UP Board class 10th science subject notes on Heating effect of electric current in Hindi. Heating effect of electric current is one of the most important chapter of UP Board class 10 Science. So, students must prepare this chapter thoroughly. The notes provided here will be very helpful for the students who are going to appear in UP Board class 10th Science Board exam 2019 and also in the internal exams. In this article we are covering these topic :
1. वाट घंटा मीटर
2. मेन स्विच
3. मेन फ्यूज़
4. फ्यूज़, संरचना
5. संयोजन तार
6. रेगुलेटर
7. प्लग पिन और प्लग सॉकेट
8. विद्युत परिपथ जिसमें दो, विद्युत बल्ब तथा एक पंखा घर के मेन्स से जुड़े हैं उनकी संरचना
9.विद्युत से खतरों के कारण, बचाव
घरों की वायरिंग में प्रयुक्त सामान्य युक्तियाँ :
1. वाट घंटा मीटर : इस यंत्र द्वारा कारखानों तथा घरों में व्यय होने वाली विधुत उर्जा को सीधे यूनिटों ( किलोवाट- घंटा) में मापा जाता है| साधारण बोलचाल की भाषा में इसे विधुत-मीटर भी कहते हैं| विधुत उत्पादन गृह से आने वाली तारों का सम्बन्ध सर्वप्रथम इसी से किया जाता है| इस पर चार पेंच लगे रहते हैं जिनमे से प्रथम दो पेंचों पर IN और अगले दो पेंचों पर out लिखा होता है| उत्पादक गृह से आने वाले दो तार L (line) और N (neutral) का सम्बन्ध विधुत मीटर पर अंकित IN से किया जाता है तथा out में दो तार लगा कर उनका सम्बन्ध में स्विच से कर दिया जाता है| इस प्रकार यह विधुत मीटर घर के सम्पूर्ण उपकरणों में व्यय विधुत उर्जा की माप सीधे उनितों में करता है|

2. मेन स्विच : यह दो स्विचों की संयुक्त वयवस्था होती है, जिसमें एक तार स्विच फेज़ तार (L) तथा दूसरा उदासीन तार (N) से लगा रहता है| ये दोनों स्विच एक साथ ही खोले और बंद किये जा सकते हैं| मेन स्विच के ऑफ करने से घर के सम्पूर्ण परिपथ का सम्बन्ध विधुत मेंस से टूट जाता है| घर के परिपथ के किसी भाग में कुछ मरम्मत करते समय भी में स्विच को ऑफ रखा जाता है|
3. मेन फ्यूज़ : मेन स्विच से आने वाले दोनों तारों फेज़ तार L और उदासीन तार N में दो में फ्यूज़ लगाये जाते हैं| घर के किसी परिपथ में शोर्ट सर्किट होने या विधुत धरा का मान बढ़ जाने से ये फ्यूज़ जल जाते हैं तथा बहार के मेंस से घर के परिपथ का सम्बन्ध विच्छेद कर देते हैं, जिससे उपकरण जलने से बाख जाता है| ये फ्यूज़ तार चीनी मिटटी के बने दो फ्रेमों में लगे रहते हैं जिन्हें किटकैट कहते हैं| फ्यूज़ जल जाने पर, फ्रेमों को बोर्ड से अलग निकालकर उसमें न्य तार लगाया जाता है| मुख्य फ्यूज़ के दुसरे सिरे से लगे दो तार घर के कमरों में ले जाये जाते हैं| इनमे से एक फेज़ तार (L) और दूसरा उदासीन तार (N) होता है| सभी उपकरणों का सम्बन्ध इन्हीं तारों से किया जाता है| इन्हें संयुक्त रूप में विधुत मेंस भी कहा जाता है|
फ्यूज़ : विधुत बल्ब, पंखा, हीटर आदि में बहने वाली धारा का मान, उनके लिए निर्धारित धरा के मान से अधिक न हो जाए के लिए युक्ति प्रयुक्त की जाती है| वह फ्यूज़ कहलाती है|
कभी-कभी घरों में बिजली की दूरी के दोनों तार एक दुसरे से छु जाते हैं| तब यह खा जाता है कि परिपथ अर्थात शोर्ट- सर्किट हो गया है| इस स्तिथि में परिपथ का प्रतिरोध बहुत कम हो जाता है| जिससे परिपथ में बहुत अधिक धारा प्रवाहित होने लगती है| क्यूंकि ऊष्मा की मात्रा धरा के अनुक्र्मनुपति होती है| अतः परिपथ में लगे विधुत बल्ब, रेडियो, फ्रिज, पंखो आदि के जलने का डर बना रहता है| जिससे परिपथ के तारों में आग लग सकती है| इस दुर्घटनाओं से बचने के लिए मुख्य लाईन के साथ श्रेणीक्रम में गलनांक तथा ऊँचे प्रतिरोध का एक पतला लगा देते हैं| इस तार को फ्यूज़ तार कहते हैं|
संरचना : सामान्यतः विधुत फ्यूज़ तार तम्बा, टिन और सीसे के मिश्रण से बना हुवा एक छोटा सा तार होता है जो कि चीनी-मिट्टी के होल्डर पर लगे दो धात्विक टर्मिनलों के बिच खिंचा रहता है| इसका गलनांक तांबे की तुलना में बहुत कम होता है| जिस परिपथ की सुरक्षा करनी होती है| उसके एक तथा दोनों संयोजन तारों के श्रेणी-क्रम में फ्यूज़ तार जोड़ देते हैं| मोटाई के अनुसार फ्यूज़ तार की एक निश्चित क्षमता होती है, जिससे अधिक विधुत धारा प्रवाहित होने पर फ्यूज़ तार गर्म होकर पिघल जाती है| विधुत धारा के बंद हो जाने से उपकरण अथवा परिपथ की खराबी का पता चल जाता है| इसे दूर करके और न्य तार लगाने के बाद परिपथ में विधुत धारा को पुनः चालू कर लिया जाता है| फ्यूज़ पर विधुत धारा तथा विभवान्तर दोनों लिखे रहते हैं|
किसी बल्ब में बैटरी से विधुत धारा प्रवाहित करने पर, विधुत बल्ब की सुरक्षा के लिए फ्यूज़ तार के संयोजन का परिपथ आरेख में दिखाया गया है| फ्यूज़ को विधुत के साथ श्रेणीक्रम में लगाया जाता है|
स्विच : यह एक ऐसी युक्ति है जिसकी सहायता से इच्छानुसार विधुत उपकरणों; जैसे- विधुत बल्ब, ट्यूब, पंखा, टेलीविज़न आदि में विधुत धारा को प्रवाहित करने अथवा रोकने में प्रयुक्त किया जाता है| इसमें किसी धातु जैसे पीतल अथवा एलूमिनियम के दो पेच T1 और T2 किसी विधुतरोधी पदार्थ; जैसे चीनी मिटटी अथवा बैकेलाइट की प्लेट पर एक-दुसरे से कुछ दूरी पर लगे होते हैं| इन पेंचों से एक धातु (पीतल) की पत्ती P, एक स्प्रिंग तथा एक विधुतरोधी पदार्थ की घुण्डी K जुड़ी रहती है| इन पेंचों में से एक पेंच पर में लाइन का तार और दुसरे पेंच पर स्विच के बाहर विधुत उपकरण जोड़ा जाता है| घुण्डी K को निचे की ओर दबाने पर पत्ती P, T1 और T2 के बिच फसक्र जोड़ देती है और विधुत उपकरण में धरा बहने लगती है| जब घुण्डी K को ऊपर की ओर उठा देते हैं तो पेंचो T1 और T2 के बीच परिपथ टूट जाता है और परिपथ में बहने वाली धारा का प्रवाह रूक जाता है| इन दोनों परिस्तिथियों को ON और OFF कहते हैं|
इस उपकरण के ऊपर सुरक्षा हेतु बैकेलाइट का ढक्कन चढ़ा दिया जाता है और पेंचों की सहायता से इसे किसी लकड़ी के बोर्ड अथवा बैकेलाइट की प्लेट पर कास देते हैं| स्विच को हमेशा विधुत मेंस और विधुत उपकरण में श्रेणीक्रम लगाया जाता है|
संयोजन तार : विभिन्न उपकरणों; जैसे- विधुत बल्ब, पंखा आदि को जोड़ने के लिए तम्बा और एल्युमिनियम के मोटे तारो का प्रयोग किया जाता है| ये तार प्लास्टिक तथा अन्य अवरोधक पदार्थ से ढके रहते हैं जिससे की इनका आपस में अथवा मनुष्य से संपर्क न हो सके| इन तारों को दीवार पर लगी लकड़ी की लम्बी पट्टियों पर धात्वीय क्लिपों की सहायता से यथास्थान लगा देते हैं|
रेगुलेटर : इसके द्वारा पंखे, मोटर आदि की चाल नियंत्रित की जाती है| यह एक प्रकार का धारा नियंत्रक है| इसकी घुण्डी को घुमाने से प्रतिरोध घटता बढ़ता है जिस कारण प्रवाहित विधुत धारा भी घटती-बढती है|
प्लग पिन और प्लग सॉकेट : प्लग पिन में बैकेलाइट का एक खांचा होता है जिसमें दो पीतल के पिन फंसे होते है और इनके पीछे पेंच लगे होते है| बैकेलाइट के खोल को, बैकेलाइट के ढक्कन से पेंचो द्वारा बंद कर दिया जाता है| विधुत उपकरण से आने वाले बिजली की तारों को ढक्कन में बने छेद में से गुजारकर अन्दर के पेंचो में जोड़ देते हैं| घर के कुछ उपकरण जैसे- हीटर, रेडियो धुलाई की मशीन आदि को अस्थाई रूप से मेंस के साथ जोड़ने के लिए प्लग सॉकेट का प्रयोग किया जाता है|
UP Board Class 10 Science Notes : Microscope and Telescope
विद्युत परिपथ जिसमें दो, विद्युत बल्ब तथा एक पंखा घर के मेन्स से जुड़े हैं उनकी संरचना :
स्विच विद्युत बल्ब, प्लग प्वाइंट रेगुलेटर तथा पंखा लाइन में जोड़ने के लिए विद्युत परिपथ आरेख चित्र 7.9 में दर्शाया गया है| घरों में लगे विद्युत मेन्स से दो-दो तारों की लाइन प्रत्येक कमरे में ली जाती है| इनमें एक तार गर्म होता है तथा दूसरा ठण्डा तार होता है| गर्म तार उच्च वोल्टेज पर तथा ठण्डा तार शून्य वोल्टेज पर होता है| गर्म तार को जीवित तार तथा ठण्डे तार को उदासीन तार भी कहते हैं| इन्हें क्रमश: L व N से प्रदर्शित करते हैं| जीवित तार को फेज तार भी कहते हैं| विद्युत परिपथों में प्रत्येक उपकरण (बल्ब व पंखे) के एक टर्मिनल को तारों द्वारा लाइन के गर्म तार L से तथा दुसरे टर्मिनल को लाइन के ठण्डे तार N से जोड़ देते हैं| उपकरण तथा गर्म तार को जोड़ने वाले तार में एक-एक स्विच भी लगा देते हैं| जिससे की स्विच को ऑफ़ कर देने पर उपकरण में धारा प्रवाहित न हो| स्विच को सदैव फेज तार तथा उपकरण के बीच में रखते हैं|
विद्युत से क्या खतरे हो सकते हैं? इन खतरों के कारण तथा इनसे बचने के उपाय लिखिए :
विद्युत से खतरे : घरेलू वायरिंग के दोषयुक्त होने के कारण, उससे लगे उपकरणों में तथा संयोजक तारों में आग लग सकती है| विद्युत परिपथ के कहीं से छू जाने पर मनुष्य को तीव्र झटका लगता है| कभी – कभी तो झटका इतना तीव्र होता है की छूने वाले मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती है|
विद्युत से खतरों के कारण- विद्युत से खतरों के निम्नलिखित कारण हैं :
(1) यदि विद्युत उपकरणों से जुड़े तारों का सम्बन्ध ढीला है तो तारों में आग लग सकती है|
(2) यदि स्विच दोषयुक्त है तो इससे आग लगने तथा विद्युत उपकरणों के जलने की संभावना अधिक होती है|
(3) यदि संयोजक तारों पर घटिया विदूतरोधन है तो विद्युत परिपथ में शोर्ट सर्किट हो सकता है|
(4) यदि विद्युत परिपथ में लगे उपकरण भूसम्पर्कित नहीं हैं तो उन्हें छू जाने से मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है|
UP Board Class 10 Science Notes : Electricity
विद्युत के खतरों से बचाव एवं आवश्यक सावधानियाँ :
(1) विद्युत परिपथ में फ्यूज उपयुक्त क्षमता का होना चाहिए| कभी भी संयोजक तार के टुकड़े को फ्यूज तार के स्थान पर प्रयुक्त नहीं करना चाहिए, क्योंकि संयोजक तारों की क्षमता बहुत अधिक होती है; अत: लघुपथित होने अथवा अतिभारण से ये नहीं बच पाते हैं|
(2) विद्युत परिपथ में किसी भी प्रकार का दोष आने पर, आग लगने पर अथवा चिनगारी उत्पन्न होने पर परिपथ का स्विच बंद कर देना चाहिए|
(3) विद्युत परिपथ के सभी जोड़ों पर, स्विचों, सॉकेटों तथा प्लगों आदि के टर्मिनलों पर संयोजक तार अच्छी प्रकार से कसे होने चाहिए|
(4) विद्युत परिपथ में लगा तार उपयुक्त मोटाई के विद्युतरोधी पदार्थ से ढका होना चाहिए तथा यह पदार्थ अच्छी किस्म का होना चाहिए|
(5) विद्युत परिपथ के सभी जोड़ों पर विद्युतरोधी टेप लगानी चाहिए|
(6) विद्युत परिपथ में मरम्मत करते समय में स्विच बंद कर देना चाहिए तथा रबर के दस्तानों एवं रबर के बने जूतों को पहनकर ही विद्युत परिपथ की मरम्मत आदि कार्य करना चाहिए|
(7) विद्युत परिपथ की मरम्मत हेतु प्रयोग में आने वाले औजारों; जैसे-पेंचकस, टेस्टर, प्लास आदि उपयुक्त विद्युतरोधी आवरण से ढके होने चाहिए|
(8) प्रत्यावर्ती धारा परिपथों में फ्यूज तथा स्विच सदैव फेज तार L में ही होने चाहिए|
(9) विद्युत उपकरणों का प्रयोग करते समय भूसम्पर्कित तार का प्रयोग अवश्य करना चाहिए|
उपर्युक्त सावधानियों का ध्यान रखने के पश्चात् भी यदि कोई मनुष्य फेज तार (L तार) से छू जाएगा तो सर्वप्रथम विद्युत परिपथ का मेन स्विच बंद करना चाहिए, फिर उसे किसी विद्युतरोधी पदार्थ; जैसे- लड़की, प्लास्टिक, रबर आदि के सहारे छुडाना चाहिए|
UP Board Class 10 Science Notes : Heating effect of electric current,Part-I