भारत में रिटेल मैनेजमेंट का परिचय और करियर स्कोप

भारत में वर्ष, 1980 में रिटेल के कारोबार में अचानक काफी उछाल आया और फिर, कुछ वर्षों में ही इंडियन रिटेल इंडस्ट्री दुनिया की रिटेल मार्केट में पांचवीं आकर्षक इंडस्ट्री के तौर पर शामिल हो चुकी है.

Career Scope in Retail Management in India
Career Scope in Retail Management in India

रिटेल शब्द दरअसल, फ्रेंच शब्द रिटेलर से बना है जिसका अर्थ - किसी चीज के एक हिस्से को अलग करना या फिर किसी वस्तु के ढेर को टुकड़ों में बांटना है. रिटेल मैनेजमेंट के तहत विभिन्न वस्तुओं की बिक्री उपभोक्ताओं की मांग के मुताबिक ही की जाती है और उपभोक्ता अपनी जरुरत के अनुरूप अपनी दैनिक इस्तेमाल या फिर अन्य सभी किस्म की चीजें खरीदने के लिए स्वतंत्र होता है. कठिन व प्रतिस्पर्धी व्यापारिक परिस्थितियों में सुपरमार्केट या हाइपरमार्केट का प्रबंधन ही खुदरा प्रबंधन (रिटेल मैनेजमेंट) कहलाता है.

वैसे तो भारत में पहले से ही रिटेल के तहत काम होता था लेकिन वर्ष, 1980 के बाद से, भारत में रिटेल के कारोबार में विशेष उछाल आया और काफी कम समय में ही इंडियन रिटेल इंडस्ट्री दुनिया की रिटेल मार्केट में पांचवीं इंडस्ट्री बन गई. आजकल भारत की अनेक टॉप यूनिवर्सिटीज़ मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स को रिटेल मैनेजमेंट में भी एकेडमिक कोर्स और सूटेबल ट्रेनिंग प्रोग्राम्स ऑफर कर रही हैं. इस आर्टिकल में हम आपके लिए भारत में रिटेल मैनेजमेंट का परिचय और यंग प्रोफेशनल्स के लिए भारत के रिटेल सेक्टर में उपलब्ध करियर स्कोप के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं.

Career Counseling

भारत का रिटेल सेक्टर

इंडियन ब्रांड इक्विटी फंड (आईबीईएफ) की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के रिटेल सेक्टर का वर्तमान कारोबार लगभग 353 अरब अमेरिकी डॉलर से बढकर आने वाले कुछ वर्षों में कई अरब अमेरिकी डॉलर पहुंचने की उम्मीद है. इंडियन रिटेल इंडस्ट्री हमारे देश की जीडीपी में तकरीबन 10 और रोजगार में 8 फीसदी का योगदान देती है. आगामी कुछ वर्षों में इसकी सेल औसतन 4 फीसदी की दर से बढने की संभावना जतायी गयी है.

भारत में रिटेल मैनेजमेंट में करियर स्कोप

अपने बिजनेस को और आगे बढ़ाने की चाह में कम्पनियां कस्टमर्स को आकर्षित करने के लिए हर तरह के उपाय करती हैं. रिटेल मैनेजमेंट एक ऐसा विषय है जिसके लिए वस्तुओं की ब्रांड्स, उनकी स्ट्रेट्जी और कस्टमर आकर्षित करने की कला आनी चाहिए. दरसल यह एक नया कॉन्सेप्ट है तथा इस विषय को तभी चुनना चाहिए जब इस क्षेत्र की सभी बारीकियों को समझने की क्षमता आपमें हो तथा आपका रुझान एडवर्डटीजमेंट  की तरफ भी हो. वस्तुतः यह एक ऐसा फील्ड है जिसमें कस्टमर सर्वोपरि होता है के कॉन्सेप्ट पर काम किया जाता है. भारत में प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होने से यहाँ के उपभोक्ताओं की खरीदारी करने की क्षमता बढ़ी है. किसी भी तरह के सामान को खरीदने के लिए नामी गिरामी दुकानों तथा मॉल आदि में जाने का चलन आजकल बहुत बढ़ गया है.आजकल बड़ी दुकानों पर लगभग हर सामान छूट के साथ बिक रहा है. अब तो हर समय सेल का ही सीजन दिखता है. लगभग सभी ब्रांड्स बाज़ार में अपनी पहुँच  बढ़ाने के लिए अपनी फैक्ट्री आउटलेट से लेकर सुपरमार्केट तक सभी जगह छूट प्रदान करते हैं.

इसलिए, अगर गौर किया जाय तो हम निःसंदेह कह सकते हैं कि भविष्य में इस फील्ड में अधिकतम रोजगार की संभावनाएं हैं तथा इसमें लोगों के करियर ग्रोथ की भी अपेक्षा की जा सकती है. इसके लिए इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए रिटेल मैनेजमेंट में एमबीए, रिटेल में सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कोर्स किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त बीबीए इन रिटेलिंग, पीजी इन रिटेल एंड मार्केटिंग, पीजी डिप्लोमा इन विजुअल मर्चेंडाइजिंग एंड स्टोर डिजाइन का कोर्स भी किया जा सकता है.

रिटेल मैनेजमेंट की फील्ड में करियर बनाने के लिए आवश्यक योग्यता, टॉप कॉलेजेज, करियर की संभावनाएं तथा सैलरी आदि की विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें.

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वस्तुतः रिटेल शब्द की व्युत्पति फ्रेंच शब्द रिटेलर से हुई है जिसका सामान्य अर्थ होता है किसी चीज के एक हिस्से को अलग करना या फिर किसी वस्तु के ढेर को टुकड़ों में बाँटना. रिटेल मैनेजमेंट के अंतर्गत वस्तुओं की बिक्री उपभोक्ताओं के डिमांड के हिसाब से की जाती है तथा उपभोक्ता अपनी जरुरत के अनुरूप ही चीजें खरीदने के लिए स्वतंत्र होता है. कठिन व प्रतिस्पर्धी होती व्यापारिक परिस्थितियों में सुपरमार्केट या हाइपरमार्केट का प्रबंधन ही खुदरा प्रबंधन (रिटेल मैनेजमेंट) कहलाता है) है .वैसे पहले से ही हमारे देश में रिटेल के तहत काम होता था लेकिन 1980 में विशेष रूप से भारत में रिटेल के कारोबार में अचानक बहुत ज्यादा उछाल आया और बहुत कम समय में ही इंडियन रिटेल इंडस्ट्री दुनिया के रिटेल मार्केट में पांचवीं सबसे उभरती और आकर्षक इंडस्ट्री के रूप में उभरकर विश्व के सामने आयी.

इंडियन ब्रांड इक्विटी फंड (आईबीईएफ) की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के रिटेल सेक्टर का वर्तमान कारोबार लगभग 353 अरब अमेरिकी डॉलर से बढकर 2014 तक 543.2 अरब अमेरिकी डॉलर पहुंचने की उम्मीद है. इंडियन रिटेल इंडस्ट्री हमारे देश की जीडीपी में तकरीबन 10 और रोजगार में 8 फीसदी का योगदान देती है. आगामी कुछ वर्षों में इसकी सेल औसतन 4 फीसदी की दर से बढने की संभावना जतायी गयी है.

अपने बिजनेस को और आगे बढ़ाने की चाह में कम्पनियां कस्टमर्स को आकर्षित करने के लिए हर तरह के उपाय करती हैं. रिटेल मैनेजमेंट एक ऐसा विषय है जिसके लिए वस्तुओं की ब्रांड्स, उनकी स्ट्रेट्जी और कस्टमर आकर्षित करने की कला आनी चाहिए. दरसल यह एक नया कॉन्सेप्ट है तथा इस विषय को तभी चुनना चाहिए जब इस क्षेत्र की सभी बारीकियों को समझने की क्षमता आपमें हो तथा आपका रुझान एडवर्डटीजमेंट  की तरफ भी हो. वस्तुतः यह एक ऐसा फील्ड है जिसमें कस्टमर सर्वोपरि होता है के कॉन्सेप्ट पर काम किया जाता है. भारत में प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होने से यहाँ के उपभोक्ताओं की खरीदारी करने की क्षमता बढ़ी है. किसी भी तरह के सामान को खरीदने के लिए नामी गिरामी दुकानों तथा मॉल आदि में जाने का चलन आजकल बहुत बढ़ गया है.आजकल बड़ी दुकानों पर लगभग हर सामान छूट के साथ बिक रहा है. अब तो हर समय सेल का ही सीजन दिखता है. लगभग सभी ब्रांड्स बाज़ार में अपनी पहुँच  बढ़ाने के लिए अपनी फैक्ट्री आउटलेट से लेकर सुपरमार्केट तक सभी जगह छूट प्रदान करते हैं.

उपर्युक्त तथ्यों पर अगर गौर किया जाय तो हम निःसंदेह कह सकते हैं कि भविष्य में इस फील्ड में अधिकतम रोजगार की संभावनाएं हैं तथा इसमें लोगों के करियर ग्रोथ की भी अपेक्षा की जा सकती है. इसके लिए इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए रिटेल मैनेजमेंट में एमबीए, रिटेल में सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कोर्स किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त बीबीए इन रिटेलिंग, पीजी इन रिटेल एंड मार्केटिंग, पीजी डिप्लोमा इन विजुअल मर्चेंडाइजिंग एंड स्टोर डिजाइन का कोर्स भी किया जा सकता है.

रिटेल मैनेजमेंट की फील्ड में करियर बनाने के लिए आवश्यक योग्यता, टॉप कॉलेजेज, करियर की संभावनाएं तथा सैलरी आदि की विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें.

वस्तुतः रिटेल शब्द की व्युत्पति फ्रेंच शब्द रिटेलर से हुई है जिसका सामान्य अर्थ होता है किसी चीज के एक हिस्से को अलग करना या फिर किसी वस्तु के ढेर को टुकड़ों में बाँटना. रिटेल मैनेजमेंट के अंतर्गत वस्तुओं की बिक्री उपभोक्ताओं के डिमांड के हिसाब से की जाती है तथा उपभोक्ता अपनी जरुरत के अनुरूप ही चीजें खरीदने के लिए स्वतंत्र होता है. कठिन व प्रतिस्पर्धी होती व्यापारिक परिस्थितियों में सुपरमार्केट या हाइपरमार्केट का प्रबंधन ही खुदरा प्रबंधन (रिटेल मैनेजमेंट) कहलाता है) है .वैसे पहले से ही हमारे देश में रिटेल के तहत काम होता था लेकिन 1980 में विशेष रूप से भारत में रिटेल के कारोबार में अचानक बहुत ज्यादा उछाल आया और बहुत कम समय में ही इंडियन रिटेल इंडस्ट्री दुनिया के रिटेल मार्केट में पांचवीं सबसे उभरती और आकर्षक इंडस्ट्री के रूप में उभरकर विश्व के सामने आयी.

इंडियन ब्रांड इक्विटी फंड (आईबीईएफ) की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के रिटेल सेक्टर का वर्तमान कारोबार लगभग 353 अरब अमेरिकी डॉलर से बढकर 2014 तक 543.2 अरब अमेरिकी डॉलर पहुंचने की उम्मीद है. इंडियन रिटेल इंडस्ट्री हमारे देश की जीडीपी में तकरीबन 10 और रोजगार में 8 फीसदी का योगदान देती है. आगामी कुछ वर्षों में इसकी सेल औसतन 4 फीसदी की दर से बढने की संभावना जतायी गयी है.

अपने बिजनेस को और आगे बढ़ाने की चाह में कम्पनियां कस्टमर्स को आकर्षित करने के लिए हर तरह के उपाय करती हैं. रिटेल मैनेजमेंट एक ऐसा विषय है जिसके लिए वस्तुओं की ब्रांड्स, उनकी स्ट्रेट्जी और कस्टमर आकर्षित करने की कला आनी चाहिए. दरसल यह एक नया कॉन्सेप्ट है तथा इस विषय को तभी चुनना चाहिए जब इस क्षेत्र की सभी बारीकियों को समझने की क्षमता आपमें हो तथा आपका रुझान एडवर्डटीजमेंट  की तरफ भी हो. वस्तुतः यह एक ऐसा फील्ड है जिसमें कस्टमर सर्वोपरि होता है के कॉन्सेप्ट पर काम किया जाता है. भारत में प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होने से यहाँ के उपभोक्ताओं की खरीदारी करने की क्षमता बढ़ी है. किसी भी तरह के सामान को खरीदने के लिए नामी गिरामी दुकानों तथा मॉल आदि में जाने का चलन आजकल बहुत बढ़ गया है.आजकल बड़ी दुकानों पर लगभग हर सामान छूट के साथ बिक रहा है. अब तो हर समय सेल का ही सीजन दिखता है. लगभग सभी ब्रांड्स बाज़ार में अपनी पहुँच  बढ़ाने के लिए अपनी फैक्ट्री आउटलेट से लेकर सुपरमार्केट तक सभी जगह छूट प्रदान करते हैं.

उपर्युक्त तथ्यों पर अगर गौर किया जाय तो हम निःसंदेह कह सकते हैं कि भविष्य में इस फील्ड में अधिकतम रोजगार की संभावनाएं हैं तथा इसमें लोगों के करियर ग्रोथ की भी अपेक्षा की जा सकती है. इसके लिए इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए रिटेल मैनेजमेंट में एमबीए, रिटेल में सर्टिफिकेट या डिप्लोमा कोर्स किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त बीबीए इन रिटेलिंग, पीजी इन रिटेल एंड मार्केटिंग, पीजी डिप्लोमा इन विजुअल मर्चेंडाइजिंग एंड स्टोर डिजाइन का कोर्स भी किया जा सकता है.

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