DRDO ने भू-खतरा प्रबंधन हेतु सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ फ्रेमवर्क एमओयू पर हस्ताक्षर किए
डीआरडीओ के रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (डीजीआरई) विभिन्न प्रकार के इलाकों और हिमस्खलन से निपटने की बेहतर प्रभावशीलता के लिए महत्वपूर्ण तकनीकों के विकास पर काम कर रहा है.

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 20 जनवरी 2021 को तकनीकी आदान-प्रदान के क्षेत्र में सहयोग को मजबूती देने और स्थायी भू-खतरा प्रबंधन में सहयोग पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) के साथ एक फ्रेमवर्क समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया है.
डीआरडीओ के चेयरमैन एवं डीडीआरऐंडडी के सचिव डॉ. जी सतीश रेड्डी और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में सचिव गिरिधर अरामने ने 20 जनवरी 2021 को इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए.
उद्देश्य
समझौते के मुताबिक, डीआरडीओ और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भू-खतरा प्रबंधन से संबंधित पारस्परिक लाभ के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग करेंगे. यह पहल देश में राष्ट्रीय राजमार्गों पर भूस्खलन एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.
Framework Memorandum of Understanding (MoU) between DRDO and Ministry of Road Transport & Highways (MoRTH) to strengthen collaboration in the field of sustainable geohazard management.https://t.co/Nk9xdXykdD
— DRDO (@DRDO_India) January 20, 2021
मुख्य बिंदु
• डीआरडीओ के रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (डीजीआरई) विभिन्न प्रकार के इलाकों और हिमस्खलन से निपटने की बेहतर प्रभावशीलता के लिए महत्वपूर्ण तकनीकों के विकास पर काम कर रहा है.
• हिमालयी इलाकों में भूस्खलन एवं हिमस्खलन के मैपिंग, पूर्वानुमान, नियंत्रण और उससे निपटने में डीजीआरई की विशेषज्ञता का उपयोग सुरंगों सहित राष्ट्रीय राजमार्गों के डिजाइन तैयार करने में किया जाएगा.
• टेरेन और मॉडलिंग सिमुलेशन डीजीआरई की एक महत्वपूर्ण परिसंपत्ति है जो दुर्गम इलाकों के लिए योजना तैयार करने और मजबूत सड़क बुनियादी ढांचे के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
• सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास एवं रखरखाव के लिए जिम्मेदार है. इस बात पर सहमति हुई है कि डीआरडीओ की विशेषज्ञता का उपयोग देश में विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों पर भूस्खलन, हिमस्खलन एवं अन्य प्राकृतिक कारणों से होने वाले नुकसान के स्थायी समाधान तलाशने में किया जाएगा.
• सहयोग के लिए पहचाने किए गए कुछ क्षेत्रों में गंभीर हिमस्खलन/ भू-खतरों की विस्तृत जांच, राष्ट्रीय राजमार्गों पर भू-खतरों के लिए स्थायी शमन उपायों की योजना, डिजाइन एवं निर्माण शामिल हैं. इसमें सुरंग, निगरानी और शमन उपायों की देखरेख आदि भी शामिल हैं.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के बारे में
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिये देश की अग्रणी संस्था है. यह संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक आनुषांगिक ईकाई के रूप में काम करता है. इस संस्थान की स्थापना 1958 में भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी.