जानिये क्या अंतर होता है आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस तथा मशीन लर्निंग में ?

आजकल गूगल, फेसबुक और लिंक्डइन जैसी टेक्नीकल क्षेत्र की अग्रणी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नीक में निवेश कर रही हैं और लोगों को रोजगार का अवसर भी मुहैया करवा रही हैं.स्मार्टफोन की तरह ही अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नीक को हरेक उपकरण के साथ जोड़ने की कोशिश की जा रही है.

मशीन लार्निंग
मशीन लार्निंग

वस्तुतः आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसी टेक्नीक है, जिसमें एक कंप्यूटर अपने प्रोग्राम में दिए जा रहे निर्देशों को समझने के बाद उन्हें संरक्षित करता है और उनके आधार पर भविष्य की जरूरतों को समझते हुए निर्णय देता है या फिर उसके अनुसार काम करता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये अब  मशीनों के बीच संवाद करना भी मुमकिन हो गया है.वास्तव में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' ने रोबोटिक्स की दुनिया को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है.इस टेक्नीक की वजह से अब रोबोट में चीजों को सीखने की क्षमता आ गयी है. अब रोबोट कुछ काम करने का निर्णय खुद ही ले सकता है. आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के तहत स्पीच रिकग्निशन, विजूअल परसेप्शन, लैंग्वेज आइडेंटिफिकेशन और डिसीजन मेकिंग आदि का जिक्र किया जा सकता है . हम अपने इर्द गिर्द कुछ ऐसे सिस्टम्स देख सकते हैं जो वॉयस कमांड्स पर काम कर करते हैं.ये आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सिस्टम्स ही तो हैं. वर्ष 1950 में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत के बाद सिरी, अलेक्सा, कॉर्टोना और ड्राईवरलेस कारें आदि इसका सफल एवं स्पष्ट उदाहरण हैं. इस समय हमारे देश में लगभग 40 – 42 हजार आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस प्रोफेशनल्स काम कर रहे हैं तथा भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का वार्षिक योगदान लगभग $230 मिलियन है. भारत के  बैंगलोर शहर को आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का प्रमुख केंद्र माना जाता है. भारत में लगभग 1 हज़ार कंपनियां आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल अपने डेली रूटीन के कार्यों के तहत करती हैं.

Shiv Khera

लेकिन मशीन लर्निंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ही एक सबसेट है. मशीन लर्निंग कॉन्सेप्ट की जरुरत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अंतर्गत ही पड़ती है. अथवा मशीन लर्निंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक हिस्सा है जिसका उपयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सम्पूर्ण संचालन में किया जाता है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की खोज अभी हाल के ही तीन चार दशकों के दौरान की गयी है लेकिन इसका बहुत लम्बा इतिहास रहा है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वनिस्पत मशीन लर्निंग का कॉन्सेप्ट हाल – फिलहाल के कुछ वर्षों में ही सामने आया है. 50 तथा 60 के दशक में गणित, कंप्यूटर विज्ञान, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के वैज्ञानिकों ने आर्टिफिसियल माइंड बनाने का विचार रखा था. 1956 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एकेडमिक रूप से मान्यता दे दी गयी.

इसी दौरान एलेन ट्यूरिंग ने एक टेस्ट ईजाद किया जिसके जरिये किसी मशीन के सोचने की क्षमता की संभावनाओं का आकलन किया जा सकता है. इस टेस्ट में सफलता के लिए किसी भी मशीन के पास मनुष्य की तरह बात करने तथा उसके संकेतों को समझने की क्षमता होनी चाहिए. मशीन लर्निंग के तहत मशीन द्वारा मनुष्य की तरह बातचीत करने तथा उसके संकेतों को समझने की प्रक्रिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के फील्ड में पहली सफलता थी.

जैसे-जैसे हम मशीन्स के इस्तेमाल के आदी होते जा रहे हैं ठीक उसी तरह, मशीन लर्निंग में हमारा कौशल और निर्भरता बढ़ने के साथ ही रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन में भी हमारी निर्भरता बढ़ती ही जा रही है और इसका सर्वोत्तम उदाहरण ड्रोन्स और रोबोट्स का हमारे दैनिक जीवन में बढ़ता हुआ प्रयोग है. आजकल फाइनेंस, हेल्थकेयर और इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेसेज में रोबोट्स का इस्तेमाल बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि ये रोबोट्स हमारे रोज़मर्रा के एक जैसे या फिर मुश्किल काम को काफी सहज बना देते हैं. मशीन्स भी अब मेन्युअली ऑपरेट होने के बजाए ऑटोमेटिक होती जा रही हैं.

जॉन मैकार्थी के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एक बुद्धिमान मशीन बनाने के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया जा सकता है.

फ़िलहाल के कुछ वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के फील्ड में कई इन्नोवेशन हुए तथा उसमें सफलता भी मिली. सामान्य शब्दों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को विभिन्न श्रेणियों में डेटा का एक जटिल मानचित्रण कहा जा सकता है. इसके अंतर्गत कोई भी मशीन फीड किये गए डेटा के आधार पर क्रियाशील होती है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की व्यापकता के आधार पर निम्नांकित विषयों का अध्ययन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अंतर्गत किया जाता है.

  • डिडक्शन,रीजनिंग और प्रोब्लम सॉल्विंग
  • नॉलेज रिप्रेजेंटेशन
  •  प्लानिंग एंड शेड्यूलिंग 
  • मशीन लर्निंग
  • नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग
  • कम्प्यूटर विजन
  • जनरल इंटेलिजेंस ( मजबूत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस )

वास्तव में मशीन लार्निंग है क्या है ?

मशीन लर्निंग कुछ उदाहरणों को लेकर उनके पैटर्न को समझता है और फिर उस पैटर्न का इस्तेमाल करके नए उदाहरणों के बारे में पहले से अनुमान लगाता है.

इसे हम एक फिल्म के आधार पर समझ सकते हैं. मान लीजिए कि कुछ लोग अपनी दस मनपसंद फ़िल्में बताते हैं. इन उदाहरणों का उपयोग करके कंप्यूटर यह जान सकता है कि लोगों को पसंद आई फ़िल्मों में क्या समानता है ? फिर कंप्यूटर इन उदाहरणों को समझाने वाले पैटर्न पेश करता है जैसे, “डरावनी फ़िल्में पसंद करने वाले लोग आमतौर पर रोमांस पसंद नहीं करते, लेकिन लोगों को किसी एक अभिनेता की फ़िल्में पसंद आती हैं.” फिर अगर आप कंप्यूटर को बताते हैं कि आपको करन जौहर की फ़िल्म “कुछ कुछ होता है”, तो यह एक अनुमान लगा सकता है कि करन जौहर की ही “स्टूडेंट्स ऑफ द ईयर” भी आपको पसंद आएगी या नहीं.

वस्तुतः मशीन जिन पैटर्न को सीखती है वह बहुत जटिल हो सकता हैं और उन्हें शब्दों के माध्यम से समझाना भी बहुत मुश्किल हो सकता है. जैसे गूगल फोटो सर्च करने पर आप जिस फोटो को सर्च करते हैं उसे ही गूगल दिखाता है. यह मशीन लर्निंग का ही उदाहरण है. इसमें कंप्यूटर पिक्सेल के पैटर्न और रंगों के पैटर्न की मदद से ये अनुमान लगाता है कि यह खरगोश है या बन्दर (या कुछ और). सबसे पहले कंप्यूटर यह अनुमान लगाता है कि बन्दर  की पहचान के लिए कौन से पैटर्न अच्छे हो सकते हैं ? फिर यह उदाहरण में इस्तेमाल हुई बन्दर की फ़ोटो को देखकर जांचता है कि क्या उसके पैटर्न ठीक काम कर रहे हैं. अगर यह गलती से बन्दर को बिल्ली समझ रहा है तो इस्तेमाल किए गए पैटर्न में छोटे-मोटे बदलाव कर देता है. फिर यह बिल्ली की फ़ोटो को देखता है और सही पैटर्न पाने के लिए इसमें फिर से सुधार करता है और यही प्रक्रिया अरबों बार दोहराई जाती है. इस प्रक्रिया में मशीन अंततः सही फैक्ट पकड़ने की कोशिश करता है.

अब अलग-अलग लोगों के लिए इन शब्दों का मतलब अलग-अलग हो सकता है, लेकिन आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस मोटे तौर पर उन कंप्यूटर प्रोग्रामों के लिए एक शब्द है जो उन समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है जिसे इंसान आसानी से कर सकते हैं, जैसे किसी फ़ोटो को देखकर उसके बारे में बताना. एक और काम जो इंसान आसानी से कर लेते हैं वो है उदाहरणों से सीखना. मशीन लर्निंग प्रोग्राम भी यही करने की कोशिश करते हैं

दिलचस्प बात यह है कि जब हम समझ जाते हैं कि ऐसे कंप्यूटर प्रोग्राम कैसे बनाएं जाते हैं ? तो हम उन्हें बहुत सारे डेटा को तेज़ी से प्रोसेस करना सिखा सकते हैं जिससे वे मुश्किल काम भी पूरे कर सकें जैसे गो (बोर्ड गेम) में महारत हासिल करना, ट्रैफ़िक में सभी लोगों का एक साथ राउट करना, पूरे देश में ऊर्जा के इस्तेमाल को बेहतर बनाना आदि.

असल में अलग-अलग लोगों के लिए इन शब्दों का मतलब अलग-अलग हो सकता है, लेकिन आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस मोटे तौर पर उन कंप्यूटर प्रोग्रामों के लिए एक शब्द है जो उन समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है जिसे इंसान आसानी से कर सकते हैं, जैसे किसी फ़ोटो को देखकर उसके बारे में बताना. एक और काम जो इंसान आसानी से कर लेते हैं वो है उदाहरणों से सीखना. मशीन लर्निंग भी मुख्य रूप से उदाहरणों से ही सीखने का प्रयास करता है और कंप्यूटरों को उदाहरणों से सीखने के बारे में बताता है.

नैसकॉम और फिक्की की एक रिपोर्ट के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से भारत के कुछ प्रमुख औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में तकनीकी विस्तार को बढ़ावा मिलेगा. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण आईटी, रिटेल, फाइनेंस, टेक्सटाइल और ऑटो सेक्टर में बड़ी संख्या में नौकरियां सृजित होंगी. कुछ लोगों का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से कर्मचारियों की जरूरत कम हो जाएगी, लेकिन विशेषज्ञों की राय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रयोग से ऐसे लोगों की जरूरत और बढ़ेगी ताकि वे इन मशीनों को संभाल सकें और साथ ही उसका निर्माण भी कर सकें.

आजकल गूगल, फेसबुक और लिंक्डइन जैसी टेक्नीकल क्षेत्र की अग्रणी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नीक में निवेश कर रही हैं और लोगों को रोजगार का अवसर भी मुहैया करवा रही हैं.स्मार्टफोन की तरह ही अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नीक को हरेक उपकरण के साथ जोड़ने की कोशिश की जा रही है.

‘फोरेस्टर रिसर्च' की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नीक का मौजूदा बाजार लगभग तीन गुणा बढ़ कर सालाना 1.2 खरब डॉलर तक होने की संभावना है.हरेक क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग बढ़ रहा है और यह इस टेक्नीक के जानकार उम्मीदवारों के लिए एक शुभ संकेत है.

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