बेशक, अपनी कॉलेज स्टडीज़ के दौरान अगर स्टूडेंट्स समाजसेवा, फ्रीलान्सिंग, इंटर्नशिप या किसी भी अन्य करियर लाइन में सूटेबल वर्क एक्सपीरियंस हासिल कर लें तो उनकी जॉब प्रोफ़ाइल काफी इम्प्रेसिव बन जाती है. कॉलेज स्टडीज़ के दौरान आपको मिलने वाला वर्क एक्सपीरियंस दरअसल आपको एक कॉलेज स्टूडेंट से एक पेशेवर के तौर पर बदलने के लिए अच्छी तरह तैयार कर देता है.
आजकल हमें भारत सहित दुनिया-भर की जॉब मार्केट में काफी ज्यादा कॉम्पीटिशन देखने को मिलता है. आजकल कॉलेज स्टूडेंट्स के लिए भावी एम्पलॉयर्स को अपने बढ़िया एकेडमिक रिकॉर्ड से प्रभावित करना काफी कठिन हो जाता है. वास्तव में, आजकल के एम्पलॉयर्स ऐसे कैंडिडेट्स को जॉब ऑफर्स देना चाहते हैं जिन्हें अपनी करियर लाइन का थोड़ा-बहुत वर्क एक्सपीरियंस जरुर हो ताकि वे वास्तविक जीवन की परिस्थितियों में अपना काम कुशलतापूर्वक कर सकें. इसलिए, इंटर्नशिप इन दिनों कॉलेज के विभिन्न कोर्सेज का अभिन्न अंग बन चुकी है. इसलिए, इस आर्टिकल को पढ़कर यह अच्छी तरह समझ लें कि क्यों कॉलेज स्टूडेंट्स के लिए आजकल वर्क एक्सपीरियंस हासिल करना इतना महत्वपूर्ण हो गया है.

एम्पलॉयर्स वर्क एक्सपीरियंस वाले ग्रेजुएट्स को देते हैं आकर्षक जॉब ऑफर्स
ऑफिस में सब काम कैसे किये जाते हैं ? इसकी अच्छी समझ रखना उम्मीदवार के लिए काफी लाभप्रद हो सकता है. कॉलेज कैंपस और कार्पोरेट ऑफिस का परिवेश एक दूसरे से काफी अलग होता है. किसी पेशेवर सेटिंग में, कॉलेज की पढ़ाई से कहीं ज्यादा काम का प्रेशर होता है. ऑफिस में कर्मचारी की एक भी गलती से कंपनी को धन का बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है.
जहां दो फ्रेश ग्रेजुएट्स एक ही जॉब प्रोफ़ाइल के लिए आवेदन करते हैं. मान लीजिये कि उनके पास बिलकुल एक समान योग्यताएं हैं और उनके सीवी लगभग समान हैं. एकमात्र अंतर यह है कि उनमें से एक उम्मीदवार ने विभिन्न संगठनों में इंटर्नशिप्स की हैं और दूसरे उम्मीदवार के रिज्यूम में काम करने का कोई अनुभव उल्लिखित नहीं है. आपको क्या लगता है कि एम्पलॉयर अधिक प्राथमिकता किस उम्मीदवार को देंगे? निश्चित रूप से, काम करने का कुछ अनुभव रखने वाले उम्मीदवार को ही वह जॉब मिलेगी. क्यों? इसलिये कि, एम्पलॉयर को उम्मीदवार को शुरू से सब कुछ सीखना नहीं पड़ेगा. उम्मीदवार को इस बारे में पता होगा कि उस कंपनी के विभिन्न विभागों में किस तरह से काम किया जाता है? संभवत: अपने प्रोजेक्ट को निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा करने के प्रेशर में काम करने का अनुभव भी उस उम्मीदवार के पास हो. जबकि, किसी फ्रेशर उम्मीदवार के पास ऐसा कोई अनुभव नहीं होता है. इसलिये, ऐसे किसी फ्रेशर उम्मीदवार को काम पर रखने वाले मैनेजर्स भी काफी कम ही होते हैं.
वर्क एक्सपीरियंस के लिए कॉलेज स्टूडेंट्स करते हैं रिसर्च वर्क और एक्सपेरिमेंट्स
इंटर्नशिप करने के पक्ष में एक और खास बात यह है कि इससे पहले कि आप वास्तव में अपना करियर शुरू करें, आप पहले ही अपने पसंदीदा पेशे के बारे में पता कर सकते हैं. कई कोर्सेज हैं जो बहुत से उद्योगों में करियर के अवसर मुहैया करवाते हैं. उदाहरण के लिए, मास कम्युनिकेशन कोर्स पर विचार करें, इस विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त करने के बाद कोई भी छात्र विज्ञापन, फिल्म निर्माण, पत्रकारिता, प्रकाशन आदि में अपना करियर शुरू कर सकता है और कोई अन्य छात्र पेशेवर फोटोग्राफी में अपना करियर बना सकता है. ये सभी क्षेत्र एक दूसरे से काफी अलग हैं. लेकिन, इससे पहले कि आप इन करियर्स में से किसी एक करियर को अपने के लिए सबसे उपयुक्त समझकर चुनें, आपको इन करियर्स में से प्रत्येक के बारे में अच्छी तरह जानकारी हासिल करनी होगी. जैसेकि, विज्ञापन उद्योग में लोगों को अक्सर शाम को देर तक काम करना पड़ता है. इसी तरह, फोटोग्राफी के लिए आपको कोई जरुरी शॉट लेने के लिए किसी भी समय काम करना पड़ सकता है. इसलिए, अगर कोई व्यक्ति देर रात तक या किसी भी समय काम नहीं कर सकता है तो उसके लिए ये दोनों क्षेत्र सही करियर विकल्प नहीं हो सकते हैं. लेकिन एक बार जब आप ये सारी जानकारी हासिल कर लेते हैं, केवल तभी आप अपनी सहूलियत और पसंद के अनुसार अपने करियर के संबंध में कोई अंतिम निर्णय ले सकते हैं.
वर्क एक्सपीरियंस से होता है ट्रांस्फरेबल स्किल्स का विकास
इंटर्नशिप्स न सिर्फ आपको पेशेवर अनुभव हासिल करने में मदद करती है, बल्कि आपको और भी बहुत सारे व्यावहारिक कौशल सिखाती हैं. जब आप ग्रेजुएट होने के बाद पेशेवर जीवन जीने लगते हैं तो ये अनुभव आपके काफी काम आते हैं. चाहे वह इंटर्नशिप 1-2 महीने की अवधि की हो या फिर, 6 महीनों की लंबी अवधि वाली हो, कुछ ऐसे काम हैं जो आप दोनों सेटिंग्स में सीखते हैं जैसेकि, संचार कौशल और प्रेशर में काम करने का हुनर या फिर, विभिन्न प्रोजेक्ट्स के लिए मल्टी-टास्किंग आदि. आप इन ट्रांसफरेबल स्किल्स को केवल तभी विकसित कर सकते हैं जब आप ऐसी किसी सेटिंग में होते हैं जहां आप जॉब के लिए अप्लाई करके इन स्किल्स का इस्तेमाल कर सकते हैं. जितना अधिक आप इस तरह की सेटिंग्स में काम करते हैं, उतना ही अधिक आप अपने ट्रांसफरेबल स्किल्स निखार सकते हैं. इन ट्रांसफरेबल स्किल्स का अपने रिज्यूम में उल्लेख करने से आप की उम्मीदवारी बहुत अधिक मजबूत हो जाती है और आपके व्यक्तित्व का रिक्रूटिंग मैनेजर पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है.
फुल टाइम जॉब ऑफर्स
यदि आप भरोसेमंद उम्मीदवार लगते हैं तो इस बात की काफी संभावना होती है कि आपको इंटर्नशिप पूरी करने पर अपनी कंपनी से ही पूर्णकालिक जॉब की पेशकश मिल जाए. इसका सबसे अहम कारण यह है कि एम्पलॉयर किसी ऐसे उम्मीदवार को रोजगार देने के लिए अधिक इच्छुक होते हैं जो पहले से कंपनी के काम करने के तरीके से अवगत होते हैं. यदि एम्पलॉयर किसी नये उम्मीदवार को काम पर रखेंगे तो उन्हें उस उम्मीदवार को अपनी कंपनी के काम के बारे में शुरू से ट्रेनिंग देनी पड़ेगी जिससे उनका समय और धन, दोनों बरबाद होंगे. इसलिये, आप इंटर्नशिप के हर मौके का फायदा उठायें और इंटर्नशिप के दौरान मन लगाकर अपना सारा काम करें ताकि आपको काम करने का वास्तविक अनुभव मिल सके.
बढ़ती है नेटवर्किंग
हम सभी एक जैसे नहीं होते हैं और हम सभी के अपने विशिष्ट व्यक्तित्व तथा अपनी अलग पसंद – नापसंद होती है. उदाहरण के लिए, कॉलेज के कुछ छात्र जरूरत पड़ने पर किसी अजनबी से भी बातचीत करना शुरू कर देते हैं और उन्हें बहुत से लोगों से मिलना-जुलना पसंद होता है. लेकिन बहुत से ऐसे छात्र भी होते हैं जो केवल अपने छोटे से ग्रुप के दोस्तों के साथ ही घूमते-फिरते हैं और इसी में खुश रहते हैं. ऐसे लोगों को अकेले समय बिताना अच्छा लगता है. खास बात तो यह है कि इन दोनों किस्म के छात्रों में से कोई भी गलत नहीं है. लेकिन नेटवर्किंग आज के समय की मांग बन गई है. नेटवर्किंग से आपको अपने लिए महत्वपूर्ण कनेक्शन बनाने में सहायता मिलती है जो आपको अपना व्यावसायिक जीवन शुरू करने में काफी फायदा पहुंचा सकते हैं. इन लोगों से आपको अपने पेशे, कार्यक्षेत्र और कामकाज के तरीके आदि के बारे में काफी जानकारी प्राप्त हो सकती है. ये लोग आपके करियर हेतु सही दिशा दिखा सकते हैं.
अपनी वर्क फील्ड में बना सकते हैं खास पहचान
पेशेवर माहौल में बहुत से ऐसे काम होते हैं जो आप तब तक नहीं सीख सकते हैं, जब तक कि आप किसी पेशेवर माहौल में खुद काम करना न शुरू कर दें. ऑफिस में होने वाली अलग-अलग घटनाओं और कामों से आप अलग-अलग अनुभव प्राप्त करेंगे, जिनमें से कुछ अनुभव आपके बहुत काम आ सकते हैं. अगर आप अपनी नौकरी भी बदल लें तो भी काम करने के ये अनुभव आपको हरेक ऑफिस में कुछ न कुछ लाभ जरुर पहुंचाते हैं. किसी वास्तविक वर्क सेटिंग में कार्य करने से आपको इस बात का अनुभव प्राप्त होगा कि ऑफिस में विभिन्न टीमें कैसे एक साथ मिलकर काम करती हैं ? टीम वर्क आपको जवाबदेही और जिम्मेदारी सिखाता है क्योंकि कोई टीम पूरी तरह तभी सही ढंग से अपना काम कर सकती है, जब उस टीम में शामिल सभी कर्मचारी अपना काम ठीक ढंग से करें. यह पेशेवर माहौल आपको सिखाएगा कि कैसे किसी विश्वविद्यालय या कॉलेज का परिवेश पेशेवर माहौल से बिलकुल अलग होता है. इंटर्नशिप मूल रूप से कॉलेज जीवन और पेशेवर जीवन के बीच एक पुल के तौर पर कार्य करती है. सरल शब्दों में, हम यह कह सकते हैं कि इंटर्नशिप के अनुभवों से आप अपने पेशेवर जीवन के लिए तैयार होते हैं और एक छात्र से एक पूर्णकालिक कर्मचारी बनने के बाद आप किसी भी काम या परिस्थिति को लेकर हैरान नहीं होते हैं. इसके अलावा, किसी पेशेवर माहौल में काम करने के अनुभव से आपको किसी भी संगठन में ‘क्या करना है या क्या नहीं करना है’ के बारे में भी काफी अच्छी जानकारी मिल जाती है.
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