किसी भी नौकरी और जॉब को ज्वाइन करने के बाद शुरुआत के कुछ दिनों तक लगभग हर कोई अपनी हर गतिविधि को लेकर एलर्ट रहता है. जैसे कि प्रॉपर तरीके से तैयार होकर जाना, अपना सभी काम समय पर पूरा करने की हर संभव कोशिश करना, सीनियर्स की बातों पर पूरी तरह गौर करना, सभी सहकर्मियों के साथ सही बर्ताव करना आदि. लेकिन ज्यों ज्यों समय बीतता जाता है अक्सर और अधिकांश लोगों का नजरिया बदलने लगता है. अब पहले वाली समय की पाबंदी नहीं रह जाती, व्यवहार में भी थोड़ा बहुत परिवर्तन आ जाता है. काम को लेकर भी अब पहले वाली सीरियसनेस नहीं दिखती. काम तो करते हैं लेकिन एलर्टनेस के साथ नहीं. समय के साथ बहुत कैजुअल हो जाते हैं. कभी कभी तो अपने आप को इस कदर स्वतंत्र समझने लगते हैं कि अपना काम भी अब अपनी सुविधा और मर्जी के हिसाब से करने लगते हैं. लेकिन याद रखिये हर ऑफिस के कुछ कायदे कानून होते हैं और उसका सही तरह से पालन नहीं किया गया तो इससे ऑफिस में आपकी रेप्यूटेशन ख़राब हो सकती है और रेप्यूटेशन अगर एक बार ख़राब हो जाए तो पुनः उसे बनाना बड़ा मुश्किल काम होता है. ऑफिस के सीनियर्स और जूनियर्स का विश्वास एक बार फिर से जीत पाना उतना आसान नहीं होता है. इसलिए यदि आप चाहते हैं कि ऑफिस में आपकी रेप्यूटेशन हमेशा अच्छी बनी रहे तथा हर कोई आपको इज्जत की दृष्टि से देखे तो आपको ऑफिस के कुछ मौलिक नियमों का पालन करना चाहिए जिनका वर्णन आगे किया गया है –

हमेशा प्रॉपर तरीके से तैयार होकर ऑफिस जाएं- फैशन के आज के दौर में हर कोई स्मार्ट और सुन्दर दिखना चाहता है. लेकिन सुन्दर और स्मार्ट दिखने की चाह में कभी कभी हम कुछ ऐसे ड्रेसेज का भी चयन कर बैठते हैं जो हमारी पर्सनाल्टी पर सूट नहीं करता है. ड्रेस हमेशा अपनी पर्सनाल्टी के अनुरूप ही पहनना चाहिए. ये जरुरी नहीं कि जिस ड्रेस में कोई बहुत खूबसूरत दिख रहा है तो आप भी उतना ही खूबसूरत दिखेंगे. इसलिए हमेशा ऐसा ड्रेस पहनने की कोशिश करें जिसमें आपकी पर्सनाल्टी आकर्षक लगे. दूसरों की देखा देखी कभी नहीं करें. अगर संभव हो तो फॉर्मल ड्रेस ही पहनें. साथ ही जिस ड्रेस में आप कम्फर्टेबल हो और वह फॉर्मल कैटेगरी में आता हो तो आप उनका प्रयोग भी कर सकते हैं.
अपने सहकर्मियों को उनके नाम से जाने न कि चेहरे से –इस बात पर विचार कीजिये कि किसी से आप सिर्फ एक बार मिले हों और जब वह व्यक्ति आपसे दुबारा मिलते वक्त आपके नाम से आपको संबोधित करता है तो आप बड़े आश्चर्य चकित होते हैं और उस व्यक्ति की स्मृति तथा शालीनता की बखान करते हैं. इसलिए ऑफिस में अपना रेप्यूटेशन बनाने के लिए अपने सभी सहकर्मियों को उनके नाम सहित जानने की कोशिश करें.
दूसरों को भी काम का श्रेय देना सीखें – ज्यादातर मामलों में ऐसा देखने को मिलता है कि किसी भी कार्य में सफलता दो चार लोगों के सम्मिलित प्रयास से मिलती है और उसका सारा का सारा श्रेय सिर्फ एक व्यक्ति ले जाता है. लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए. अगर आप किसी टीम के मैनेजर या टीम लीडर हैं और आपकी टीम अच्छा प्रदर्शन कर रही है तो हमेशा इसका श्रेय अपने टीम को दें. साथ ही अगर आपके किसी छोटे बड़े काम में किसी ने आपकी मदद की हो, तो यथा संभव उसे इसका श्रेय अवश्य दें तथा उसके प्रति आभार प्रकट करें, इससे आपकी रेप्यूटेशन अपने आप बनती जाएगी.
ऑफिस में कभी भी अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं करें – कहते हैं वाणी ही ऐसी चीज है जो किसी को भी अपने वश में करने की क्षमता रखती है.कहा भी गया है वाणी तो अनमोल है जो कोई बोले बोल, हिये तराजू तौल के तब मुख बाहर आनि. यानी कि हमेशा माप तौल कर भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए. कभी भी किसी ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए जिसे आप खुद के लिए सुनना पसंद नहीं करते हैं. ऑफिस में अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि दो एम्प्लॉयी लड़ते हुए आपस में अपशब्दों का प्रयोग शुरू कर देते हैं. लेकिन यह सरासर गलत और अनैतिक है. साथ ही इससे इमेज भी बुरी बनती है. अतः कठिन से कठिन तथा उकसाऊ स्थितियों में भी अपना धैर्य न खोएं तथा वाणी पर अपना सयंम बनाए रखें.
समय पर अपना टारगेट पूरा करें- कहते हैं समय और लहरें किसी का इंतजार नहीं करती हैं. जो इनका मूल्य नहीं करता ये उन्हें बर्बाद कर देती हैं. अर्थात समय की कीमत समझें और अपना काम या दिया गया टारगेट हमेशा निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत ही पूरा करें. इससे ऑफिस में आपकी छवि एक कर्तब्यनिष्ठ कर्मचारी की बनेगी. इससे भविष्य में आपको अनेक फायदे होने के अतिरिक्त आपकी रेप्यूटेशन भी बनेगी. जब भी किसी जबावदेही की बात आएगी तो लोग आपको याद करेंगे.
दूसरों के सुझावों और आइडियाज को भी महत्व दें – अगर काम करते समय आपके सीनियर्स या जूनियर्स की तरफ से कोई प्रस्ताव या सुझाव आते हैं तो उनका सही तरीके से परीक्षण कर उनको भी अमल में लाने की कोशिश करें. दूसरों की आइडियाज को भी सुने. अगर आपको वो सही न भी लगे तो उसे सीधे सीधे नकारें नहीं बल्कि समय और कार्य विशेष की प्रासंगिकता से जोड़कर उसके फायदे तथा नुकसान को बताने की कोशिश करें. इससे ऑफिस में आपकी रेप्यूटेशन स्वतः ही बनती जायेगी.
किसी भी मेल का जवाब बहुत सोच समझकर दें – प्रोफेशनल लाइफ में कम्युनिकेशन का मुख्य श्रोत मेल ही होता है. इसलिए मेल लिखते समय या किसी के मेल का जवाब देते समय हमेशा एलर्ट रहना चाहिए. शब्दों का चयन तथा जवाब देने की शैली बहुत मायने रखती है. अपनी अस्वीकृति तथा नाराजगी को भी सॉफ्ट शब्दों में बयान करने की कला आनी चाहिए. भूलकर भी मेल लिखते समय किसी एम्प्लॉयी के पर्सनल लाइफ का जिक्र मेल के माध्यम से नहीं करना चाहिए. यह कार्पोरेट एथिक्स के विरुद्ध होता है. इसलिए जब भी कोई मेल लिखें शब्दों का इस्तेमाल बहुत सावधानी के साथ करें. कभी कभी ऐसा हो सकता है कि आपका जवाब प्रश्नकर्ता के विचार के बिलकुल विपरीत हो लेकिन उस समय भी सयंम के साथ सटीक शब्दों और उदहारण की मदद से अपनी बात रखें.
अतः अगर आप किसी ऑफिस में कार्यरत हैं तथा अपनी आकर्षक और प्रभावी छवि के लिए विख्यात हैं और उसे बनाये रखना चाहते हैं तो ऊपर बताये गए टिप्स पर अमल करें तो अवश्य ही लाभ होगा.