प्रत्येक वर्ष लाखों उम्मीदवार IIT JEE (JEE Main और JEE Advanced) की परीक्षा देते हैं, किंतु 5% उम्मीदवार ही IITs, NITs, IIITs और CFTIs जैसे भारत के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला लेने में सफल हो पाते हैं | जिसके कारण विद्यार्थी 1 वर्ष फिर से तैयारी करते हैं और अगले वर्ष IIT JEE की परीक्षा फिर से देते हैं.
कुछ विद्यार्थी तो बस इसलिए पुनः तैयारी करते हैं क्योंकि उनको उनके पसंदीदा कॉलेज में मनचाही ब्रांच नहीं मिलती जिसके कारण आने वाले विद्यार्थियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है.
विद्यार्थियों के JEE Main में सिलेक्शन नहीं हो पाने के दो कारण हो सकते हैं, जो कि निम्नलिखित हैं:
1. कभी-कभी विद्यार्थी तैयारी तो करते हैं, किंतु परीक्षा के दौरान तनाव के कारण वो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते. ऐसा होने पर विद्यार्थियों को पुनः JEE Main की परीक्षा के तैयारी कर अगले वर्ष होने वाली परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए.

2. कुछ विद्यार्थी केवल बोर्ड की परीक्षा को पास करने के लिए पढ़ाई करते हैं. इसके साथ-साथ विद्यार्थी JEE Main की परीक्षा में भी भाग लेते हैं, किंतु उनका कोई JEE Main की परीक्षा को पास करने का कोई उद्देश्य नहीं होता. ऐसे विद्यार्थियों को कभी भी JEE Main की परीक्षा के लिए पुनः तैयारी नहीं करनी चाहिए.
आज हम इस लेख में आपको विद्यार्थियों द्वारा पुनः JEE Main की परीक्षा की तैयारी के कारणों के बारे में बताएँगे. आइए विस्तार से जानते हैं उन कारणों के बारे में:
1. मनचाहे IIT कॉलेज में मनचाही ब्रांच नहीं मिल पाना:
कभी-कभी विद्यार्थियों को अपने मनचाहे IIT कॉलेज में मनचाही ब्रांच नहीं मिल पाती जिससे उनको लगता है कि उन्हें पुनः परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए.
2. JEE Advanced में अच्छी रैंक नहीं ला पाना:
कुछ विद्यार्थी JEE Main की परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी JEE Advanced में अच्छी रैंक लाने में सफल नहीं हो पाते. JEE Advanced की परीक्षा पुनः देने के लिए विद्यार्थियों को फिर से JEE Main की परीक्षा को क्रैक करने के लिए पुनः परीक्षा की तैयारी करनी पड़ती है.
3. JEE Advanced के लिए Qualify नहीं कर पाना:
हम सभी जानते हैं की JEE Main में टॉप 224000 आने वाले विद्यार्थी ही JEE Advanced की परीक्षा दे सकते हैं. कभी-कभी विद्यार्थी JEE Main में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के कारण JEE Advanced के लिए Qualify नहीं कर पाते और उन्हें फिर से JEE Main की परीक्षा देनी पड़ती है.
4. JEE Main में अच्छी रैंक नहीं ला पाना:
IITs में सीटों की संख्या कम होने के कारण ऐसा संभव नहीं कि सभी विद्यार्थियों का दाखिला IITs में हो जाए. विद्यार्थियों के पास IITs के आलावा भी राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NITs), भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIITs) जैसे कॉलेजों में दाखिला लेने का अवसर होता हैं. जिसके लिए विद्यार्थियों को उनके द्वारा JEE Main में प्राप्त की गयी रैंक के आधार पर काउंसलिंग में बुलाया जाता है. जिन विद्यार्थियों की JEE Main में अच्छी रैंक नहीं आती उनका राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NITs), भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (IIITs) जैसे कॉलेजों में भी दाखिला नहीं हो पाता. जिसके कारण विद्यार्थियों को फिर से JEE Main की परीक्षा देनी पड़ती है.
5. JEE Main के द्वारा अच्छा कॉलेज नहीं मिल पाना:
कभी-कभी विद्यार्थियों को JEE Main में अच्छी रैंक लाने के बाद भी अपने पसंदीदा कॉलेज में मनचाही ब्रांच नहीं मिल पाती जिससे उनको लगता है कि उन्हें पुनः परीक्षा देनी चाहिए.
अगर विद्यार्थी अच्छे कॉलेज में दाखिला नहीं पाने के कारण पुनः JEE Main की परीक्षा देना चाहते हैं, तो यह जोख़िम भरा हो सकता है. ऐसा भी हो सकता है किसी कारण वश विद्यार्थी आने वाली JEE Main की परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायें. हम सभी जानते है कि दिन प्रतिदिन प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है. अगर विद्यार्थियों का दाखिला JEE की रैंक के आधार पर किसी अच्छे कॉलेज में हो जाता है, किंतु फिर भी विद्यार्थी अपने पसंदीदा कॉलेज में दाखिला पाने की चाह में पुनः JEE Main की परीक्षा देते हैं. ऐसा करने में रिस्क हो सकता है.
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