भारत में छात्रों द्वारा मैनेजमेंट कॉलेजों और इंस्टीट्यूट्स को बी-स्कूलों के रूप में ही मानना आम बात है. लेकिन क्या आपको पता है कि आईआईएम्स अपने आप को एक बीस्कूल नहीं मानते हैं ? प्रोफेसर वी के उन्नी,फैकल्टी, पब्लिक पॉलिसी एंड मैनेजमेंट ग्रुप,आईआईएम कलकत्ता यह बता रहे हैं कि भारत में आईआईएम कलकत्ता और अन्य प्रमुख एमबीए कॉलेजों को बी-स्कूलों के रूप में क्यों नहीं देखा जाना चाहिए ? वीडियो के अंत में उन्होंने डिजिटल एज की वजह से आज के व्यावसायिक युग में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों के विषय पर भी प्रकाश डाला है. इन्टरव्यू का सारांशआईआईएम कलकत्ता बी-स्कूल क्यों नहीं है ?कई अन्य इंस्टीट्यूट्स के विपरीत आईआईएम कलकत्ता खुद को बी-स्कूल के रूप में नहीं मानता है. वैसे आम तौर पर हम यह देखते हैं कि प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट्स भी अपने आप को बी-स्कूल कहने में गर्व महसूस करते हैं. लेकिन बी-स्कूल शब्द का तात्पर्य है केवल व्यवसायों से संबंधित समस्याओं पर केंद्रित इंस्टीट्यूट. आईआईएम कलकत्ता खुद को एक मैनेजमेंट स्कूल के रूप में देखता है क्योकि यह सिर्फ बिजनेस से जुड़ी समस्याओं के हल तक ही सीमित नहीं है. इसके जरिये मैनेजमेंट से जुड़े सभी मुद्दों यानी बिजनेस के साथ साथ अन्य इंडस्ट्री से जुड़े समस्याओं का भी समाधान तलाशने का प्रयास किया जाता है. जिन क्षेत्रों के लिए इस इंस्टीट्यूट द्वारा काम किया जाता है उनमें से मुख्य हैं -
इसलिए आईआईएम कलकत्ता एक बी स्कूल से बहुत ज्यादा है अर्थात सिर्फ एक बी स्कूल ही नहीं है. इस बात को ध्यान में रखते हुए आईआईएम कलकत्ता एक ऐसे अच्छा कॉर्पोरेट नागरिक के निर्माण में विश्वास रखता है,जो न केवल व्यापार लाभ को अधिकतम करने हेतु चिंतित हो बल्कि नैतिक मूल्यों के आधार पर अपने सभी कार्यों को संचालित करता हो. इस तरह की नैतिकता का पाठ छात्रों को ऐसे मैनेजमेंट स्कूल जहाँ मैनेजमेंट से जुड़े सभी पहलुओं जैसे- बिजनेस,सोशल कार्पोरेट रिस्पोंस्बिलिटी और सस्टेनेबल ग्रोथ आदि विषयों पर फोकस किया जाता है,द्वारा ही पढ़ाया जा सकता है. डिजिटल एज की वजह से बिजनेस द्वारा फेस की जाने वाली चुनौतियां और अवसर पिछले दशक में डिजिटल युग के आगमन से हमारे जीवन जीने के तरीके पर बहुत बड़ा असर पड़ा है. इसमें हमारा व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन दोनों ही शामिल है. पिछले कुछ वर्षों में हुए बदलावों की हम 15 साल पहले कल्पना तक नहीं कर सकते थें. लेकिन परिवर्तन के साथ कुछ अवसर मिलते हैं तो कुछ चुनौतियां भी सामने आती हैं. इन चुनौतियों को विशेष रूप से बिजनेस और कॉर्पोरेट के सन्दर्भ में मैनेज और हल करने की आवश्यकता होती है. अर्थात बिजनेस और कॉरपोरेट्स को डिजिटल प्लेटफॉर्म और उनके माध्यम से प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के अनुरूप अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी, फंड-राइजिंग स्ट्रेटेजी को बदलना और फिर से उसका मॉडल तैयार करना आदि पर विशेष रूप से ध्यान देना होगा. उदाहरण के लिए फंड रेजिंग के मामले में आजकल स्टार्ट अप क्राउड फंडिंग के जरिये विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से फंड इकट्ठा कर सकते हैं. यही कारण है कि आईआईएम कलकत्ता के छात्रों को नए डिजिटल युग के उपकरणों का व्यावसायिक उपयोग और क्षमताओं और अवसरों को सर्वश्रेष्ठ तरीके से बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. आईआईएम-कलकत्ता में फैकल्टी छात्रों के साथ मिलकर डिजिटल क्षेत्र के लिए उपयोगी नए रास्तों का पता लगाने के लिए एक साथ काम करते हैं और इससे जुड़े रिसर्च पेपर और रिपोर्टों को प्रकाशित करते हैं. इनका उपयोग विभिन्न संगठनों द्वारा उनके बिजनेस के लिए किया जाता है. इस प्रकार हम देखते हैं कि आईआईएम कलकत्ता चुनौतियों का सामना करने और डिजिटल युग में प्राप्त अवसरों का उत्कृष्टता पूर्वक फायदा उठाने के लिए छात्रों को मानसिक रूप से तैयार करता है. |
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