कॉमर्स एक बहुत ही आकर्षक करियर विकल्प और स्ट्रीम है. कई छात्र कक्षा 12 वीं की परीक्षाओं के बाद कॉमर्स स्ट्रीम का विकल्प चुनते हैं. हालांकि, एक आम सवाल जो अक्सर उन्हें चकरा देता है वो यह है कि दरअसल बीकॉम और बीकॉम ऑनर्स में क्या अंतर है ? वस्तुतः ये दोनों ही पाठ्यक्रम एक ही एकेडमिक क्षेत्र से आते हैं. लेकिन इनके सिलेबस में बहुत अंतर होने के साथ साथ इनके सीखने के दृष्टिकोण भी अलग अलग होते हैं. अतः कॉलेज स्टूडेंट्स को इन दोनों विषयों के बारे में पूर्ण जानकारी रखनी चाहिए. ताकि अगर उनकी रूचि इन विषयों में हो तो वे उनका सही प्रयोग बेहिचक कर सकें. इन दोनों विषयों के पाठ्यक्रम में अंतर के कुछ पैरामीटर निम्नांकित हैं -
बीकॉम और बीकॉम (ऑनर्स)के बीच अंतर
करिकुलम
बीकॉम करने वाले छात्रों के पास एक स्टडी प्रोग्राम होता है जिसमें सभी विषयों का सिलेबस होता है जिनकी पढ़ाई इस दौरान उन्हें करनी होती है. इन दोनों ही प्रोग्राम में छात्रों को पढ़ाये जाने वाले विषय लगभग समान ही होते हैं. लेकिन बीकॉम में डिग्री हासिल करने वालों के वनिस्पत बीकॉम (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त करने वालों को एक विशिष्ट विषय में विशेषज्ञता हासिल करने का प्रमाण पत्र दिया जाता है. बीकॉम (ऑनर्स) प्रोग्राम के अंतिम वर्ष के छात्रों को एक विशेष विषय जैसे लेखा, वित्त, अर्थशास्त्र इत्यादि विषयों में विशेषज्ञता हासिल करनी पड़ती है.
कोर्स का उद्देश्य
बीकॉम कोर्स एक ऐसा प्रोग्राम है जिसे वाणिज्य डोमेन के विभिन्न पहलुओं से छात्रों को परिचित कराने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है. इसके जरिये वे यह सीखेंगे कि व्यापार कैसे किया जाता है ? जबकि, बीकॉम (ऑनर्स) के पाठ्यक्रम को छात्रों में व्यवसायिक कौशल को विकसित करने और इस क्षेत्र से जुडी सभी गहन जानकारियां प्रदान करने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है. चार्टर्ड अकाउंटेंसी में अपना करियर बनाने की चाहत रखने वाले छात्रों के लिए यह कोर्स बहुत लाभप्रद साबित हो सकता है.
प्रवेश मानदंड / कट-ऑफ
दोनों पाठ्यक्रमों में प्रवेश कक्षा 12 वीं बोर्ड के परिणामों के आधार पर ही दिया जाता है. बीकॉम (ऑनर्स) का कट-ऑफ बीकॉम की तुलना में बहुत अधिक होता है. दिल्ली विश्वविद्यालय के बी.कॉम (ऑनर्स) के कुछ बहुत ही प्रतिष्ठित कॉलेजों हंसराज, एसआरसीसी, रामजास और अन्य कॉलेजों में प्रति वर्ष इस विषय की मांग बहुत अधिक बढ़ जाने के कारण हर साल इन कॉलेजों में कट-ऑफ बहुत ऊँचा होता है.
मार्केट वैल्यू
जब तक कोई छात्र एमबीए या एम.कॉम जैसे कुछ व्यावसायिक पाठ्यक्रम की डिग्री नहीं ले लेते बीकॉम की मार्केट वैल्यू बहुत अधिक नहीं है. जबकि बीकॉम (ऑनर्स) एक स्पेशलाइजेशन कोर्स है, जो बेहतर अवसर प्रदान करता है और इससे अच्छे पैकेज भी मिलने की संभावना होती है. व्यापार जगत में इसकी बहुत मांग है.
सैलरी और जॉब्स
बीकॉम में डिग्री हासिल करने के बाद छात्रों के पास बहुत से जॉब विकल्प हैं, लेकिन वेतन पैकेज बहुत ही आकर्षक नहीं होता है. फ्रेशर्स प्रति माह 14,000-20,000 रुपये तक के वेतन पैकेज की उम्मीद कर सकते हैं. जबकि, बीकॉम (ऑनर्स) कोर्स वालों के लिए एक अच्छा वेतन पैकेज मिलने की संभावना होती है. नए स्नातक प्रवेश स्तर की नौकरियों में लगभग 25,000 से 45,000 रुपये प्रति माह वेतन की अपेक्षा कर सकते हैं. इसके अलावा वेतन विकल्प आपके अच्छे कॉलेज से स्नातक होने के आधार पर भिन्न भिन्न हो सकते हैं.
उम्मीद है कॉलेज स्टूडेंट्स के लिए ये जानकारी उपयोगी सिद्ध होगी. कॉलेज जीवन से जुड़े ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए छात्र www.jagranjosh.com/college पर जा सकते हैं.