पुराने लैपटॉप की बैट्रियां विकासशील देशों में मलिन बस्तियों को रौशन कर सकती हैं– आईबीएम इंडिया
आईबीएम इंडिया के एक नए अध्ययन ने बताया है कि पुराने लैपटॉप की बैट्रियां भारत जैसे विकासशील देशों में मलिन बस्तियों को रौशन कर सकती हैं.
आईबीएम इंडिया के एक नए अध्ययन ने बताया है कि पुराने लैपटॉप की बैट्रियां भारत जैसे विकासशील देशों में मलिन बस्तियों को रौशन कर सकती हैं. इस अवधारणा का परीक्षण भारत के बैंगलोर शहर में 2014 में किया गया.
निष्कर्ष एक पेपर में दिसंबर 2014 के पहले सप्ताह में प्रकाशित किया गया जिसका शीर्षक था, 'उरजर (UrJar) : ए लाइटिंग सॉल्यूशन यूजिंग डिसकार्डेड लैपटॉप बैटरीज.'
मौजूदा बिजली के विकल्पों की जगह बेकार बैटरियों का प्रयोग सस्ता विकल्प है. यह बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक– कचरे (ई– वेस्ट) समस्या से निपटने में मदद करता है.
समुचित अनुसंधान करने के बाद, शोधकर्ताओं की टीम ने कम लागत वाले उर्जर (UrJar) समाधान का प्रस्ताव दिया ताकि विश्व के विकासशील इलाकों में अनुपलब्ध बिजली की समस्या का हल हो सके.
कार्यविधि
• आईबीएम समूह ने, हार्डवेयर अनुसंधान एवं विकास के लिए काम करने वाली कंपनी रेडियोस्टूडियो के साथ मिलकर लैपटॉप की बेकार बैटरियों की पैकेजिंग को खोला और उसके व्यक्तिगत भंडारण इकाईयों जिसे सेल्स कहा जाता है, को निकाला.
• उन्होंने 35 बैटरियों की अलग– अलग जांच की ताकि उनमें से वे अच्छा वाला निकाल सकें और उन्हें नई बैटरी बनाने के लिए फिर से जोड़ दिया.
• डोंगल चार्जिंग और बहुत अधिक गर्म होने से बचाने के लिए सर्किट्स को जोड़ने के बाद उन्होंने उसे बैंगलोर के मलिन बस्तियों या फुटपाथ पर रहने वाले पांच उपयोगकर्ताओं को दिया.
• कुछ समय बाद, उपयोगकर्ताओं ने कहा कि बैटरी पैक्स ने अच्छा काम किया.
अध्ययन के निष्कर्ष
• 23 उपकरण बैटरी संचालित थे जबकि बैटरियों को घरेलू वैकल्पिक विद्युत ग्रीड पावर (करेंट ग्रीड पावर) का प्रयोग कर चार्ज किया गया.
• सौर प्रत्यक्ष करंट चार्जिंग के लिए 5 उपकरणों की जरूरत पड़ी और बाकि के 7 जीवाश्म ईंधन जैसे द्रवित पेट्रोलियम गैस या किरोसिन तेल से सीधे उर्जा ले रहे थे.
• अनुसंधानकर्ताओँ ने पाया कि बेकार बैटरियों में से 70 फीसदी से अधिक बैटरियों में एक एलईडी लाइट को एक वर्ष तक एक दिन में चार घंटे से अधिक तक ऑन रखने की क्षमता है.
उर्जर (UrJar) उपकरण
• आईबीएम की टीम ने उर्जर (UrJar) तैयार किया– एक उपकरण जो पुरानी बैटरियों के लिथियम– आयन बैटरियों का प्रयोग कर लाइट जैसे कम– ऊर्जा वाले उपकरणों को जलाता है. उर्जर (UrJar) की क्षमता एक वर्ष की है.
• अगर उर्जर (UrJar) को पर्याप्त बड़ी मात्रा में बनाया जाता है, तो अनुसंधानकर्ताओं का अनुमान है कि प्रति इकाई इसकी लागत 600 रुपये की होगी.
• उर्जर (UrJar) में बिजली की गरीबी को कम करने की दिशा में ई– वेस्ट को कम करने की क्षमता है.
• उर्जर (UrJar) लैपटॉप बैटरियों के अव्यक्त अवशिष्ट क्षमता का उपयोग करने का साधन प्रदान करता है जो अन्यथा बर्बाद ही होगा.
• उर्जर (UrJar) रौशनी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किरोसिन जलाने के विकल्प के तौर पर एक साफ– सुथरा और अपेक्षाकृत सस्ता विकल्प मुहैया कराता है.
पृष्ठभूमि
ई– वेस्ट खासतौर पर विकासशील देशों की प्रमुख समस्या है. आईबीएम के शोध के मुताबिक अमेरिका में रोजाना 142000 कंप्यूटर कचरे में फेंके जाते हैं जो कि एक वर्ष में 50 मिलियन के करीब होता है.
भारत अन्य देशों से बहुत सारा ई– कचरा प्राप्त करता है. तेजी से बढ़ते आईटी बाजार के साथ, भारत खुद भी बहुत बड़ी मात्रा में ई– कचरा पैदा कर रहा है.
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