COVID-19: अक्टूबर-नवंबर के बीच अपने चरम पर पहुंच सकती है तीसरी लहर, दूसरी लहर से कम संक्रामक होने की है उम्मीद
एक IIT-कानपुर वैज्ञानिक, महिंद्रा अग्रवाल, जो विशेषज्ञों की तीन सदस्य-टीम का एक हिस्सा हैं और जिन्हें COVID -19 संक्रमणों में किसी भी वृद्धि की भविष्यवाणी करने के लिए कहा गया है, ने यह बताया है कि, अगर कोई नया विषाणु नहीं उभरता है, तो स्थिति में बहुत कम परिवर्तन होने की संभावना है.

COVID-19 महामारी के गणितीय मॉडलिंग में शामिल एक वैज्ञानिक ने 30 अगस्त, 2021 को यह कहा है कि, भारत में अक्टूबर और नवंबर के बीच इस महामारी की तीसरी लहर अपने चरम पर पहुंच सकती है.
अगर सितंबर, 2021 तक मौजूदा लोगों की तुलना में अधिक विषाणुजनित उत्परिवर्ती उभरता है, तो COVID-19 मामलों में वृद्धि आएगी. हालांकि, इसकी तीव्रता दूसरी लहर की तुलना में बहुत कम होने की उम्मीद जताई जा रही है.
एक IIT-कानपुर वैज्ञानिक, महिंद्रा अग्रवाल, जो विशेषज्ञों की तीन सदस्य-टीम का एक हिस्सा हैं और जिन्हें COVID -19 संक्रमणों में किसी भी वृद्धि की भविष्यवाणी करने के लिए कहा गया है, ने यह बताया है कि, अगर कोई नया विषाणु नहीं उभरता है, तो स्थिति में बहुत कम परिवर्तन होने की संभावना है.
अगर भारत में COVID-19 की तीसरी लहर अपने चरम पर आती है, तो भारत में केवल 01 लाख दैनिक मामले देखे जा सकते हैं, जबकि मई, 2021 में महामारी की दूसरी लहर जब अपने चरम पर थी तो रोजाना 04 लाख से अधिक मामले देखे गये थे. हमारे देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने हजारों लोगों की जान ले ली थी और कई लाख लोगों को संक्रमित किया था.
COVID-19 की तीसरी लहर कम संक्रामक क्यों हो सकती है?
महिंद्रा अग्रवाल ने एक ट्वीट में यह बताया है कि, यथास्थिति तब ही कायम रह सकती है जब कोई नया उत्परिवर्ती नहीं आता है और यह नया संक्रमण तब आ सकता है जब सितंबर, 2021 तक 50% अधिक संक्रामक उत्परिवर्ती मामले सामने आयें. जैसेकि हम देख सकते हैं, तीसरी लहर से कुछ समानता वाला एकमात्र परिदृश्य एक नया प्रकार/ वैरिएंट एप्सिलॉन = 1/33 है. ऐसे में संक्रमण के नए मामले बढ़कर 01 लाख प्रतिदिन हो सकते हैं.
जुलाई, 2021 में इस मॉडल ने यह सुझाव दिया था कि, तीसरी लहर अक्टूबर और नवंबर के बीच अपने चरम पर पहुंच सकती है और अगर SARS-CoV-2 का एक अधिक विषाणुजनित उत्परिवर्ती नए सिरे से कोरोना संक्रमण फैलता है तो, COVID-19 के दैनिक मामले 1.5 लाख से 2 लाख के बीच हर दिन बढ़ सकते हैं.
अहम भूमिका निभा रहा है टीकाकरण
गणितीय विज्ञान संस्थान के एक अध्ययन के अनुसार, COVID-19 महामारी का R या प्रजनन मूल्य 0.89 था. यह आवश्यक है कि R-मूल्य (वैल्यू) 01 मूल्य के नीचे हो ताकि यह इस महामारी के संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद कर सके.
इस महामारी के संक्रमण से निपटने के लिए COVID-19 टीकाकरण दुनिया-भर में सबसे बड़ा हथियार रहा है. भारत में 63 करोड़ से अधिक लोगों को कोविड -19 टीके की खुराक पहले ही दी जा चुकी हैं.
50% वयस्कों को दी गई टीके की कम से कम एक खुराक
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने यह जानकारी दी है कि, भारत में 50% योग्य वयस्कों को COVID-19 वैक्सीन की कम से कम एक खुराक लगाई जा चुकी है.
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