नर्सिंग एक ऐसा प्रोफेशन है जिसमें अगर आपके अन्दर सेवा भावना न हो तो इसमें सरवाइव करना बहुत मुश्किल होता है. इस प्रोफेशन की नींव ही सभी को समान समझते हुए अपने अन्दर की सेवा भावना के आधार पर किसी की मदद करना या बीमारी अथवा अपरिहार्य परिस्थितियों में लोगों की सेवा करने की भावना से तैयार होती है. हेल्थ सेक्टर में नर्सिंग की जरुरत सर्वाधिक होती है. बढ़ती जनसंख्या तथा शहरीकरण की वजह से चिकित्सा सेवाओं की मांग में निरन्तर वृद्धि हो रही है.इस बढ़ती मांग के कारण गाँव, शहर,देश विदेश हर जगह नए-नए अस्पताल और नर्सिंग होम की स्थापना हो रही है.
इंवेस्टमेंट कमीशन ऑफ इंडिया के अनुसार देश का हेल्थ केयर सेक्टर बहुत तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है. आने वाले समय में इससे संबंधित क्षेत्रों में रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध होंगे. चूँकि नर्सिंग भी इन्हीं में से एक है. इसलिए इसकी डिमांड में भी बढ़ोत्तरी होना स्वाभाविक है. इसी कारण इस पेशे की तरफ युवाओं का रूझान भी बढ़ा है. नर्सिंग के क्षेत्र में बहुत कुछ नया हो रहा है. सरकार की 130 जरनल नर्सिंग मिडवाइफरी और 130 ऑग्जिलरी नर्सिंग मिडवाइफ स्कूल खोलने की योजना है. इनके अलावा विभिन्न राज्यों में राज्य नर्सिंग परिषद और नर्सिंग सेल को भी मजबूत बनाये जाने की कोशिश की जा रही है. गौरतलब है कि नर्सिंग के क्षेत्र में अब महिलाओं के साथ साथ पुरूष भी बड़ी संख्या में अपना करियर बना रहे हैं.विदेशों में नर्सिंग के सुनहरे मौकों ने भारत से नर्सों की बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित किया है, जिसकी वजह से भारत में नर्सिंग पेशेवरों की संख्या में भारी गिरावट आ गई है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस स्थिति से निबटने तथा इसमें सुधार लाने के लिए पूरी नर्सिंग व्यवस्था को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई है.

आइये नर्सिंग से जुड़े कुछ विशेष पहलुओं पर चर्चा करते हैं-
नर्सिंग की विशेषताएं
मानवता से जुड़ा कार्य
नर्सिंग एक सेवाभाव का कार्य है जिसमें रोगी का उपचार कर उसे शरीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रखा जाता है. एक अच्छी नर्स केवल मरीज का उपचार ही नहीं करती है, वह उसे स्वस्थ्य होने का भरोसा दिलाकर मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत करने का कार्य भी करती है. उसकी सेवा भवना सबके लिए एक समान ही होती है.
संघर्षपूर्ण कार्य
नर्सिंग काम कोई आसान काम नहीं है. इसमें हर कदम पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. नर्सों को मरीज के दुख-दर्द में हिस्सेदार बनना पड़ता है. मरीज की भलाई के लिए कभी-कभी अपनी भावनाओं की बलि देकर उसके साथ सख्त व्यवहार भी करना पड़ता है.हर व्यक्ति के वश की बात नहीं है ऐसा करना.लगभग एक हजार ईसा पूर्व चरक ने लिखा था कि उपचारिका (नर्स) को पवित्रता, चतुरता, ममता और सेवा भाव से परिपूर्ण होने के साथ पूरी तरह अनुशासित होना नितांत आवश्यक है और यह बात बिलकुल सही है तथा नर्सों की लाइफ स्टाइल पर पूरी तरह से चरितार्थ भी होती है.
देश-विदेश में काम करने का मौका मिलता है
आज अधिकांश देशों में प्रशिक्षित नर्सों की कमी देखने को मिल रही है. अपने देश भारत की भी यही स्थिति है. यहां आबादी के हिसाब से जितनी नर्सें होनी चाहिए, वास्तविक संख्या उससे बहुत कम हैं.एक अनुमान के अनुसार इस समय देश में लगभग चार लाख प्रशिक्षित नर्सें हैं जबकि आवश्यकता इससे कहीं अधिक की है. जिस तरह जनसंख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले दो वर्षों में भारत में कम से कम दस लाख प्रशिक्षित नर्सों की आवश्यकता पड़ेगी. इस तरह के अनुमानों और चिकित्सा क्षेत्र में हो रहे विस्तार से यह साफ जाहिर है कि आने वाले कई वर्षों तक नर्सिंग सेक्टर में रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध होंगे.
ग्लोबल लेवल पर है भारतीय नर्सों की मांग
मरीजों के साथ मानवीय व्यवहार और काम के प्रति निष्ठा एवं निपुणता के कारण भारतीय नर्सें विश्व में सबसे अच्छी नर्सें मानी जाती हैं. दूसरे देशों में जाकर काम करने के मामले में सबसे अधिक संख्या भारतीय नर्सों की ही है. अमेरिका के साथ-साथ यूरोपीय देशों में भारतीय नर्सों की मांग में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है.ब्रिटेन में नर्सिंग का काम करने वाली विदेशी महिलाओं में सबसे अधिक संख्या भारतीयों की ही है. भारतीय राज्य केरल से सर्वाधिक लोग इस पेशे में आते हैं.
सम्मानित प्रोफेशन
मानवीय सेवा का कार्य होने के कारण नर्सिंग को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है. अमेरिका और पश्चिमी देशों में तो नर्सों को अच्छे-खासे वेतन के साथ-साथ अन्य विशेष सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती ह
एक आंकड़े के अनुसार देश से प्रति वर्ष करीब 15 से 20 हजार नर्सें नौकरी के लिए विदेश जाती हैं. इनमें से भी अधिकांश दक्षिण भारतीय राज्यों विशेषत: केरल प्रांत की होती हैं. इस फील्ड से संबंधित जो लोग विदेश में काम करना चाहते हैं उन्हें भलीभांति अंग्रेजी लिखना और बोलना आना चाहिए. अंग्रेजी की अच्छी जानकारी के बिना विदेश में काम करना मुश्किल होता है.
महिलाओं के लिए उपयुक्त प्रोफेशन
नर्सिंग के काम में जिन मानवीय गुणों की आवश्यकता होती है, वे पुरुषों की तुलना में महिलाओं में स्वाभाविक रूप से अधिक पाए जाते हैं. यही कारण है कि इस फील्ड में काम के लिए महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है. चिकित्सा क्षेत्र का विस्तार शहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों दोनों में लगभग समान रूप से हो रहा है इसलिए दोनों ही जगहों की महिलाएं इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त कर अपना भविष्य बना सकती हैं.
सरकार द्वारा इस प्रोफेशन को प्रोत्साहन
स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर और प्रत्येक नागरिक की पहुंच में लाने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. हाल ही में नर्सों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा बड़ी संख्या में नर्सिंग ट्रेनिंग सेंटर खोलने की घोषण की गई है. आयुष्मान भारत के विषय में बोलते समय प्रधानमंत्री का यह कथन कि “पीएमजेएवाई से जुड़े सभी लोगों के प्रयासों और डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य प्रदाताओं, आशा, एएनएम आदि के समर्पण के माध्यम से, यह योजना सफल होगी” से नर्सों के महत्व की बात हैं.
निरंतर ग्रोथ वाला सेक्टर
इनवेस्टमेंट कमीशन ऑफ इंडिया के अनुसार देश का हेल्थ केयर सेक्टर लगभग 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से आगे बढ़ रहा है. एक अनुमान के अनुसार सन 2020 तक यह इंडस्ट्री 280 बिलियन अमेरिकी डॉलर की हो जाएगी. तथ्य दर्शा रहे हैं कि आने वाले समय में मेडिकल से संबंधित सभी क्षेत्रों में पर्याप्त रोजगार होंगे, नर्सिंग भी उसी में से एक है. स्वास्थ्य क्षेत्र निरंतर ग्रोथ कर रहा है.1990 के दशक में भारतीय स्वास्थ्य देखभाल दर 16% की वार्षिक दर से बढ़ी. ऐसे में अधिक नर्स की डिमांड स्वाभाविक है.
नर्सिंग से जुड़े कोर्स तथा पाठ्यक्रम
नर्सिंग से संबंधित कई तरह के कोर्स विभिन्न संस्थानों द्वारा चलाए जा रहे हैं. इन कोर्सों में शॉर्ट टर्म से लेकर लॉन्ग टर्म सभी तरह के कोर्सों के लिए निर्धारित न्यूनतम शैक्षिक योग्यता अलग-अलग है. नर्सिंग के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने की चाह रखने वाले अधिकतर लोग इस विषय से बीएससी एवं एमएससी ही करना चाहते हैं. इनके अलावा भी कई तरह के कोर्स हैं जो इस सेक्टर में काम करने वालों की वरीयता सूची में शामिल हैं.
प्रमुख कोर्सेज
• नर्सिंग एंड मिडवाइफरी
जेनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी कोर्स में प्रवेश के लिए उम्मीदवार को विज्ञान वर्ग से 12वीं पास होना अनिवार्य है. कोर्स की अवधि साढ़े तीन साल की है.
• आक्जिलरी नर्सिंग
10वीं पास की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता रखने वाले उम्मीदवार इस कोर्स को कर सकते हैं. आक्जिलरी नर्सिंग के कोर्स की अवधि 18 महीने है. छोटे स्तर पर काम करने के लिए यह कोर्स बहुत उपयोगी है.
• बीएससी (नर्सिंग)
नर्सिंग की फील्ड में जाने की चाहत रखने वाले लोगों का यह पसंदीदा कोर्स है. बीएससी (नर्सिंग) के कोर्स की अवधि तीन से चार वर्ष तक की होती है और जिसने 12वीं की परीक्षा विज्ञान वर्ग में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की है, वह इस कोर्स को कर सकता है.
• एमएससी (नर्सिंग)
नर्सिंग में एमएससी करने के बाद विदेश में रोजगार पाने की संभावनाएं और भी बढ़ जाती हैं. डिग्री धारकों को नर्सिंग की ट्रेनिंग देने वाले संस्थानों में शिक्षक के रूप में होने वाली नियुक्ति में भी वरीयता दी जाती है. यह कोर्स नर्सिंग में बीएससी करने के बाद ही किया जा सकता है. एमएससी (नर्सिंग) के पाठ्यक्रम की अवधि दो वर्ष है.
नर्सिंग कोर्सेज कराने वाले महत्वपूर्ण संस्थान
- एम्स, नई दिल्ली
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एजुकेशन, चंडीगढ़
- धनवंतरि कॉलेज ऑफ नर्सिंग, तमिलनाडु
- श्री गंगा राम हास्पिटल, राजेन्द्र नगर, बिहार
- वीएमएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी, बटाला, पंजाब
- भारती विद्यापीठ कॉलेज ऑफ नर्सिंग, पुणे, महराष्ट्र
- श्री शंकराचार्य कॉलेज ऑफ नर्सिंग, भिलाई, छत्तीसगढ़
- दिल्ली पैरामेडिकल ऐंड मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली
- केएमसीएच कॉलेज ऑफ नर्सिंग, कोयंबटूर, तमिलनाडु
- केएमसीटी कॉलेज ऑफ नर्सिंग, केरल
- अपोलो स्कूल ऑफ नर्सिंग, चेन्नई
- बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
- आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी ऐंड रिसर्च, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
किस फील्ड में हैं रोजगार की संभावनाएं ?
इस क्षेत्र में करियर में बेहतर संभावनाओं के लिए कार्डियॉलजी, नेफ्रॉलजी, क्रिटिकल केयर, ऑन्कॉलजी आदि सुपर स्पेशलिटी में मास्टर डिग्री, एमफिल और पीएचडी भी किया जा सकता है.नर्सिंग की बेसिक पढ़ाई के आधार पर स्टाफ नर्स की नौकरी मिल सकती है, लेकिन कुछ वर्षों के अनुभव और किसी क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन करने पर बड़े हॉस्पिटल में बेहतर मौका मिल सकता है.
ध्यान रखिये नर्सिंग का कार्यक्षेत्र केवल मरीजों की देखभाल करने तक ही सीमित नहीं है. योग्य नर्सों के लिए एजुकेशन, ऐडमिन और रिसर्च से संबंधित काम के भी मौके मिल सकते हैं. एक बात पूरी तरह से सही है कि अमूमन नर्सिंग से जुड़े लोग बेरोजगार नहीं रहते. वे किसी भी निजी या सरकारी हॉस्पिटल, नर्सिंग होम, अनथालय, वृद्धाश्रम, इंडस्ट्रीज, सेनेटोरियम और सैन्य बलों में जॉब प्राप्त कर ही लेते हैं. इसके अतिरिक्त अन्य सरकारी विभागों में इनकी जरूरत तो हमेशा बनी ही रहती है. इस प्रकार हम देखते हैं कि नर्सिंग एक सदाबाहर करियर है तथा भविष्य में इसकी डिमांड और अधिक बढ़ती ही जाएगी.