दीनानाथ गोपाल तेंदुलकर द्वारा लिखित 'गांधी इन चंपारण' का विमोचन
सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में केंद्र सरकार ने ‘गांधी इन चंपारण’ समेत महात्मा गांधी पर आधारित तीन पुराने और मौलिक प्रकाशनों का दोबारा विमोचन किया.
केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने 10 अप्रैल 2017 को नई दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय के सहयोग से प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित विरासत पुस्तनक ‘गांधी इन चम्पा्रण’ का विमोचन किया.
इस अवसर पर राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय की अध्यक्ष अपर्णा बासु और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे. सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में केंद्र सरकार ने ‘गांधी इन चंपारण’ समेत महात्मा गांधी पर आधारित तीन पुराने और मौलिक प्रकाशनों का दोबारा विमोचन किया.
प्रसिद्ध पुस्तक लेखक दीनानाथ गोपाल तेंदुलकर द्वारा लिखी गई है. इन पुस्तकों का विमोचन करते हुए सूचना और प्रकाशन मंत्री एम वेंकैया नायडू ने राष्ट्रपिता द्वारा बताए गए करुणा और अहिंसा के मूल्यों पर जोर दिया.
उन्होंने बताया की गांधीजी की जिंदगी से मानवता, करुणा एवं मनवांछित लक्ष्य प्राप्ति के लिए अनमोल सीख मिलती है.
गांधीजी पर आधारित पुस्तकों से सरकार के स्वेच्छ भारत अभियान, जन धन योजना तथा स्किल इंडिया जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं को प्रोत्साहन मिलेगा, जिनका उद्देश्य समाज के हर वर्ग में समानता लाना एवं उनका सशक्तिकरण करना है.
प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित डीजी तेंदुलकर लिखित दो अन्य पुस्तकों ‘रोमैन रोलैंड एंड गांधी कॉरसपोन्डैंस’ और ‘महात्मा श्रृंखला (8 संस्करण)’ का भी विमोचन किया गया.
पुस्तक ‘महात्मा श्रृंखला (8 संस्करण)’ महात्मा गांधी की जीवनी है, जिसकी कल्पना तथा लेखन बापू के जीवन काल के दौरान ही दीनानाथ गोपाल तेंदुलकर ने की थी, जिसे लेखक ने ही संशोधित संस्करणों में संरक्षित किया है और 60 के दशक के शुरूआत में प्रकाशन विभाग द्वारा इसे प्रकाशित किया गया था.
दीनानाथ गोपाल तेंदुलकर के बारे में:
• दीनानाथ गोपाल तेंदुलकर एक भारतीय लेखक तथा वृत्तचित्र निर्माता थे.
• उन्हें मुख्यतः महात्मा: लाइफ़ ऑफ़ मोहनदास कर्मचन्द गाँधी (अंग्रेज़ी में) नाम से महात्मा गाँधी की आठ खण्डों में लिखी जीवनी हेतु जाना जाता है.
• उनका जन्म वर्ष 1909 में रत्नागिरि, महाराष्ट्र में हुआ था तथा शिक्षा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, यूनिवर्सिटी ऑफ़ मारबर्ग और गौटिंगन विश्वविद्यालयों में हुई.
• उन्होंने गाँधीजी की जीवनी में महत्वपूर्ण कार्य किया जो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रस्ताव के साथ साथ वर्ष 1951 में पहली बार प्रकाशित हुआ.
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