भारतीय वायुसेना की ताकत में होगा इजाफा, रक्षा मंत्री MRSAM मिसाइल को जंगी बेडे में किया शामिल
मध्यम दूरी की जमीन से आसमान में मार करने वाली एमआरएसएएम मिसाइल भारत ने इजरायल की मदद से तैयार की है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 09 सितंबर 2021 को देश के सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राजस्थान में आधिकारिक तौर पर मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (MRSAM) को शामिल किया.
मध्यम दूरी की जमीन से आसमान में मार करने वाली एमआरएसएएम मिसाइल भारत ने इजरायल की मदद से तैयार की है. इस मिसाइल का नेवल-वर्जन, बराक-8 भारतीय नौसेना पहले से इस्तेमाल करती आ रही है.
मुख्य बिंदु
• मीडियम रेंज सर्फस टू एयर मिसाइल यानि एमआरएसएएम की रेंज 70-100 किलोमीटर तक की है.
• इसका इस्तेमाल आसमान में दुश्मन के ड्रोन, हेलीकॉप्टर और फाइटर जेट्स को मार गिराने के लिए किया जाता है.
• इजरायल की आईएआई यानि इजरायल एयरो इंडस्ट्री की मदद से डीआरडीओ और बीडीएल यानि भारत डायनेमिक्स लिमिटेड ने एमआरसैम मिसाइल को तैयार किया है.
• डीआरडीओ थलसेना के लिए भी इस एमआरएसएएम मिसाइल का निर्माण कर रही है और हाल ही में इसके सफल परीक्षण भी किए गए थे.
• भारत के पास फिलहाल शॉर्ट रेंज के लिए आकाश मिसाइल है. लॉन्ग रेंज यानि 400 किलोमीटर के लिए भारत रूस से एस-400 मिसाइल खरीद रहा है, जो इस साल के अंत तक वायुसेना को मिलने की संभावना है.
3 बिलियन डॉलर के अलग-अलग समझौते
कुछ भारतीय युद्धपोतों की हवा से लड़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए एमआरएसएएम के नौसैनिक संस्करण को पहले ही तैनात किया जा चुका है. सेना ने एमआरएसएएम को भी ऑर्डर दे दिए हैं, लेकिन उसने अभी तक सिस्टम को लागू नहीं किया है.
भारत और इज़राइल ने तीन सेवाओं के लिए उन्नत सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली के लिए पिछले चार वर्षों में लगभग 3 बिलियन डॉलर के अलग-अलग समझौते किए हैं. भारत जल्द ही अक्टूबर 2018 में रूस से ऑर्डर किए गए S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को लागू करना शुरू कर देगा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एमआरएसएएम विश्व स्तर पर उपलब्ध सर्वोत्तम मिसाइल प्रणालियों में से एक है और इस परियोजना ने रक्षा क्षेत्र में भारतीयों और इजरायल के बीच घनिष्ठ साझेदारी को उजागर किया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एमआरएसएएम परियोजना भारत और इज़राइल दोनों में रक्षा औद्योगिक ठिकानों को मजबूत करती है और दोनों देशों के लिए “जीत की स्थिति” है. उन्होंने कहा कि इससे देश में नई परीक्षण सुविधाओं और अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण हुआ है.
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