अनुबंध आधारित जॉब्स / कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स / सर्विस या संविदा नौकरी ऐसे शब्दों को अक्सर राज्य या केंद्र सरकार विभिन्न डिपार्टमेंट में अंशकालिक (पार्टटाइम) / अस्थाई नौकरी की भर्ती के लिए प्रयोग करती हैं. कॉन्ट्रैक्ट टीचर, कॉन्ट्रैक्ट इंजीनियर, कॉन्ट्रैक्ट डॉक्टर, कॉन्ट्रैक्ट/ अनुबंध कर्मचारी आजकल लगभग हर विभाग में सबसे अधिक प्रचलित शब्द है. नौकरियों की भर्ती के मामले में अब यह शब्द आम होता जा रहा है. यह अंशकालिक (पार्टटाइम) कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स अधिकतर एक या दो वर्ष की समय अवधि के लिए होते हैं या फिर पूर्णरूपेण अस्थाई. अनुबंध अवधि या सेवा समाप्त होने के बाद अनुबंधित सेवा की अवधि में वृद्धि करना या तो कार्य की उपलब्धता या फिर नियोक्ता (संगठन) पर निर्भर करता है. आइए जानते हैं- क्या हैं कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स? 'संविदा' या कॉन्ट्रैक्ट किसे कहा जाता है.
कॉन्ट्रैक्ट क्या होता है?
अनुबंध आधारित जॉब्स / कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स या संविदा नौकरी / सर्विस या अनुबंधित नौकरी, एक कानूनी प्रक्रिया है जिसमे क़ानून के अनुसार कुछ तथ्य अन्तर्निहित है. इसे और अधिक विस्तृत रूप से स्पष्ट किया जाए तो हम कह सकते हैं कि ‘दो या दो से अधिक व्यक्तियों या पक्षों के बीच उनकी इच्छा के अनुरूप ऐसा समझौता जिसके तहत किसी पक्ष द्वारा प्रतिज्ञात कृत्य, व्यवहार या क्रिया के बदले दूसरे पक्ष पर कुछ देने या करने या सहने या सहमति या कोई विशिष्ट प्रकार का लेन- देन करने का दायित्व हो, जो सम्बंधित पक्षों (दो या उससे अधिक) के मध्य उस विषय के सम्बन्ध में क़ानूनी सम्बन्ध स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया हो, उसको अनुबन्ध, कॉन्ट्रैक्ट या संविदा कहा जाता है.’ सरकार ने संविदा के सम्बन्ध में नियम कानून भी पारित किए हैं, जसे भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 के नाम से जाना जाता है.

विभिन्न विभागों में अनुबंध के आधार पर जो कर्मचारी भर्ती किए जाते है उनकी शैक्षिक योग्यता तथा कार्य की प्रकृति तो अन्य कर्मचारियों के जैसी ही या कभी कभी उनसे भी अधिक होती है, किन्तु विभाग द्वारा मिलने वाली विभिन्न सुविधाओं से उनको (संविदा नियुक्ति) लगभग वंचित ही रखा जाता है. मानदेय के नाम पर भी अनुबंध आधारित कर्मचारी (उम्मीदवार) को साधारण से कुशल श्रमिक (स्किल्ड लेबर) से भी कम भुगतान किया जाता है. कई आर्गेनाईजेशन तो निर्धारित मानदेय का भी पालन नहीं करते.
कॉन्ट्रैक्ट के तहत नौकरी / जॉब्स-
अनुबंध आधारित जॉब्स / कॉन्ट्रैक्ट नौकरी / संविदा नौकरी की बात की जाय तो यह है तो नौकरी ही, किन्तु इसमें उम्मीदवार को नियोक्ता द्वारा स्थापित शर्तों (अनुबंध) का पालन करना होता है.
एजुकेशन डिपार्टमेंट, हेल्थ डिपार्टमेंट, इलेक्ट्रिसिटी, रेलवे, ज्यूडिशियरी, बैंक, टेलीकम्यूनिकेशन, रोडवेज सहित लगभग सभी सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स पर एम्प्लोइ को निउक्त किया जाता है. सरकारी डिपार्टमेंट समय-समय पर अपने यहाँ संविदा नौकरी के पदों के लिए नोटिफिकेशन भी जारी करते रहते हैं.
कैसे होता है संविदा पर चयन:
जिस तरह से स्थायी सरकारी नौकरियों के लिए सम्बंधित डिपार्टमेंट द्वारा अधिसूचना जारी की जाती है, ठीक उसी प्रकार कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स के लिए भी सरकारी संगठन या सम्बन्धित संगठन समय-समय पर अधिसूचना जारी करते हैं. अनुबंध आधारित जॉब्स / संविदा की नौकरियों में भी सरकारी नौकरियों की तरह विभाग के अनुरूप अलग-अलग पात्रता मानदण्ड, आयु सीमा, सैलरी इत्यादि का विचार किया जाता है. योग्यता मानदंडों में आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को छूट भी अन्य नौकरियों की भांति प्रदान की जाती है. सामान्य रूप से अनुबंध आधारित जॉब्स / संविदा की नौकरियों के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को सम्बन्धित विभाग के नियमानुसार संगठन एवं पद की प्रकृति के अनुरूप अलग - अलग चयन प्रक्रिया का पालन करना होता है.
क्या होती है अल्पकालीन संविदा?
अल्पकालीन संविदा भी प्रतिनियुक्ति का ही एक रूप है, जहां गैर-सरकारी निकायों, जैसे विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, शिक्षण, अनुसंधान, वैज्ञानिक और तकनीकी पदों के लिए पब्लिक सेक्टर के उपक्रमों में कार्यरत कर्मचारियों की उम्मीदवारी पर विचार किया जाता है.
वेतन / सैलरी:
पदों के लिए पब्लिक सेक्टर के उपक्रमों में कार्यरत कर्मचारियों की उम्मीदवारी पर विचार किया जाता है. किन्तु धीरे-धीरे मजदूर संगठनों की जागरूकता और शोषण के खिलाफ आवाज उठाने पर न्यायालय के दखल के बाद अब 'इक्वल पे फॉर इक्वल वर्क / जॉब' का प्रावधान बनाया गया है. सभी विभागों में इसका पालन किया जा रहा हो, इसमे भी संदेहास्पद स्थिति है, क्योंकि अभी भी विभिन्न मजदूर संगठन अब भी 'समान काम समान वेतन' का झंडा उठाए आन्दोलनरत रहते हैं. कुछ विभागों ने न्यायालय के आदेश से बचने के लिए स्वयं सीधी भर्ती न करके कंपनी वर्क / अनुबंध का सहारा लिया जाता है.