Engineers Day 2021: जानिए इंजीनियर्स डे का इतिहास और महत्व
Engineers' Day 2021: इंजीनियर्स डे को मनाने का मुख्य उद्देश्य ये है कि दुनियाभर के इंजीनियरों को प्रोत्साहन मिले और देश-दुनिया को तकनीक की मदद से और आगे ले जाने में मदद दे सकें.

Engineers' Day 2021: भारत में प्रत्येक साल 15 सिंतबर को अभियंता दिवस (इंजीनियर्स डे) मनाया जाता है. आज का दिन इसलिए भी खास है क्योंकि आज महान अभियंता और भारत रत्न एम विश्वेश्वरैया (M Visvesvaraya) का जन्मदिन है, जो भारत के महान इंजीनियरों में से एक थे. उन्होंने ही आधुनिक भारत की रचना कर देश को एक नया रुप दिया है, जिसे शायद ही कोई भुला पाएं.
ये दिन देश के इंजीनियरों के प्रति सम्मान और उनके कार्य की सराहना के लिए मनाया जाता है. 15 सितंबर यानी इंजीनियर डे उन लोगों को समर्पित है, जिन लोगों ने तकनीक के जरिये विकास को गति दी है. देश के कई नदियों के बांध और पुल को कामयाब व मजबूत बनाने के पीछे सर एम विश्वेश्वरैया का बहुत बड़ा हाथ है. उन्होंने ही देश में बढ़ती पानी की समस्या को भी दूर करने का प्रयास किया था.
इंजीनियर्स डे का उद्देश्य
इंजीनियर्स डे को मनाने का खास मकसद ये है कि दुनियाभर के इंजीनियरों को प्रोत्साहन मिले और देश-दुनिया को तकनीक की मदद से और आगे ले जाने में मदद दे सकें.
हैदराबाद सिटी बनाने का श्रेय
बता दें कि विश्वेश्वरैया ने एक इंजीनियर के रूप में देश में कई बांध को निर्माण करवाया है. इनमें मैसूर में कृष्णराज सागर बांध, ग्वालियर में तिगरा बांध और पुणे के खड़कवासला जलाशय में बांध आदि काफी खास हैं. इसके अतिरिक्त हैदराबाद सिटी को बनाने का श्रेय भी डॉ. विश्वेश्वरैया को ही जाता है. उन्होंने एक बाढ़ सुरक्षा सिस्टम को विकसित किया था. इसके साथ ही समुद्र कटाव से विशाखापत्तनम बंदरगाह की सुरक्षा के लिए खास योजना बनाई थी.
इंजीनियर्स डे इन देशों में भी मनाया जाता है
इंजीनियर्स डे इटली, तुर्की, अर्जेंटीना, बांग्लादेश, ईरान, बेल्जियम और रोमानिया में भी मनाया जाता है. एम विश्वेश्वरैया भारत के महान इंजिनियरों में से एक थे जिन्होंने भारत को और आधुनिक बनाने में योगदान दिया था.
इंजीनियर डे का इतिहास
भारत सरकार द्वारा साल 1968 में डॉ. एम विश्वेश्वरैया की जन्मतिथि को 'अभियंता दिवस' यानि कि इंजीनियर्स डे के रूप में घोषित किया गया था. इसके बाद से हर साल 15 सिंतबर को इंजीनियर्स डे मनाया जाता है. बता दें कि 15 सितंबर 1860 को विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले में हुआ था. ज्ञात हो कि डॉ. एम विश्वेश्वरैया को 1955 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया था. वे कृष्ण राजा सागर डैम प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर भी रहे थे.
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