इस दुनिया में हर तरह के लोग है. कुछ आलसी कुछ एक्टिव तो कुछ जरुरत से ज्यादा काम करने वाले. हर किसी को अपने कार्य के अनुसार अच्छे बुरे परिणाम भी देखने को मिलते हैं. लेकिन यदि आप किसी ऑफिस में काम करते हैं और आपके साथ काम करने वाला सहकर्मी आलसी प्रवृति का है, तो इसका खामियाजा न सिर्फ पूरे टीम को बल्कि मैनेजर तक को भुगतना पड़ता है. ऐसे कर्मचारी हमेशा 9 से 5 के शेड्यूल में रहना पसंद करते हैं या फिर यह कहिये कि लंबे लंच ब्रेक के साथ 9:15 से 4:59 की ऑफिस ड्यूटी करना इनके स्वभाव में होता है. ऐसे कर्मचारियों की वजह से ऑफिस का वर्किंग कल्चर ख़राब होता है तथा इनके देखा देखी अन्य कर्मचारियों का भी वर्क आउटपुट निरंतर गिरता जाता है. यह बात बिलकुल सही है कि ऐसे लोगों के साथ काम करना बहुत मुश्किल होता है तथा इनके साथ एडजस्ट करना भी एक चुनौती पूर्ण कार्य होता है. अतः आपके साथ काम करने वाला आपका सहकर्मी भी कुछ इसी स्वभाव का है तो जानिये ऐसी स्थिति में आप कौन सा स्टेप उठाएंगे ?

उस सहकर्मी का अतिरिक्त काम करने में हरगिज मदद नहीं करें
अक्सर ऐसा होता है कि किसी टीम में यदि कोई सदस्य कम काम करता है या फिर काम करने से जी चुराता है तो उसकी जगह टीम के अन्य सदस्यों को उसके बदले काम करना पड़ता है. अगर ऐसे सदस्य से आपकी मित्रता है तो वह आपसे अपना कार्य करने का निवेदन भी कर सकता है या फिर काम पूरा नहीं करने के सौ कारण बता सकता है. इसलिए ऐसे सदस्यों की कभी भी मदद न करें. मदद करना अच्छी बात है लेकिन जिस मदद से आपकी और आपके टीम का भला न हो तो ऐसा मदद हरगिज न करें. इतना ही नहीं अगर आप ऐसा करते हैं,तो हो सकता है कि आपका वह सहकर्मी काम करने को मजबूर हो तथा कार्य करने लगे.
उसके साथ व्यक्तिगत रूप से बात करें
अगर आपके उस सहकर्मी की वजह से आप पर काम का प्रेशर अधिक पड़ रहा हो तथा इससे आपका खुद का टारगेट प्रभावित हो रहा हो, तो बेहतर है कि आप उससे एकबार व्यक्तिगत रूप से बात करें तथा उसे समझाने की कोशिश करें कि किस तरह उसके काम नहीं करने से अप्रत्यक्ष रूप से आप प्रभावित हो रहे हैं ? आप उससे काम नहीं कर पाने का व्यक्तिगत कारण भी पूछ सकते हैं. अगर वास्तव में किसी कारण वश वह परेशान हो तथा अपना कार्य नहीं कर पा रहा हो तो यथा संभव उसकी परेशानी को समझने की कोशिश करें लेकिन आपको उसकी परेशानी में कोई वास्तविकता नहीं दिखती तो आप उसे दो टूक जवाब देते हुए काम करने का निवेदन करें.
मैनेजर से चर्चा करें
अगर बहुत सारे प्रयास के बाद भी आपका सहकर्मी आपको सुनने को तैयार नहीं है,तो आप अपने मैनेजर से बात करें. याद रखिये एक टीम मैनेजर हमेशा यही इच्छा रखता है कि उसकी टीम हमेशा एक बेस्ट टीम बनी रहे. अगर टीम की परफॉरमेंस सही नहीं होगा तो सबसे ज्यादा दिक्कत मैनेजर को ही होगी तथा सबसे पहले गाज मैनेजर पर ही गिरेगी. अगर आपको ऐसा लगता है कि लाख कोशिशों के बावजूद भी आपका सहकर्मी अपना काम आप पर थोप रहा है, तो एक बार उसके रवैये के बारे में मैनेजर को अवश्य अवगत कराएं. मैनेजर को यह बात बताने से यह लाभ होगा कि इससे आपकी पूरी टीम को सफर नहीं करना पड़ेगा और काम से भागने वाला आपका साथी भी या तो खुद से अपना काम करना शुरु कर देगा या फिर अपने लिए कोई और विकल्प तलाशेगा ?
अतः अगर आप भी परेशान हैं अपने आलसी सहकर्मी से तो अवश्य ही अपनाएं ये तकनीक और देखिये इसका असर.