किसी भी फिल्म में सिर्फ हीरो या हीरोइन का ही काम महत्वपूर्ण नहीं होता है. पर्दे के पीछे तथा बाहर बहुत सारे ऐसे लोग काम करते हैं जिनकी मेहनत के कारण ही कोई भी फिल्म हिट हो जाती है. पर्दे के पीछे काम करने वाले लोगों को अक्सर पहचान नहीं मिल पाती है. लेकिन, अब जमाना बदल रहा है और पर्दे के पीछे के लोगों को भी सराहना मिलने लगी है. अगर आपमें फिल्म इंडस्ट्री में काम करने की इच्छा है तो आप भी सिनेमेटोग्राफी के जरिये इस फील्ड में काम कर सकते हैं. इसके लिए आपको सिनेमेटोग्राफी की टेक्नोलॉजी अच्छी समझ और जानकारी जरुर होनी चाहिए.
अगर हम विश्व स्तर पर हर साल दिए जाने वाले ऑस्कर, गोल्डन ग्लोब, ग्रैमी, फिल्म फेयर अवार्ड्स और नेशनल फिल्म पुरस्कारों के बारे में विचार करें, तो हम यह अच्छी तरह समझ जायेंगे कि हर साल पर्दे के पीछे काम कर रहे अनेक पेशेवरों को भी सम्मानित किया जा रहा है. ये पेशेवर अपनी टेक्नीक्स से फिल्मों में जान डाल देते हैं. इसलिए अगर आपको दृश्यों की अच्छी समझ तथा टेक्नोलॉजी का पूर्ण ज्ञान हो तो आप सिनेमेटोग्राफी में अपना करियर शुरू कर सकते हैं. आइये आगे पढ़ें यह आर्टिकल:

सिनेमेटोग्राफी का परिचय
सिनेमेटोग्राफी एक टेक्निकल वर्क है तथा इसके जरिये दृश्यों को जीवंत बना दिया जाता है.गाइड, मुगल-ए-आजम, पत्थर के फूल, राजू चाचा, साजन, बॉर्डर जैसी न जाने कितनी ऐसी फिल्में हैं, जिन्हें उनके फिल्माए गए दृश्यों के कारण ही याद किया जाता है. एक अच्छा सिनेमेटोग्राफर कहानी के हिसाब से सीन और डायरेक्टर के अनुसार कैमरा और लाइटिंग को एडजेस्ट करने का काम करता है. उसे विजुलाइजेशन और लाइटिंग की सही जानकारी होती है और उसके पास प्रोफेशनल टेक्निकल नॉलेज तथा क्रिएटिविटी को समयोजित करने की क्षमता होती है.
कैमरे की जानकारी
सिनेमेटोग्राफी में मोशन पिक्चर कैमरे की जरूरत पड़ती है. यह कैमरा अन्य कैमरों से अलग होता है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस कैमरे का सही ढंग से प्रयोग वही कर सकता है, जिसने इसका अच्छी तरह से प्रशिक्षण लिया हो. सिनेमेटोग्राफर डायरेक्टर के साथ सीन को विजुलाइज करता है. दिन, रात, सुबह, शाम, बारिश और आंधी जैसे सीन को कब और किस एंगिल से लेना है, इसमें वह प्रवीण होता है.आजकल रोहित सेठी या अन्य लोगों का स्टंट सीन सिनेमेटोग्राफी का सर्वोत्तम उदाहरण हैं. इस तरह के दृश्यों का अधिकतर फिल्मों में धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है.फिक्शन, एडवरटाइजिंग और डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए कैमरे का प्रयोग कैसे करना है, इसकी पूरी-पूरी जानकारी सिनेमेटोग्राफर को ही होती है.
सिनेमेटोग्राफी के प्रोफेशनल कोर्सेज
देश में कई ऐसे इंस्टीट्यूट्स हैं जो सिनेमेटोग्राफी के कोर्स करा रहे हैं. अगर आप इस कोर्स को करने की इच्छा रखते हैं तो डिप्लोमा और शॉर्ट टर्म दोनों ही तरह के ऑप्शंस इस कोर्स के अंतर्गत मौजूद हैं.इसके अतिरिक्त इसमें सर्टिफिकेट और पीजी कोर्स भी किया जा सकता है. सिनेमेटोग्राफी का कॅरियर महत्वपूर्ण होने के साथ ही साथ जिम्मेदारी का भी है. इंस्टीट्यूट में पढ़ाई के दौरान कैमरा हैडलिंग, कैमरा शॅाट, एंगल, मूवमेंट, लाईटिंग और कंपोजीशन तथा टेक्निकल जानकारी छात्रों को प्रदान की जाती है.
सिनेमेटोग्राफी के लिए जरुरी एजुकेशनल क्वालिफिकेशन
- सिनेमेटोग्राफी का कोर्स करने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं या उसके समकक्ष डिगी का होना अनिवार्य है.पीजी लेबल के कोर्स में एडमिशन के लिए उम्मीदवार के पास ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए.
- चूँकि यह काम पूरी तरह तकनीकी और कल्पना पर आधारित है इसलिए जो अपनी कल्पना के जरिए दृश्यों को जीवित करने की काबिलियत रखता है और जिसे कैमरे की सभी बारीकियों की अच्छी जानकारी हो,वह इस कोर्स को कर सकता है.
भारत में सिनेमेटोग्राफी में रोजगार के अवसर
भारत विश्व में सबसे अधिक फिल्म बनाने वाले देशों में से एक है. यहां प्रतिवर्ष विभिन्न भाषाओं में लगभग 800 फिल्में बनती हैं. खास बात यह है कि अभिनय के अलावा इससे जुड़े तमाम टेक्निकल फील्ड्स में बहुत सारे काम होते हैं. इसलिए सिनेमेटोग्राफी कोर्स को करने के बाद फिल्म और सीरियल में काम मिल सकता है. इसके साथ-साथ एडवरटाइजिंग और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए भी काम किया जा सकता है.
भारत में सिनेमेटोग्राफी में सैलरी रेंज
शुरुआती दिनों में एक सिनेमेटोग्राफर को 12000 से 15000 रुपये प्रति माह वेतन मिलता है. लेकिन आगे चलकर अनुभव और काम के आधार पर ये पेशेवर 03-04 लाख रुपये सालाना तक भी कमा लेते हैं. यह व्यक्ति के टैलेंट तथा प्रोडक्शन हाउस या एजेंसीज के नाम, साइज तथा पूँजी पर निर्भर करता है.
भारत में सिनेमेटोग्राफी में कोर्स कराने वाले प्रमुख इंस्टीट्यूट्स
- सेंट्रलऑफ रिसर्च इन आर्ट ऑफ फिल्म ऐंड टेलीविजन-दिल्ली
- एशियन एकेडमीऑफ फिल्म ऐंड टेलीविजन-नोएडा
- चेन्नई फिल्म स्कूल-तमिलनाडु
- फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया-पूना
- सत्यजीत रॉय फिल्म इंस्टीट्यूट-मुंबई
सिनेमेटोग्राफी और फोटोग्राफी में अंतर
सिनेमेटोग्राफी और फोटोग्राफी दोनों के बीच टेक्नीकल अंतर होता है.जब आप चलते-फिरते दृश्यों को लाइटिंग का ध्यान रखते हुए डिजिटल कैमरे में कैद करने की कोशिश करते हैं, तो यह काम सिनेमेटोग्राफी कहलाता है. इसमें मोशन पिक्चर कैमरे का इस्तेमाल किया जाता है. यह सामान्य कैमरे से कुछ अलग होता है.इसे हैंडल करने के लिए ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है. कैमरा प्लेसमेंट, सेट या लोकेशन पर लाइटिंग की व्यवस्था, कैमरा एंगल आदि को ध्यान में रखते हुए सिनेमेटोग्राफर डायरेक्टर के साथ सीन को विजुअलाइज करने की कोशिश करता है. लेकिन फोटोग्राफी इससे अलग है.फोटोग्राफिक फिल्म या इलेक्ट्रॉनिक सेंसर पर स्टिल या मूविंग पिक्चर्स को रिकॉर्ड करना फोटोग्राफी कहलाता है.
अतः दृश्यों को लाइटिंग के हिसाब से समायोजित करने में यदि आप प्रवीण हैं तो सिनेमेटोग्राफी में आपका भविष्य अवश्य ही उज्ज्वल है.
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