भारतीय मनीषियों की मान्यता थी कि अग्र सोची सदा सुखी. अर्थात किसी भी विषय में पहले से ही सोचकर उससे जुड़े प्लान बना लेने वाला व्यक्ति कभी संकटग्रस्त नहीं होता है. संस्कृत में एक उक्ति है -शुभस्य शीघ्रम, अर्थात किसी कार्य को जितनी जल्दी निपटा लिया जाए वो उतना ही अच्छा होता है. कुछ इसी तरह का फॉर्मूला इन्वेस्टमेंट एवं मनी मैनेजमेंट पर लागू होता है. कम उम्र से ही कमाई और बचत के हिसाब-किताब को समझ कर आप जिंदगी में लंबी रेस के खिलाड़ी साबित हो सकते हैं. नीचे हम आपको 5 ऐसे इन्वेस्टमेंट की जानकारी प्रदान कर रहें हैं जिनकी मदद से आप स्मार्ट इन्वेस्टमेंट तथा आपनी मुद्रा को बेहतर तरीके से मैनेज करने में सफलता अर्जित कर सकते हैं.
लम्बी अवधि के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी का प्लान करें
लंबे समय के लिए एक टर्म प्लान खरीदना भविष्य में अच्छा फैसला साबित हो सकता है. कम उम्र में ऐसी पॉलिसी लेने से एक तो आपका प्रीमियम कम होगा दूसरा रिटर्न भी अच्छा मिलेगा. अगर थोड़ा सा गणित लगाएं तो हम पाएंगे कि 60 साल की उम्र तक चलने वाली पॉलिसी के लिए 25, 35 और 45 साल वालों को लगभग बराबर रकम प्रीमियम की तरह भरनी पड़ती है. ध्यान रखिये पहले पॉलिसी लेने से ज्यादा दिन का कवर भी मिलता है।

हेल्थ पॉलिसी पर विशेष जोर दें
यह बहुत बढ़िया रहेगा यदि आप अपने लिए अच्छी हेल्थ पॉलिसी कम उम्र से ही प्लान कर लें. इसका प्लान भी टर्म प्लान जैसा ही है. जितनी कम उम्र में आप पॉलिसी लेंगे प्रीमियम उतना ही कम भरना पड़ेगा. ध्यान रहे कि पहले से होने वाली बीमारी के नियम को भी आप जल्दी हेल्थ इंश्योरेंस के जरिए बेहतर तरीके से मैनेज कर सकते हैं. ऐसा कभी नहीं सोचें की आपके एंप्लॉयर का हेल्थ इंश्योरेंस ही आपके लिए काफी है. सामान्यतः यह फुल कवर नहीं देते और जब आप कंपनी बदलते हैं या नौकरी किसी कारण से छूट जाती है तो काफी समय तक बिना हेल्थ इंश्योरेंस के ही आपको रहना पड़ सकता है. अतः हर परिस्थिति में हेल्थ पॉलिसी पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यक्ता है.
सेवानिवृति का समय जल्द ही निर्धारित करें
एक बड़ी बीमा कंपनी के सर्वे के अनुसार,हमारे देश में लोग अपने रिटायरमेंट की योजना औसतन 40 साल के होने पर ही बनाते हैं. पीपीएफ अकाउंट इस समय मार्केट में उपलब्ध सबसे बेहतर टैक्स सेविंग और इन्वेस्टमेंट ऑप्शन में से एक है. यह आपको नियम 80सी के तहत टैक्स में छूट तो देता ही है साथ ही लॉन्ग टर्म डिपॉजिट पर बेहतर इंटरेस्ट भी देता है। इसका 15 साल का लॉक-इन पीरियड लंबे निवेश के लिहाज से काफी अच्छा है.
छोटे छोटे खर्चों को नजरअंदाज न करें
इसे आप युवावस्था की सनक कहें या मनी मैनेजमेंट की कम समझ लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि 30 साल से कम उम्र में अक्सर रोज के छोटे-छोटे खर्च ही लंबे समय में परेशानी का कारण बनते हैं. यह एक आम बात है कि हम अपनी गाड़ी की ईएमआई, घर का रेंट और महीने के बड़े खर्चों का हिसाब तो रखते हैं लेकिन बार-बार आउटिंग और कपड़ों की शॉपिंग को हम इससे बाहर ही छोड़ देते हैं. एक स्टडी से पता चला है कि युवा अक्सर अपनी कमाई का 18 से 20 फीसदी तक हिस्सा,खर्च बिना प्लान के करते हैं. इसमें कोई शक नहीं कि इन खर्चों पर थोड़ी सी नजर रख कर आप इसे आगे चल कर बड़ी बचत का हिस्सा बना सकते हैं.
किसी इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट की सहयता लें
यह बात बिलकुल सही है कि किसी भी तरह के इन्वेस्टमेंट की समझ एक्सपर्ट हमेशा हमसे बेहतर रखता है.हो सके तो मनी से जुड़े मामलों में किसी एक्सपर्ट की सहायता जरूर लें. अपने बैंक सलाहकार या सेल्समैन की सलाह पर इन्वेस्टमेंट करने से बचें. अब जरूरत इस बात की है कि आप सही सलाहकार और सेल्समैन में फर्क समझें. सही सलाहकार आपकी जरूरतों और रिस्क को समझ कर आपको राय देगा, चाहे इसमें कई दिन या हफ्ते लग जाएं लेकिन सेल्समैन आपको सीधे समाधान का रास्ता दिखायेगा और वह भी अपने लाभ को ध्यान में रखते हुए .
ऊपर दिए गए स्मार्ट इन्वेस्टमेंट टिप्स को अपनाकर भविष्य में आप अवश्य ही लाभान्वित होंगे तथा अपने इस निर्णय पर गर्व महसूस करेंगे.