आने वाले दो से तीन महीने लगभग सभी स्कूल विद्यार्थियों के लिए परीक्षा कि तैयारी व् इससे जुड़ी अन्य गतिविधियों से व्यस्त रहने वाले हैं. ऐसे में बहुत से विद्यार्थी ऐसे भी होंगे जो इम्तिहान आते ही पढ़ाई को लेकर दुविधा में होंगे कि क्या पढ़ें, कहाँ से शुरू करें या कितना पढ़ें? अनेक विषयों की किताबों के बीच वे खुद को खोया सा महसूस कर रहे होंगे? ऐसा सिर्फ़ तब होता है जब आप बिना नियमित तरीके से पढ़ाई किये सीधे फाइनल्स में ही झंडे गाड़ने की कोशिश करते हैं और फिर अंत में खुद को असफल होता हुआ महसूस करते हैं. दरअसल इम्तिहान में बेहतरीन नतीजे महज़ एक दिन की मेहनत से हासिल नहीं हो सकते. बल्कि इसके लिए हर तोज़ नियमित तरीके से एक उचित टाइम टेबल के अनुसार पढ़ाई करनी पड़ती है. इसका मतलब यह नहीं के आप सारा दिन ही पढ़ते रहो या किताबी कीड़ा मात्र बनके रह जाओ बल्कि हर रोज़ सिर्फ़ दो या तीन घंटे योजनाबद्ध तरीके से की गई पढ़ाई से ही आप सर्वश्रेष्ठ परिणाम हासिल कर सकते हैं.
यहाँ इस लेख के द्वारा हम आपको बतायेंगे कि हर रोज़ की पढ़ाई के लिए आप अपना टाइम टेबल यानि समय सारणी कैसे तैयार करें ताकि आप असरदार तरीके से पढ़ाई करते हुए वार्षिक परीक्षा में बिना किसी परेशानी या तनाव के मनचाहा परिणाम हासिल कर सकें.
नीचे दिए गये टिप्स आपकी ऐसा टाइम टेबल बनाने में मदद करेंगे जिससे आपका पढ़ाई करने का तरीका और ज़्यादा असरदार हो पाएगा:
1. सभी विषयों की उनकी प्राथमिकता के अनुसार लिस्ट बनाएं
एक असरदार समय सारणी बनाते समय आपका सबसे पहला काम होगा पढ़े जाने वाले सभी विषयों की प्राथमिकता के अनुसार उनकी एक लिस्ट तैयार करना. प्राथमिकता उन विषयों में आपकी रूचि या उनके कठिनाई स्तर के आधार पर दी जानी चाहिए. इससे यह अंदाज़ा लगाना आसान हो जायेगा कि किस विषय को कम या किस विषय को ज़्यादा समय दिया जाए. जिन विषयों में आप खुदको कमज़ोर पाते हैं या जिन विषयों को आप के अध्ययन की सख्त आवश्यकता है उन्हें शीर्ष पर रखिए ताकि टाइम टेबल में उनके लिए ज़्यादा समय निर्धारित किया जा सके. इसके अलावा शक्तिशाली विषयों अर्थात् जिन पर आपकी पकड़ अच्छी होती है, का भी अध्ययन करना ना भूलें.
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2. प्रत्येक विषय में आपको क्या पढ़ना है यह जान लें
विषयों की उनकी प्राथमिकता के अनुसार सूचि तैयार करने के बाद अगला काम होगा उन विषयों के अन्दर मौजूद महत्वपूर्ण टॉपिक्स के बारे में जानना. इसका मतलब यह है कि किसी विषय को पढ़ने से पहले आप इतना जान लें कि उसमे कौन-कौन से इम्पोर्टेन्ट यानि महत्वपूर्ण टॉपिक्स हैं जिनको आप पर्याप्त समय दे सकें. स्कूल में हर रोज़ क्लास में पढ़ाये गये पाठ्यक्रम से आप यह ज़रूर जान पाएंगे कि किस विषय में कौनसा टॉपिक कितना महत्वपूर्ण है जिसे आप घर जाकर दोहरा सकें. आपको अपने रोज़मर्रा के कार्यों को करते हुए इतना समय जरुर निकालना होगा जिसमे आप रोज़ के पढ़ाये गए महत्वपूर्ण विषयों को दोहरा सकें ताकि वह विषय आपके दिमाग में पक्के हो जाएं.
3. अपने स्टडी टाइम टेबल को खण्डों में विभाजित कर लें
किसी एक ही विषय को लम्बे समय तक पढ़ते रहने से ना तो सिर्फ़ बोरियत अति है बल्कि आपका मन भी पढ़ाई से हटने लगता है. इसलिए अपने टाइम टेबल को सभी महत्वपूर्ण विषयों के अनुसार खण्डों में बाँट लें ताकि सभी विषयों को पर्याप्त समय दिया जा सके. उदाहर्ण के तौर पर अगर आपको हर रोज़ 3-4 विषय पढ़ने हैं तो प्रत्येक विषय को उसकी महत्वता के अनुसार 30 से 40 मिनट का समय दें.
4. हर रोज़ एक ही समय पढ़ने के लिए बैठने की कोशिश करें
टाइम टेबल बनाते समय इस बात पे ज़रूर गौर फरमायें कि टाइम टेबल की रचना कुछ इस प्रकार करें कि स्कूल से आने के बाद डेली रुटीन के अन्य कार्य ध्यान में रखते हुए आप पढ़ाई करने के लिए एक ख़ास समय निश्चित कर पाएं. आपके द्वारा बनाया गया टाइम टेबल कुछ ऐसा हो जिससे आप हर रोज़ लगभग एक ही समय पर पढ़ाई करने के लिए बैठ सकें. इससे होगा क्या कि हर रोज़ के रूटीन के अनुसार आपका दिमाग पढ़ने के लिए पहले से तैयार रहेगा और दिन के अन्य कार्यों की तरह पढ़ाई भी आपकी आदतों में शामिल हो जाएगी.
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5. गैर-अकादमिक गतिविधियों को अपने टाइम टेबल में करें शामिल
लंबे समय तक पढ़ते रहने की वजह से आपका मस्तिष्क तनावग्रस्त हो सकता है. इससे आपका शारिरिक व मस्तिष्क विकास दोनों गलत तरीके से प्रभावित होते हैं. इसलिए हर स्टडी सेशन में एक ब्रेक ज़रूर लें जिसमे आप पढ़ाई के अलावा कोई ऐसे कार्य करें जिनसे शारिरिक या मानसिक थकान दूर हो सके और आपको रिफ्रेशमेंट मिल सके. इन कार्यों में आप अपने शौंक जैसे पेंटिंग, सिंगिंग, ब्लॉग्गिंग अदि को शामिल कर सकते हैं या आप इस दौरान कोई खेल या एथलेटिक्स जैसे क्रिकेट, फुटबॉल, दौड़, स्विमिंग आदि सीख सकते हो जो आगे जाके आपकी योग्यता (Aptitude) का एक हिस्सा बन सकता है. इसलिए अगर आप रोज़ दो घंटे पढ़ने के लिए बैठते हैं तो इस स्तर को एक-एक घंटे में तोड़ लें और बीच में 25-30 मिनट का अन्तराल ज़रूर लें.
6. टाइम टेबल के अनुसार किये गये हर कार्य को मार्क जरुर करें
इसका मतलब यह है कि हर स्तर के दौरान आपने कितना पढ़ा है उसका एक छोटा सा ब्यौरा टाइम टेबल के उस स्तर के सामने ज़रूर लिखें. इसमें आपको लिखना होगा कि किस स्तर के दौरान आपने कौनसा विषय कहाँ तक पढ़ा है. इससे जब आप अगली बार पढ़ने बैठोगे तो आपको यह बिल्कुल स्पष्ट रहेगा कि अब आपको कहाँ से पढ़ना शुरू करना है और आपको आगे के लिए भी एक योजना बनाने में आसानी होगी.
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7. मज़बूत व दृढ़ इरादे से अपने टाइम टेबल को फॉलो करें
जितना आसान है टाइम टेबल बनाना, उतना ही आसान है उससे पीछे हटना जो कि ज़्यादातर छात्र करते हैं. कुछ दिन अपने बनाये टाइम टेबल के अनुसार काम करने के बाद विद्यार्थी फिर से पुरानी दिनचर्या पे वापिस आ जाते हैं. लेकिन किसी भी कार्य को नियमबद्ध तरीके से किये बिना उसमें सफ़लता प्राप्त करना लगभग नामुमकिन है. इसलिए अपने अकादमिक सफ़र में विजयी होने के लिए भी विद्यार्थी को एक सही टाइम टेबल की रचना करते हुए दृढ़ इरादे से उसके अनुसार चलना होगा तभी उसकी मेहनत को सफ़लता के फ़ल लग पाएंगे.
इस तरह प्यारे विद्यार्थियों, अगर आप भी मेहनत की सीढ़ी पर चढ़ते हुए सफ़लता के बादलों को छूना चाहते हैं तो मेहनत के साथ-साथ एक सही योजना व अनुशासन का होना बेहद ज़रूरी है जो कि केवल और केवल एक सही समय सारणी को अपनाते हुए ही आपके जीवन में आ सकते हैं.
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