MBIFL 2023: डॉ पैगी मोहन ने ‘मातृभूमि बुक ऑफ द ईयर’ अवार्ड जीता, जानें इस अवार्ड के बारें में
लेखिका डॉ पैगी मोहन ने मातृभूमि इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ लेटर्स (MBIFL 2023) के चौथे संस्करण में 'मातृभूमि बुक ऑफ द ईयर' (Mathrubhumi Book of The Year) पुरस्कार जीता है. मातृभूमि इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ लेटर्स की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी.

Mathrubhumi Book of The Year award: लेखिका डॉ पैगी मोहन (Dr Peggy Mohan) ने मातृभूमि इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ लेटर्स (MBIFL 2023) के चौथे संस्करण में 'मातृभूमि बुक ऑफ द ईयर' (Mathrubhumi Book of The Year) पुरस्कार जीता है. जिसका आयोजन 05 फरवरी 2023 को किया गया.
प्रवासन के परिणाम (Outcome of migrations) के रूप में भाषा के विकास को चित्रित करने वाली उनकी पुस्तक ‘वांडरर्स, किंग्स एंड मर्चेंट्स’ (Wanderers, Kings and Merchants) ने पुरस्कार जीता. इस अवार्ड में उन्हें एक मूर्ति और नकद पुरस्कार के रूप में दो लाख रुपये दिए गए.
डॉ पैगी मोहन को यह अवार्ड, नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुलराज़क गुरनाह ने MBIFL 2023 के समापन समारोह के दौरान दिया.
Heartiest congratulations to our author, Peggy Mohan, for winning @mathrubhumi book of the year 2023! 👏🌟
— Penguin India (@PenguinIndia) February 5, 2023
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कौन है डॉ पैगी मोहन?
डॉ पैगी मोहन ने त्रिनिदाद, वेस्ट इंडीज में अपने जीवन के शुरूआती दिन बिताये. उन्होंने मिशिगन विश्वविद्यालय से भाषा विज्ञान में पीएचडी की डिग्री हासिल की है. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया सहित अन्य केंद्रों में भाषा विज्ञान की शिक्षा दी है.
डॉ पैगी मोहन, इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली और आईआईसी क्वार्टरली जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशनों के साथ काम किया है. उन्होंने तीन प्रसिद्ध उपन्यास भी लिखे है. उन्होंने बच्चों के लिए शैक्षिक टेलीविजन कार्यक्रम भी चलाया है.
मातृभूमि इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ लेटर्स (MBIFL-2023):
MBIFL-2023 को मलयालम में 'का' के नाम से भी जाना जाता है. इसमें 400 से अधिक लोगों के नाम शामिल है जो रचनात्मक क्षेत्रों से जुड़े है. इन नामों में कई नोबेल और बुकर पुरस्कार विजेता और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता भी शामिल है.
यह एमबीआईएफएल का चौथा संस्करण था जिसका थीम "इतिहास की छाया, भविष्य की रोशनी" (Shadows of history, Lights of the future) है. साथ ही मातृभूमि (Mathrubhumi) अपना शताब्दी वर्ष मना रही है.
एमबीआईएफएल के बारें में:
एमबीआईएफएल का गठन, भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आवाज के रूप में गठित किया गया था जो देश में कई अग्रणी सुधारों का समर्थन करता था. एक सदी बाद भी मातृभूमि अभी एक भरोसेमंद और विश्वसनीय एकीकृत मीडिया हाउस की कई संस्थाओं के माध्यम से लोगों से जुड़ी हुई है.
मातृभूमि इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ लेटर्स की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी. इस फेस्टिवल का 2018, 19 और 20 में सफल आयोजन किया गया. लेकिन कोविड महामारी के दौरान इसका आयोजन नहीं हो सका था.
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