बीमा, बीमाकर्ता व बीमित व्यक्ति के बीच एक सहमती है जहाँ बीमित व्यक्ति 'प्रीमियम' के रूप में एक निश्चित मासिक अथवा वार्षिक धनराशि बीमाकर्ता के पास जमा कराता है. इसके बदले में बीमाकर्ता बीमित व्यक्ति को किसी दुर्घटना की स्थिति में प्रीमियम से अधिक राशि अदा करता है. परिवार में किसी व्यक्ति के बीमार हो जाने, दुर्घटना अथवा डकैती जैसी विपदाओं की स्थिति में बीमा अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है. आज लगभग हर परिस्थिति से निपटने के लिए बीमा कंपनियों के पास पॉलिसी हैं. जीवन बीमा, यात्रा बीमा, वाहन बीमा, स्वस्थ्य बीमा तथा गृह बीमा इनमें सबसे ज्यादा प्रचलित हैं. सरकारी कम्पनियों जैसे जीवन बीमा निगम. राष्ट्रीय बीमा कंपनी के अलावा आईसीआईसीआई प्रूडेन्शिअल, मैक्स न्यूयोर्क, बिरला सन लाइफ, बजाज एलिआन्ज़ और टाटा एआईजी जैसी कई निजी कम्पनियाँ भी इस क्षेत्र में कार्यरत हैं.
विद्यार्थी स्नातक के उपरान्त इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं. हालाँकि कुछ छात्र बारहवीं के बाद से ही बीमा क्षेत्र से जुड़ जाना पसंद करते हैं. आजकल कई कम्पनियां स्नातक छात्रों को पार्ट-टाईम जॉब का ऑफर भी देती हैं. फिर भी विषय का पूरा ज्ञान लेने के लिए कॉलेज के पश्चात बीमा प्रबंधन में मास्टर्स डिग्री लेना श्रेयस्कर रहेगा.
बीमा में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में निम्न विषय होते हैं:
इस पढ़ाई का प्रमुख उद्देश्य बीमा क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं से आपका परिचय कराना है.
यदि आपमें सेलिंग स्किल, पीपल स्किल हैं तथा आप लोगों की परेशानियों को समझते व उन्हें वित्तीय मदद भी देने को सदैव तैयार रहते हैं तो बीमा क्षेत्र आपके लिए उत्तम है. परन्तु यदि आप इसे पैसे कमाने का जरिया भर मानते हैं तो इसे करियर के रूप में न चुनें. वास्तविक दुनिया में बीमा का महत्व शुरूआत में ही समझा जाना चाहिए.
यदि आपने अपने विध्यार्थी जीवन के दौरान स्कूल में या उसके बाद कभी भी यह महसूस किया है कि आपके पास अच्छी पीपुल व सेलिंग स्किल्स हैं तो इंश्योरेंस विषय आपके लिए उचित रहेगा. आप किसी प्रसिद्ध इंश्योरेंस कंपनी के इंश्योरेंस एजेंट या सेल्स एग्जीक्यूटिव- इंश्योरेंस के रूप में करियर शुरू कर सकते हैं. इसके लिए आपको इरडा (भारतीय बीमा नियामक प्राधिकरण) द्वारा संचालित एजेंट परीक्षा पास करनी होगी. कुछ वर्ष इस तरह काम करने के बाद आप इन्श्योएन्स मैनेजर भी बन सकते हैं.
बीमा को करियर बनाने के लिए दो प्रकार के कौशल की आवश्यकता होती है- पहला, लोगों को आसानी से मित्र बनाना और दूसरा, उनकी परेशानी को सही ढंग से पहचान कर उन्हें बीमा के महत्व को समझाना. आप उन्हें समझा सकते हैं कि भविष्य में होने वाली किसी दुर्घटना से बीमा कैसे सुरक्षा प्रदान करता है. बीमा कम से कम वित्तीय रूप से लोगों को सुरक्षा तो प्रदान कर ही सकता है.
विश्वविद्यालय एवं संस्थान के अनुसार एमबीए- इंश्योरेंस पाठ्यक्रम की वार्षिक फीस 1 से 2 लाख के बीच हो सकती है. आईसीऍफ़एआई, एनआईए तथा बिरला इंस्टीटयूट कुछ बेहतरीन इंश्योरेंस स्कूल हैं. इसके अलावा कई संस्थान डिप्लोमा पाठ्यक्रम तथा दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से बीमा में पाठ्यक्रम संचालित करते हैं.
बीमा पाठ्यक्रम के लिए अलग से किसी भी तरह का कोई ऋण उपलब्ध नहीं कराया जाता है. परन्तु वर्किंग प्रोफेशनल्स इस कोर्स के लिए अपनी कम्पनी से स्कॉलरशिप प्राप्त कर सकते हैं. इसी तरह स्टेट बैंक ऑफ़ इण्डिया जैसी बैंकों से 7.5 लाख रुपये तक का शिक्षा ऋण प्राप्त किया जा सकता है .
इंश्योरेंस प्रोफेशनल्स के लिए रोज़गार की संभावनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रहीं हैं. आप एक बीमा अभिकर्ता (इंश्योरेंस एजेंट) के रूप में करियर शुरू कर सकते हैं जहाँ आपको लोगों को बीमा पालिसी बेचनी होती हैं. इसके लिए आपको निश्चित टार्गेट दिया जाता है जिसे आपको प्रीमियम के रूप में कम्पनी के लिए कमाकर पूरा करना होता है. इसके बदले में आपको कमीशन दिया जाता है . इसके अलावा सेल्स मैनेजर- इंश्योरेंस का पद भी महत्वपूर्ण होता है जहाँ आपको बीमा अभिकर्ताओं की एक टीम को संभालना होता है. आप इंश्योरेंस अंडरराईटर के रूप में भी अपने करियर की शुरूआत कर सकते हैं.
कंपनी के अनुसार शुरूआत में 10000 से 30000 रुपये तक आसानी से प्राप्त किये जा सकते हैं. किसी उच्च पद पर पहुँचने पर आप 1 लाख रुपए का मासिक वेतनमान भी प्राप्त कर सकते हैं. यदि आपने किसी प्रसिद्ध बी-स्कूल से एमबीए इन इंश्योरेंस किया है तो आप अपनी प्रथम जॉब में ही ज्यादा बेहतर वेतनमान की अपेक्षा कर सकते हैं.
आजकल इंश्योरेंस प्रोफेशनल्स की बहुत मांग है. आज दुनिया की आबादी में सिर्फ 14 प्रतिशत ही बीमा अभिकर्ताओं के द्वारा बीमित हैं जिसका मतलब है कि अभी भी 86 प्रतिशत लोगों ने किसी प्रकार का कोई भी बीमा नहीं कराया है. अतः आपूर्ति की तुलना में मांग बहुत ज्यादा है . आज इस क्षेत्र को लगनशील व व्यापारिक दृष्टि रखने वाले लोगों की आवश्यकता है. चूंकि अक्सर कहा जाता है कि "बीमा प्रार्थना का विषय है" अतः सही पालिसी व एक साफ़-सुथरे तंत्र के द्वारा अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है.
पिछले कुछ वर्षों में मैक्स न्यूयोर्क, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, बजाज अलिआन्ज़ सरीखी कई कम्पनियां लोगों को आकर्षित करने के लिए नई पालिसी लेकर आयी हैं. अधिकतर पालिसी विश्वसनीय तथा लोगों के फायदे के लिए हैं. बीमा उद्योग ने सदैव नई ऊंचाइयों को छुआ है केवल 2009 को छोड़कर जिस वर्ष लगभग सभी बड़ी कम्पनियों ने अपनी आय में गिरावट दर्ज की.
बीमा, वितीय हालत, चल-अचल संपत्ति तथा जीवन को सुरक्षित करने का सबसे अच्छा माध्यम है . यूएस तथा यूके जैसे विकसित देशों में ये क्षेत्र विश्वसनीय व सुव्यवस्थित है. भारत में ये विकासशील अवस्था में है तथा तेज़ी से उभर रहा है. परन्तु एलआईसी एवं जीआईसी दो कम्पनियाँ बहुत विश्वसनीय हैं इनके अलावा सभी निजी कम्पनियां बीमा नियमन विकास प्राधिकरण के कठिन नियमों के अनुसार कार्य करती हैं.
सकारात्मक
नकारात्मक
बीमा पालिसी विभिन्न नामों से बेची जा सकती हैं परन्तु अंततः उनका उद्देश्य होता है किसी प्राकृतिक विपदा, चोरी अथवा किसी और दुर्घटना की स्थिति में भविष्य को सुरक्षित करना. बीमा के कई प्रकारों में से कुछ हैं- जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, गृह बीमा, वाहन बीमा इत्यादि.
ऐच्छिक सांख्यिकीय सूचना के आधार पर रोज़गार के अवसर प्रदान करने वाली टॉप टेन कम्पनियां इस प्रकार हैं:
भारतीय जीवन बीमा निगम, बजाज अलिआन्ज़ जनरल इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई प्रूडेंशिअल लाइफ इंश्योरेंस, न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी, इफ्को टोक्यो जनरल इंश्योरेंस, ओरीएंटल इंश्योरेंस कम्पनी और एचडीऍफ़सी स्टैण्डर्ड लाइफ इंश्योरेंस.
आप बीमा में स्नातक या स्नातकोत्तर डिग्री लेने के पश्चात निम्न सुझावों की सहायता से नौकरी पा सकते हैं: