ऐसे करें बोर्ड परीक्षा 2017 में बेहतर स्कोर

इस लेख में हम इस बात पर चर्च करेंगे कि आने वाले बोर्ड एग्जाम में हम अपने स्कोर को कैसे बेहतर कर सकते है|यहाँ दस ऐसे महत्त्वपूर्ण मन्त्र दिए गए है जिसको आप ज़रूर पढ़ें|

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एग्जाम्स के डेट्स आ गए हैं। स्टूडेंट्स भी रिविजन करने में जुट गए हैं। अभिभावक(पेरेंट्स) रात-रात भर बच्चों के साथ उठकर कॉफी पी रहे हैं ताकि उनके बच्चों की तैयारी अच्छे तरीके से हो जाए। लेकिन इतनी मेहनत के बाद भी एक डर तो लगा ही रहता है। डर होता है कि एग्जाम्स में कैसे करें बेहतर प्रदर्शन ? अगर आपको भी यही डर है तो ये लेख पूरा पढ़ें... इस लेख के द्वारा आपको एग्जाम में बेहतर प्रदर्शन करने के टिप्स मिल जाएंगे ।

1. पढ़ाई में शामिल करें इंटरनेट :

एग्जाम के तौर तरीकों और किसी खास विषय पर हमारी जानकारी हासिल करने के तरीकों को इन्टरनेट ने बखूबी बदल दिया है और अब जानकारियां हासिल करना कोई मुश्किल काम नहीं है फिर चाहे वो किसी भी विषय पर क्यों नहीं हो जिससे परीक्षा के दिनों में आपकी परेशानी बहुत हद तक कम हो सकती है | वैसे, बोर्ड एग्जाम से पहले स्कूल अपने स्तर पर प्री—बोर्ड परीक्षा भी आयोजित करते हैं, जिसका सीधा उद्देश्य विद्यार्थी  में विषय की तैयारी के स्तर का पता लगाना और छोटी—मोटी कमियों को दूर कर अंतिम परीक्षा के लिए उनको मानसिक रूप से तैयार करना होता है।

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जैसा कि हम सब जानते हैं कि 12वीं में विद्यार्थियों को स्ट्रीम चुनने की छूट होती है। स्ट्रीम मुख्य रूप से तीन स्ट्रीम में विभाजित हैं—कला, वाणिज्य और विज्ञान। इनमें कुछ विषय अनिवार्य और कुछ विषय वैकल्पिक होते हैं। विषयानुसार अधिकतम अंक अलग—अलग हो सकते हैं। देखा जाये तो एक—दो विषयों को छोड़कर  प्रत्येक विषय की परीक्षा की अधिकतम समय सीमा 3 घंटे निर्धारित होती है। इसके अलावा 15 मिनट अतिरिक्त समय प्रश्न—पत्र पढ़ने के लिए दिया जाता है। यहाँ हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स बतायेंगे जिससे आप परीक्षा की तैयारी प्रभावी रूप से कर सकते हैं |

2. विषय संबंधित जानकारी और सही योजना :

परीक्षा की तैयारी का पहला चरण विषय की रूपरेखा को ठीक से समझना होता है। प्रत्येक विषय का अपना लक्षण और स्वरूप होता है, इसलिए हर एक विषय की तैयारी का तरीका भी अलग होता है। विघार्थी के लिए सर्वप्रथम विषय के स्वरूप को पहचानना आवश्यक है। जैसे की अगर हम बात करें इतिहास और गणित का स्वरूप एक जैसा नहीं हो सकता। गणित जहां सही और फैक्चुवल होता है, वहीं इतिहास विवरणात्मक व कथात्मक ज्यादा होता है। इतिहास में अगर किसी प्रश्न के उत्तर में पहला वाक्य गलत हो जाता है, तो केवल उसी वाक्य के लिए अंक आपको नहीं मिलेंगे, जबकि गणित में आपने अगर पहला ही स्टेप गलत किया या फिर प्लस या माइनस की गलती हो गई, तो हो सकता है कि आपका पूरा प्रश्न ही गलत हो जाये  और पूरे प्रश्न के एक भी अंक नहीं मिलें|

पहला स्टेप गलत करने के बाद आप उस उत्तर  में जितने भी चरण लिखेंगे, उसमें गणना की गलती होगी और आपका पूरा उत्तर गलत हो जायेगा । इसलिए विद्यार्थी प्रत्येक विषय में उसके लक्षण और स्वरूप के अनुसार उत्तर लिखें तो ही स्कोर कर पाएंगे l अतः एग्जाम के समय इस बात का खास ख्याल रखें। वहीं, भाषा विषय में व्याकरण और शब्दों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है| बात करे विज्ञान विषय की तो इसमें में टू द प्वॉइंट उत्तर लिखने से ही अंक मिलते हैं। वहीं, अगर कहीं किसी सूत्र का आपको प्रयोग करना है तो उस सूत्र को भी उत्तर में लिखना चाहिए। इसके बाद ही उसका प्रयोग प्रश्न के अनुसार करना चाहिए। यही नहीं विज्ञान विषय में यूनिट का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता है। इसी तरीके से अगर हम बात कॉमर्स और इकोनॉमिक्स विषय की करें तो इसमें जहां चार्ट और टेबल बनाने की जरूरत हो, वहां इन्हें ध्यान में रखते हुए उत्तर लिखें| अर्थशास्त्र में ग्राफ और उदाहरणों के साथ ही उत्तर लिखें| आर्ट्स विषय के विघार्थी पहले ध्यान पूर्वक प्रश्नों को समझें क्योंकि इन विषयों में प्रश्न में प्रयुक्त शब्द हमेशा कंफ्यूज करने वाले होते हैं | इसलिए प्रश्न के उत्तर को सबसे पहले वर्गीकृत करें उसके बाद उत्तर लिखना शुरू करें। इससे आपका उत्तर सटीक होगा और आपको निश्चित रूप से अच्छे अंक भी मिलेंगे।

एग्जाम के समय लिखते समय यह भी देखा गया है कि विद्यार्थी बड़े-बड़े अक्षर का प्रयोग कर पृष्ठ भरने की कोशिश करते हैं, जरा सोच कर देखें क्या बड़े अक्षरों में लिख कर पृष्ट भरने से अंक प्राप्त करना आसान है? दरअसल, यह एक मिथ्या धारणा है कि पेज भरने से ज्यादा नंबर मिलते हैं जबकि असलियत में ऐसा नही होता हैं। सच तो यह है कि सही, सटीक और निर्धारित सीमा के अनुसार लिखे गए उत्तर पर ही आपको अंक मिलते हैं तो कदापि ऐसी कोशिश न करें।

3. परीक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाये कोड :

परीक्षा के समीप होने पर हमारे पास बहुत अधिक वक्त नहीं होता है इसलिए ध्यान रखें और जितने भी विषय के आपको नोट्स तैयार करने हो उनके महत्वपूर्ण टॉपिक के नाम के पहले अक्षर को प्रयोग करते हुए एक स्पेशल वर्ड बना लें | यह काफी हद तक मददगार होता है क्योंकि हमारा दिमाग पुरानी चीजों के बारे में जिन्हें हम पहले से जानते है उसे समझने से बेहतर नयी चीजों को सीखने में अपना बेहतर प्रदर्शन करता है क्योंकि जो चीज़े हमने पहले पढ़ी है, उसके बारे में हम उतना गंभीर नहीं हो पाते जितना नयी चीज़ के लिए होते है l कारण कि पुरानी पढ़ी हुई चीजों के मामले में दिमाग में एक सोच होती है कि ये तो हमे पहले से आता है. इसलिए छोटे स्पेशल वर्ड्स और कोड्स का इस्तेमाल करें ताकि आपको चीज़े सही तरीके से याद रहें  और आप भूले नहीं  |

4. बनाये फार्मूला और याद करें मुश्किल चीजें  :

परीक्षा के समय तनाव की स्थिति होती है  और तनाव से राहत पाने के लिए क्या करें यह समझना मुश्किल होता है l साथ ही हमे ये चिंता भी होती है कि हमारे पास याद करने को बहुत कुछ है लेकिन समय सीमा बहुत कम है | दरअसल यह समस्या स्वभाविक है हमें बस इसे ठीक तरीके से सुलझाना आना चाहिए जैसे कि- केमिस्ट्री और बायोलॉजी में सबसे मुश्किल पार्ट किसी रसायन या किसी जीव का वैज्ञानिक नाम याद रखने के लिए उसके नाम का पहला अक्षर और लास्ट अक्षर को दिमाग में बैठाते हुए एक शॉर्ट फॉर्म दिमाग में बना लें l ऐसे ही कुछ टेक्निकल और लॉजिकल तरीके से आपको काफी कुछ याद रखने में आसानी होगी |

5. समय सारणी का निर्माण :
पढ़ाई में आपको मेहनत के अनुसार सफलता मिले इसके लिए जरूरी है कि आप अपनी दिनचर्या एग्जाम टाइम में नियमित करें तथा इसको एक समय—सारणी के रूप में व्यवस्थित भी करें। याद  रखें आपकी समय—सारणी’ कुछ ऐसी होनी चाहिए जिसमें आपके शरीर को आराम भी मिल सके और अधिकतम समय पढाई के लिए केंद्रित भी रहे। मन को स्थिर रखने के लिए योग, ध्यान और खेल—कूद का सहारा लें, जबकि मस्तिष्क को केंद्रित करने के लिए मनोरंजन का सहारा लें। वहीं शरीर को चुस्त रखने के लिए अच्छा खान—पान और भरपूर नींद लेना भी आवश्यक है l हमेशा ख्याल रखें कि आपकी नींद पूरी हो। यह कहने का सीधा मतलब यह है कि सभी पहलुओं का समायोजन करते हुए ही इन दिनों अपनी दिनचर्या को निर्धारित करें। जहां तक विषय की बात है तो आपके टाइम टेबल  में सभी विषयों को प्रमुखता देना जरूरी है। यदि आप नियमित रूप से ऐसा करेंगे, तो विश्वास कीजिए आपका आधा तनाव तो अपने आप ही छूमंतर हो जाएगा। दरअसल, ऐसा कहने की वजह यह है कि परीक्षा परिणाम को बेहतर करने में किसी एक विषय की नहीं बल्कि सारे विषयों के अंकों के कुल योग का महत्व होता है। हमेशा ऐसा देखा गया है कि कुछ बच्चे किसी एक विषय में तो बहुत अच्छा स्कोर करते हैं, जबकि दूसरे में औसत l इसका कारण भी यह ही है कि हम सभी विषय को बराबर समय नहीं देते हैं। इससे उनके समग्र परीक्षा परिणाम के कुल अंक प्रतिशत पर असर पड़ता है।

6. कैसे करें टेक्निकल पढाई :  एग्जाम टाइम में आप कुछ विशेष प्रकार से अपने पढ़ने का तरीका कस्टमाइज कर सकते हैं, जो हर किसी के लिए थोड़ा अलग हो सकता है लेकिन साथ ही अगर आप शुरू से अपनी पढाई को लेकर संजीदा होते है तो परीक्षा की तैयारी जैसा कॉन्सेप्ट आपको मुश्किल नहीं लगता है l अब अगर हम बात करे कुछ ऐसे स्टूडेंट्स की जो एग्जाम टाइम में बहुत कन्फ्यूज  हो रहे हैं कि कैसे और क्या पढ़े तो आपके लिए यह जरुरी है कि किसी भी विषय को टेक्निकल अप्रोच के साथ पढने के लिए आप चार्ट बना सकते है और किसी टॉपिक को एक विशेष महत्वपूर्ण तरीके से जरुरी बिन्दुओ के साथ हाईलाइट करते हुए उसके नोट्स तैयार कर सकते हैं | जिससे आपको कोई भी विषय या टॉपिक पढ़ते समय बोरियत  महसूस नहीं होती है और जरुरी चीजों को याद कर लेने पर उससे जुड़े टॉपिक  याद करने में आपको आसानी होती है  |

7. पैटर्न का प्रयोग करें  :

नोट्स बनाने के लिए या एग्जाम में उत्तर लिखते टाइम सबसे महत्वपूर्ण बात यह  है कि आप उसे रेगुलर किताबों में लिखी चीजों की तरह न लिखें और न ही उनका विस्तारपूर्ण तरीका इस्तेमाल करें बल्कि खुद का एक तरीका अपनाएं जिससे आपको याद रखने में आसानी हो l जैसे आप किसी भी हिंदी या ऐसे विषय जिनमें विस्तार पूर्वक लिखना हो, उनके लिए किसी एक प्वाइंट को सेंटर  में रखकर उससे जुड़े हुए कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट्स की एक श्रेणी तैयार करें जिससे आप उस टॉपिक से रिलेटेड जितने भी महत्वपूर्ण बिंदु है उनको दिमाग में आसानी से रिविजन के दौरान बैठा पायें और छोटे-छोटे चार्ट केमिस्ट्री और बायोलॉजी के लिए इस्तेमाल करें ताकि  विषयों को समझने की कला खुद में विकसित हो और उत्तर लिखते समय भी आपको आपकी रणनीति याद रहे |

8. परीक्षा कक्ष की योजना

हमेशा परीक्षा से एक रात पहले समय से सो जाए, जिससे आप भरपूर नींद ले सके। दरअसल, मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि मस्तिष्क के काम करने की सीमा होती है। यदि हमने इसे तनाव में लाकर पहले ही थका दिया या देर रात पढाई करने के चक्कर में समय पर नहीं सोने की कोशिश की तो इसका असर अगले दिन होने वाली परीक्षा पर पड़ना स्वाभाविक है। मिसाल के तौर पर अगर कोई विद्यार्थी सामान्य तौर पर रात को देर तक जागकर पढ़ाई नहीं करता और वह परीक्षा से एक रात पहले जागता है तो उसे परीक्षा कक्ष में या तो नींद आएगी या फिर वह खुद को पूरी तरह फ्रेश महसूस नहीं कर पाएगा। उस स्थिति में उसके द्वारा संतोषजनक उत्तर नहीं दिया जा सकता है। इसलिए विद्यार्थियों को इस स्थिति से बचना चाहिए। साथ ही अगले दिन होने वाली परीक्षा के लिए एक रात पहले ही अपना पेन—पेंसिल आदि एक जगह तैयार करके रख दें ताकि सुबह उठकर निकलने में किसी तरह की हड़बड़ाहट न हो।

परीक्षा कक्ष में 15 मिनट प्रश्नपत्र पढ़ने के लिए मिलते हैं । इस समय का सदुपयोग करना चाहिए। साथ ही ध्यान रखें कि पश्नपत्र पर कुछ लिखने से बचें। पहले पंद्रह मिनट में ही आप यह सुनिश्चत कर लें कि कौन सा प्रश्न आपको सबसे आसान लगता है और कौन सा मुश्किल और इसके अनुसार ही उत्तर लिखना शुरू करें। जो प्रश्न आपको अच्छी तरह से आता है, उसका उत्तर पहले लिखें। इस बात को ज्यादा अहमियत न दें कि प्रश्न का क्रमानुसार उत्तर लिखने से ज्यादा अंक मिलते हैं। हां, यदि किसी प्रश्न के एक से ज्यादा पार्ट हैं, तो उसका उत्तर एक ही जगह लिखें। उत्तर लिखने से पहले प्रश्न की क्रम संख्या ध्यान से लिखें इसमें कोई गलती न करें।

9. परीक्षा केंद्र पर समय से पहुंचनाः
हमेशा परीक्षा केंद्र पर आधा घंटा पहले पहुंचे। अपना प्रवेश—पत्र साथ ले जाना न भूलें। परीक्षा हॉल में अपनी उत्तर पुस्तिका को निर्देशानुसार पूरा करें। यदि कहीं कोई परेशानी आ रही हो, तो कक्ष में मौजूद निरीक्षक से बात करें, कोशिश करें की अगल—बगल में किसी अन्य विद्यार्थी से ज्यादा ताल मेल न बनाये।

10. कर्मनिष्ठ और आशावादी बनें:
यदि कर्म निष्ठापूर्वक किया गया है, तो उसका परिणाम भी बेहतर ही आएगा इसलिए अपने कर्म पर विश्वास रखें। परीक्षा से पहले और उसके बाद भी आशावादी बनें रहें। यदि उपर्युक्त बातों को विद्यार्थी अपने व्यवहार और विचार में शामिल करेंगे, तो वे परीक्षा के समय जरूर अपनी सफलता के समीप होंगे और आने वाली परीक्षा में अच्छे अंकों से अपना और अपने अभिभावकों का नाम रौशन करेंगे।

शुभकामनायें !!

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