भारत में प्रत्येक वर्ष तकरीबन 15 लाख स्टूडेंट्स NEET एग्जाम देते हैं ताकि वे यह एंट्रेंस एग्जाम पास करने के बाद MBBS, BDS या AYUSH के विभिन्न कोर्सेज में एडमिशन ले सकें. लेकिन, NEET एग्जाम प्रत्येक वर्ष कठिन होता जा रहा है. इसी तरह, AIIMS और JIPMER के लिए NEET एग्जाम की अनिवार्यता ने इस एग्जाम के लेवल को और अधिक मुश्किल बना दिया है. अब, वर्षों की मेहनत के बावजूद, NEET एग्जाम पास करना हरेक साइंस स्टूडेंट के लिए एक दुष्कर कार्य साबित हो रहा है.
इस कारण हमारे देश के अनेक स्टूडेंट्स ऐसे मेडिकल कोर्सेज ज्वाइन करना चाहते हैं जिनके लिए NEET एग्जाम पास करना अनिवार्य नहीं है. इसलिए, ऐसे कुछ बेहतरीन मेडिकल कोर्सेज के बारे में जानने के लिए इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें, जिनके लिए NEET एग्जाम पास करना जरुरी नहीं है.
फॉरेंसिक साइंस
‘फॉरेंसिक’ शब्द लैटिन वर्ड ‘फॉरेंसिस’ से लिया गया है और ‘फॉरेंसिस’ शब्द का मतलब है – किसी कोर्ट या पब्लिक के सामने उपस्थित होना. इसलिए, फॉरेंसिक साइंस की फील्ड का संबंध कोर्ट द्वारा इन्वेस्टीगेशन के तहत मामलों के लिए साइंटिफिक मेथड्स और टेक्नीक्स का इस्तेमाल करने से है. यह एक वोकेशनल फील्ड है जो फॉरेंसिक सबूतों के अध्ययन से संबंधित है और क्रिमिनल मामलों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है ताकि विक्टिम्स को न्याय प्रदान करने में जूडीशरी की मदद हो सके. साइंस स्ट्रीम में 10+2 पास स्टूडेंट्स फॉरेंसिक साइंस में बीएससी कर सकते है.

नर्सिंग
आने वाले समय में मेडिकल से संबंधित सभी क्षेत्रों में पर्याप्त रोजगार होंगे, नर्सिंग भी उसी में से एक है. स्वास्थ्य क्षेत्र निरंतर ग्रोथ कर रहा है. नर्सिंग से संबंधित कई तरह के कोर्स विभिन्न संस्थानों द्वारा चलाए जा रहे हैं. इन कोर्सों में शॉर्ट टर्म से लेकर लॉन्ग टर्म सभी तरह के कोर्सों के लिए निर्धारित न्यूनतम शैक्षिक योग्यता अलग-अलग है. नर्सिंग के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने की चाह रखने वाले अधिकतर लोग इस विषय से बीएससी एवं एमएससी ही करना चाहते हैं. बीएससी (नर्सिंग) के कोर्स की अवधि तीन से चार वर्ष तक की होती है और जिसने 12वीं की परीक्षा विज्ञान वर्ग में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण की है, वह इस कोर्स को कर सकता है. इसी तरह, नर्सिंग में एमएससी करने के बाद विदेश में रोजगार पाने की संभावनाएं और भी बढ़ जाती हैं. यह कोर्स नर्सिंग में बीएससी करने के बाद ही किया जा सकता है. एमएससी (नर्सिंग) के पाठ्यक्रम की अवधि दो वर्ष है.
फार्मेसी
भारत दुनिया का सबसे बड़ा जेनेरिक ड्रग्स प्रोवाइडर देश है और दुनिया की 50 फीसदी वैक्सीन्स सप्लाई भी भारत ही करता है. वर्ष 2025 तक भारत का फार्मास्यूटिकल कारोबार 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जायेगा और मेडिकल उपकरणों का कारोबार 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा. वर्ष 2019-2020 के वित्त वर्ष में हमारा फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट लगभग 21 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. वैसे तो हमारे देश में मेडिकल स्ट्रीम के अधिकतर स्टूडेंट्स अपनी 12 वीं क्लास पास करने के बाद अक्सर एक कामयाब डॉक्टर या नर्स बनना चाहते हैं. लेकिन, भारत में फार्मेसी मेडिकल स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के लिए दूसरा सबसे लोकप्रिय करियर माना जाता है. हमारे देश में फार्मास्यूटिकल के विभिन्न प्रोफेशनल्स कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स ने अपनी 12वीं क्लास फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, (PCB), फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स (PCM) या फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी और मैथमेटिक्स (PCBM) सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन के साथ पास की हो.
साइकोलॉजी
साइकोलॉजी में डिग्री लेने के बाद आप अपना क्लिनिक खोल सकते हैं. यह डिग्री प्राप्त करने के बाद लगभग 33% व्यक्ति अपना कारोबार शुरू करते हैं लेकिन इस पेशे के लिए उपयुक्त ऑथोरिटी से लाइसेंस जरुर प्राप्त करना चाहिए. सेल्फ-एम्पलॉएड साइकोलोजिस्ट्स मानसिक रोगों का इलाज करते हैं. इसी तरह, विभिन्न कंपनियों और फर्मों में साइकोलोजिस्ट्स एम्पलॉईज की मानसिक समस्याओं का समाधान करने के साथ ही एम्पलॉईज का मोरेल बढ़ाने की तरकीब करने, एम्पलॉईज को जरुरी सलाह आदि देने जैसे महत्पवूर्ण काम भी करते हैं.
फिजियोथेरेपी
फिजियोथेरेपिस्ट बनने के लिए जरूरी है कि उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से विज्ञान विषयों (फिजिक्स, केमिस्ट्री एवं बॉयोलॉजी या गणित) के साथ 12वीं उत्तीर्ण होना चाहिए. इसके साथ ही, उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से फिजियोथेरेपी में डिग्री या डिप्लोमा उत्तीर्ण होना चाहिए. इसके अतिरिक्त उम्मीदवारों को अखिल भारतीय फिजियोथेरेपी एसोसिएशन या संबंधित राज्य के स्टेट फिजियोथेरेपी एसोसिएशन से पंजीकृत होना चाहिए.
न्यूट्रीशनिस्ट या डायटीशियन
मनुष्य की सभी बीमारियों के ईलाज के लिए अक्सर भोजन का परहेज (पथ्य-कुपथ्य) बताया जाता है. ये पेशेवर अपने क्लाइंट्स की हेल्थ और फिजिकल नीड्स के मुताबिक उनके लिए डाइट प्लान्स तैयार करते हैं और अपने क्लाइंट्स की अच्छी हेल्थ के लिए उन्हें फूड्स से संबंधित जरुरी गाइडेंस भी देते हैं. इस फील्ड में करियर बनाने के लिए आपको साइंस स्ट्रीम से 12 वीं पास करने के बाद बीएससी - न्यूट्रीशन और डायटेटिक्स/ ह्यूमन न्यूट्रीशन/ क्लिनिकल न्यूट्रीशन एवं डायटेटिक्स का कोर्स ज्वाइन करना होगा.
वेटरनरी साइंस
इस साइंस कोर्स में डिग्री हासिल करने के बाद आप जानवरों का ईलाज कर सकते हैं. साइंस स्ट्रीम के 12 वीं पास स्टूडेंट्स वेटरनरी साइंस में बैचलर की डिग्री हासिल कर सकते हैं. यह 5.5 वर्ष का कोर्स है और स्टूडेंट्स को 06 माह की इंटर्नशिप भी जरुर करनी होती है. वेटरनरी साइंस में ग्रेजुएशन करने के बाद आप वेटरनरी सर्जन, एसोसिएट वेटरनेरियन या वेटरनरी फार्माकोलॉजिस्ट का प्रोफेशन शुरू कर सकते हैं.
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