जानिये क्या नहीं लिखना चाहिए रिज्यूम में ?

बहुत छोटी छोटी सी गलतियों की वजह से अक्सर रिज्यूम सेलेक्ट नहीं हो पाते और ना ही जॉब के लिए कॉल आती है.उम्मीदवार को यह समझ में नहीं आता कि आखिर योग्यता होते हुए भी उनका रिज्यूम इन्टरव्यू के लिए सेलेक्ट क्यों नही हो रहा है ?

What should not be written in Resume
What should not be written in Resume

किसी कंपनी या ऑर्गनाइजेशन में ज्वाइन करने से पूर्व किसी भी कैंडिडेट की पहली मुलाकात कंपनी या ऑर्गनाइजेशन के एचआर विभाग से उसके रिज्यूम के जरिये ही होता है. आपका रिज्यूम ही एचआर वालों को कॉल करने के लिए प्रेरित या बाध्य करता है.  हो सकता है आप बहुत प्रतिभाशाली हों,आपको अपने जॉब या प्रोफेशन से जुड़े स्किल्स पता हो लेकिन अगर उसका जिक्र सही तरीके से आपके रिज्यूम में न हो तो बामुश्किल एचआर विभाग आपको कॉल करे. एक बात और अधिकांश लोग रिज्यूम बनाते तो हैं और यह समझकर कि जितनी अधिक जानकारी रिज्यूम में देंगे उतना ही अच्छा होगा तथा उनका रिज्यूम प्रभावी होगा, वे बहुत सारी ऐसी बातों का वर्णन कर देते हैं जिनका करेंट जॉब से कोई लेना देना नहीं होता. इससे आपका रिज्यूम प्रभावी होने की बजाय कहीं न कहीं निगेटिव इम्पैक्ट की वजह से एचआर की नजरों में नहीं आते हैं. इसलिए किसी भी इन्टरव्यू में सेलेक्ट होने के लिए यह जरुरी हो जाता है कि आप यह जानें कि आपको अपने रिज्यूम में क्या नहीं लिखना चाहिए ? इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपका रिज्यूम फर्स्ट साइट में ही सेलेक्ट हो जाय तो निम्नांकित बातों का जिक्र अपने रिज्यूम में कत्तई नहीं करें.

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अपने आप को किसी विशेष छवि वाला नहीं दिखाएँ

अक्सर लोग इन्टरव्यूअर या एम्प्लॉयर को आकर्षित कारने के लिए अपनी विशेष छवि जैसे प्रेरक,गतिशील,अपरिहार्य स्थित में काम करने वाला आदि दिखाते हैं. लेकिन आपको नहीं पता कि एम्प्लॉयर इन बातों से प्रसन्न या आकर्षित नहीं होता है. वह जॉब से रिलेटेड स्किल्स की तलाश की है, कैंडिडेट के रिज्यूम में. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अधिकांश एम्प्लॉयर एक रिज्यूम पर औसतन 15 से 30 सेकंड का समय बिताते हैं और इतने समय में ही वे तय कर लेते हैं कि इस रिज्यूम को उन्हें आगे पढ़ना है या नहीं. इसका मतलब है कि आपको बहुत सोच समझकर गंभीरतापूर्वक अपनी सीवी बनानी चाहिए तथा जॉब की डिमांड के अनुरूप उसमें अपने स्किल्स का वर्णन करना चाहिए. वहां उत्साही,प्रेरक,दृढनिश्चयी आदि जैसे अपने गुणों का बखान करने की कोई जरुरत नहीं है.

कंपनी तथा जॉब के प्रोफाइल से मिलते जुलते उद्देश्य का वर्णन करें

कोई भी एम्प्लॉयर कैंडिडेट के ऑब्जेक्टिव को ही देखता है और मैच करता है कि इसका रिज्यूम हमारे प्रोफाइल से मैच कर रहा है या नहीं. इसलिए एक प्रोफेशनल के रूप में अपने स्किल्स और ऑब्जेक्टिव को दिखायें. अपने आप को बहुत जानकार और ज्ञानी दिखाने के लिए बहुत कठिन वाक्यों तथा शब्दों का प्रयोग नहीं करें.इसे अधिक से अधिक सरल रखने की कोशिश करें. कभी भी पोस्ट विशेष को लेकर बड़े बड़े वादे नहीं करें. ऐसा करने से कहीं न कहीं रिज्यूम देखने या सेलेक्ट करने वाले पर आपकी नकारात्मक छवि बन जाती है.इससे आपको तुरन्त ट्रेस कर आपकी रिज्यूम को अलग किया जा सकता है.

अपनी उपलब्धियों का जिक्र न करें

अधिकांश लोग उपलब्धी और उत्तरदायित्व के अंतर को नहीं समझ पाते हैं. वस्तुतः जो कार्य आपको किसी कंपनी या ऑर्गनाइजेशन विशेष द्वारा सौंपा गया था या है, वो आपका उत्तरदायित्व है जबकि अपने उत्तरदायित्व के निर्वाह में आपने जो कार्य किये, वे हैं आपकी उपलब्धियां.पिछली कंपनी और उसकी साइट विकास की जरूरतों के बारे में लिखने की बजाय, ‘मैंने साइट को विकसित, डिज़ाइन और अपलोड किया है,आदि का वर्णन करें. दसवी, बारहवीं में मैंने अमुक कॉम्पिटिशन जीता आदि का जिक्र करने की कोई जरुरत नहीं है. इन सारी उपलब्धियों का अब आपके वास्तविक काम से कोई लेना देना नहीं है. दरअसल आपकी उपलब्धियों को आपके तात्कालिक जॉब के सन्दर्भ में उपयोगी होना चाहिए तभी उनकी प्रासंगिकता है.

काम का इतिहास:

यदि आप दस वर्षों से अधिक के अपने पेशेवर अनुभव को सूचीबद्ध कर रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि वे उस नौकरी के लिए प्रासंगिक हैं जिसके लिए आप आवेदन कर रहे हैं. यदि आप फ्रेशर है तो हर किसी को पता है कि आपके पास अनुभव नहीं होगा. फिर किसी बात को बढ़ा चढ़ा कर कहने से क्या फायदा ?

अन्य उद्देश्य

कुछ लोग सीवी में जॉब के अतिरिक्त जीवन से जुड़े अन्य उद्देश्यों का वर्णन कर राहत की साँस लेते हैं. लेकिन आपको पता होना चाहिए कि एक एम्प्लॉयर को आपके अन्य उद्देश्यों से कोई लेना देना नहीं होता है. आप सप्ताहांत पर क्या करते हैं या क्या करना चाहते हैं ? इससे उसे कोई लेना देना नहीं है. आपको उसने जो जिम्मेदारी सौपीं है या फिर सौपने वाला है, उसके उद्देश्यों पर आप किस तरह फिट बैठते हैं ? सिर्फ इसी बात से उसे लेना देना होता है. इसलिए रिज्यूम में कभी भी अन्य उद्देश्यों का जिक्र न करें.

जारगन  (शब्दजाल) : इन्टरव्यूअर तथा एम्प्लॉयर को प्रभावित करने के लिए कभी भी जारगन्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. बहुत बड़ी-बड़ी लम्बी पक्तियों के इस्तेमाल से बचें. हो सके तो अधिकांशतः बुलेट प्वाइंट का इस्तेमाल करें. आपने आप को विशेष दिखाने के लिए शब्दों का जाल न बिछाएं.

ग्रामर,पंक्चुएशन तथा स्पेलिंग मिस्टेक न करें : वर्तनी की गलतियाँ, गलत  व्याकरण और गलत विराम चिह्न भाषा के सही ज्ञान का अभाव तथा विवरणों पर ध्यान न देने की कमी को दर्शाते हैं. इसलिए रिज्यूम बनाते समय भाषा से जुड़े हर छोटी छोटी बात पर गौर करना चाहिए.

जब बहुत सारे रिज्यूम सामने पड़े हों, तो इन सारी छोटी छोटी गलतियों की वजह से आपके रिज्यूम को सेलेक्ट नहीं किया जाना बिलकुल सवाभाविक है. इसलिए किसी जॉब के लिए अप्लाई करने से पहले अपनी सीवी की जाँच बहुत ध्यानपूर्वक अवश्य कर लें.

इस प्रकार हम देखते हैं कि बहुत छोटी छोटी सी गलतियों की वजह से अक्सर रिज्यूम सेलेक्ट नहीं हो पाते और ना ही जॉब के लिए कॉल आती है.उम्मीदवार को यह समझ में नहीं आता कि आखिर योग्यता होते हुए भी उनका रिज्यूम इन्टरव्यू के लिए सेलेक्ट क्यों नही हो रहा है ? अतः अगर आप भी इन उलझनों से बचना चाहते हैं तो अवश्य ही इन ऊपर दिए गए बातों का ध्यान अपना रिज्यूम बनांते समय अवश्य रखें.

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