यूँ तो हर कोई बात कर लेता है और अपनी बात सामनेवाले को समझा भी लेता है. लेकिन कार्पोरेट जगत में सिर्फ आपनी बात समझा देने मात्र से ही काम नहीं चलता. व्यक्ति को सामने वाले को कुछ इस तरह इम्प्रेस करना होता है कि न चाहते हुए भी लोग आपकी बात मान ले. अनुशासन से युक्त शब्दों का इस्तेमाल भी कुछ इस कदर करना आना चाहिए कि लोग हँसते हँसते आपकी बात मानने को विवश हो जाएं. इसी वजह से छात्रों को ट्रेंड करने के लिए एमबीए पाठ्यक्रम में कार्पोरेट जगत में प्रयोग किये जाने वाले कम्युनिकेशन के विषय में विस्तार से पढ़ाया जाता है.
यूनाइटेड नेशंस इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार,औद्योगिक उत्पादन के लिहाज से भारत विश्व के 10 शीर्ष देशों में शामिल हो गया है. नई-नई मल्टीनेशनल कंपनियों के आने से कॉरपोरेट कम्युनिकेशन में निपुण लोगों की मांग दिनोदिन बढ़ती ही जा रही है.
कॉरपोरेट कम्युनिकेटर की मांग सभी कंपनियों में है, क्योंकि दो कंपनियों के बीच इनकी अहम भूमिका होती है. यदि कॉरपोरेट सेक्टर में कम्युनिकेशन ही कंपनियों एवं उसके शेयर होल्डरों, उपभोक्ताओं, इंटर्नल ग्रुप के सदस्यों आदि के बीच सेतु का काम करता है. कॉरपोरेट कम्युनिकेटर विभिन्न योजनाओं को कंपनी से जुड़े लोगों तक पहुंचाने का काम करता है. आपकी कम्युनिकेशन स्किल अच्छी है, तो आपके लिए यह क्षेत्र बेहतर करियर विकल्प साबित हो सकता है.

कॉरपोरेट कम्युनिकेशन की फील्ड में जाकर सफलता की असीम ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है, लेकिन यह फील्ड केवल उन्हीं लोगों के लिए है जो अपने काम को निष्ठा और लगन के साथ अंजाम देते हैं और टीम के साथ सामंजस्य बनाए रखने में सक्षम होते हैं.जिन लोगों में चुनौतियों का सामना करने, बात को समझने और समझाने की काबिलियत के साथ-साथ कम्युनिकेशन स्किल अच्छी है, वे इस क्षेत्र में बहुत अच्छा कर सकते हैं.
कॉरपोरेट कम्युनिकेशन से जुड़े कोर्सेज
इस फील्ड में करियर की चाह रखने वालों को मास कम्युनिकेशन का कोर्स करना चाहिए. देश के विभिन्न संस्थानों में मास कम्युनिकेशन से संबंधित डिप्लोमा एवं डिग्री कोर्स संचालित किए जा रहे हैं. इन कोर्सेज में प्रवेश के लिए अलग-अलग शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता होती है. कुछ संस्थान कॉरपोरेट कम्युनिकेशन के कोर्स भी करा रहे हैं.
जरुरी शैक्षणिक योग्यता
इस फील्ड में एंट्री बारहवीं के बाद भी कर सकते हैं, लेकिन यदि ग्रेजुएशन के बाद एंट्री की जाय, तो करियर के बेहतर विकल्प हैं. अंग्रेजी भाषा के ग्रेजुएट्स, कम्युनिकेशन के जानकारों एवं एमबीए कर चुके लोगों को एंट्री मिलने में सहूलियत होती है. मास कम्युनिकेशन की डिग्री या डिप्लोमा इस काम में काफी मददगार साबित होती है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस काम के लिए डिग्री इतनी आवश्यक नहीं है, जितना कि व्यक्ति का अपना व्यक्तिगत गुण.
कार्पोरेट कम्युनिकेशन क्यों है जरुरी ?
कुछ समय पूर्व तक उपभोक्ताओं एवं शेयर होल्डरों आदि से संपर्क के लिए प्रेस रिलीज या गिने चुने माध्यमों का ही प्रयोग किया जाता था. जिससे कई बार जानकारी संबंधित लोगों तक पहुंचती ही नहीं थी या पहुंचती भी थी, तो काफी देर से. इन परेशानियों से बचने के लिए कॉरपोरेट कम्युनिकेशन में प्रशिक्षित लोगों की आवश्यकता महसूस की गई. जिन कंपनियों ने अपने यहां इसके विशेषज्ञों की नियुक्ति की, वे अपने कंपटीटर से बहुत आगे निकल गए. इसकी देखा-देखी बाकी कंपनियों ने भी अपने यहां इस कार्य में दक्ष लोगों की नियुक्तियां कीं. धीरे-धीरे कॉरपोरेट सेक्टर में कम्युनिकेशन का तरीका ही बदल गया.
कॉरपोरेट सेक्टर की गतिविधियां जैसे योजना निर्माण, उसके पालन के तरीके, लोगों को होने वाले लाभ आदि सभी में कम्युनिकेशन की अहम भूमिका होती है. अगर कम्युनिकेशन क्लियर है, तो कंपनी के हित के लिए बनाई गई योजनाएं शीघ्र अमल में आ जाती हैं. मैनेजमेंट को जो संदेश देने होते हैं, वह उन्हें संक्षेप में कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट को बता देती हैं. कम्युनिकेशन विभाग संदेश को इस तरह मूल रूप से देने का काम करता है कि वह पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है.एक अच्छा कम्युनिकेटर कम्युनिकेशन के तरीकों को डेवलप करने के लिए रणनीति बनाता है एवं इंटर्नल कम्युनिकेशन को भी मजबूत करता है. उसका हमेशा यह प्रयास रहता है कि किस तरह लोगों के साथ जुड़कर कस्टमर सर्विस को बेहतर बनाया जाए ?
टीम वर्क की पड़ती है आवश्यकता
अधिकतर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों ने अपने यहां इस काम के लिए पूरी एक टीम का गठन किया है. टीम में सदस्यों की संख्या कंपनी के बाजार में कद पर निर्भर करती है. ये लोग कंपनी के हितों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से संपर्क स्थापित करने का काम भी करते हैं.
बेहतर भविष्य की संभावना
विशेषज्ञों के अनुसार सन 2025 तक विश्व जीडीपी में भारत का योगदान 6 प्रतिशत से बढ़कर 11 प्रतिशत हो जाएगा. सन 2009-10 की अवधि में भारत से कुल 4,65,484.92 मिलियन यूएस डॉलर का व्यापार किया गया है. ये आंकड़े दर्शा रहे हैं कि भारत अमेरिका और चीन के बाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है. ऐसे में यहां आने वाली कंपनियों की संख्या में और वृद्घि होगी, इस वृद्घि के कारण कॉरपोरेट कम्युनिकेटरों की और भी जरूरत पड़ेगी. इनका वेतन कंपनियों के कद के आधार पर तय होता है. चार या पांच वर्ष का अनुभव होने के बाद वेतन और भी बेहतर हो जाता है.
कार्पोरेट कम्युनिकेशन की पढ़ाई कराने वाले मुख्य संस्थान
- जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड मास कम्युनिकेशन, कानपुर
- चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी, सिरसा, हरियाणा
- गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर, पंजाब .
- दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
- आईआईएमसी, दिल्ली
- पटना यूनिवर्सिटी, पटना
कॉरपोरेट कम्युनिकेशन की जॉब के लिए मास कम्युनिकेशन का कोर्स करने वालों को प्राथमिकता दी जाती है. मास कम्युनिकेशन के विद्यार्थियों को इंटर्नशिप के लिए विभिन्न कंपनियों में भेजा जाता है. इस दौरान जो स्टूडेंट अच्छा प्रदर्शन करते हैं वे उन्हीं कंपनियों में रोजगार हासिल कर लेते हैं. अगर सैलरी की बात करें तो इस फील्ड में सैलरी भी बहुत अच्छी मिलती है वश अनुभव और कम्युनिकेशन पर जबरदस्त पकड़ की आवश्यकता होती है.