शिखा शेखर मेंटल हेल्थ के क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। प्रभाकर ने अपनी स्कूली पढ़ाई बिहार से ही पूरी की। उन्होंने पहले प्राथमिक विद्यालय से अपनी प्राथमिक शिक्षा को पूरा किया। इसके बाद तिलहाड़ा से 10वीं की पढ़ाई पूरी की, जिसमें उन्होंने टॉप किया था।
14 साल की उम्र में लगी नौकरी
प्रभाकर ने बताया कि जब उन्होंने 10वीं की पढ़ाई पूरी की, तो उन्होंने रेलवे के वोकेशनल कोर्स इन रेलवे कमर्शियल की परीक्षा को सातवीं रैंक के साथ पास कर लिया था। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, ऐसे में उन्होंने इस सेवा में जानने का फैसला किया। साथ ही डिस्टेंस एजुकेशन से पढ़ने का निर्णय लिया। उन्होंने सात सालों तक रेलवे में अपनी सेवाएं दी। इस दौरान उन्हें बेहतर काम करने के लिए रेलवे की ओर से कई बार सम्मानित भी किया गया।
यूपीपीसीएस में हासिल की सफलता
प्रभाकर ने नौकरी के साथ-साथ सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू कर दी थी। इस दौरान उन्होंने उत्तरप्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफलता हासिल करते हुए डिस्ट्रिक्ट ऑडिट ऑफिसर का पद हासिल किया। उनकी तैनाती यूपी के आजमगढ़ जिले में हुई, जहां उन्होंने एक साल तक काम किया।
2011 में पहली बार पास की UPSC परीक्षा
प्रभाकर ने नौकरी के साथ-साथ यूपीएससी सिविल सेवाओं की परीक्षा की तैयारी को जारी रखा था। उन्होंने साल 2011 में सिविल सेवा को क्रैक कर दिया था, जिसके बाद उन्हें IRS कस्टम की सेवा मिली।
साल 2012 में फिर पास की परीक्षा
प्रभाकर ने साल 2012 में फिर से सिविल सेवा परीक्षा दी और इस बार उन्हें इंकम टैक्स में आईआरएस अधिकारी के रूप में सेवा मिली। उन्होंने यह सेवा ज्वाइन कर ली। हालांकि, अपनी तैयारी को बंद नहीं किया, बल्कि वह नौकरी के साथ-साथ पढ़ते रहे।
साल 2013 में फिर पास की सिविल सेवा परीक्षा
प्रभाकर ने साल 2013 में फिर से सिविल सेवा को क्रैक कर दिया था, लेकिन उन्होंने ज्वाइनिंग नहीं ली।
2014 में IPS में चयन
2014 में प्रभाकर ने फिर से परीक्षा दी और इस बार उन्हें यूपी कैडर में आईपीएस अधिकारी के रूप में सेवा मिली।
साल 2016 में रेलवे में मिली नौकरी
साल 2016 में प्रभाकर ने सिविल सेवा परीक्षा को फिर से पास कर लिया था, जिसके बाद उन्हें रेलवे में नौकरी मिल गई थी, लेकिन उन्होंने यह सेवा ज्वाइन नहीं की।
वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ पद पर हैं कार्यरत
वर्तमान में प्रभाकर प्रभात वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी के रूप में भारत सरकार को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कोविड 19 के प्रथम चरण में जब अधिकांश लोगो की पहुंच से ऑक्सीजन सिलिंडर और मास्क,सैनिटाइजर दूर था, प्रभाकर प्रभात ने पहल करते हुए अपने दोस्तो और कुछ संगठनों की मदद से बिहार में बड़े पैमाने पर वेंटीलेटर, मास्क,सैनिटाइजर, PPE KIT और जरूरत की कई सामग्री अपने गृह राज्य को उपलब्ध करवाई थी।
पत्नी के साथ कर रहे हैं समाज सेवा
प्रभाकर प्रभात की पत्नी शिखा ने करियर विकल्प के रूप में सिविल सेवाओं को छोड़ अपनी सेवा मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे समाज के हाशिए के लोगो के बीच देने का निर्णय किया। उनके इस निर्णय में प्रभाकर प्रभात भी साथ दे रहे हैं। पति-पत्नी दोनों ही मेंटल हेल्थ पर काम कर रहे है। वे बिहार में स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं पर जोर दे रहे हैं। वहीं, उनकी पत्नी विशेष रूप से बच्चियों और महिलाओं के लिए काम कर रही हैं। इसके साथ ही पती-पत्नी मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में भी युवाओं को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। प्रभाकर अन्य सिविल सेवकों के साथ मिलकर सिविल सेवाओं की तैयारी कर रहे युवाओं को भी मेंटोरशिप प्रदान कर रहे हैं।
पढ़ेंः Success Story: कभी रेलवे में की टिकट कलेक्टर की नौकरी, आज CISF में डिप्टी कमांडेंट हैं राकेश निखज