India's first Dugong Conservation Reserve: भारत का पहला 'डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व', जानें, किस राज्य में है?

India's first Dugong Conservation Reserve: भारत का पहला 'डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व' तमिलनाडु में अधिसूचित किया गया है. यह रिजर्व तमिलनाडु के तटीय क्षेत्र पाक खाड़ी (Palk Bay) में स्थापित किया गया है. डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व 448 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है.  

भारत का पहला 'डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व'
भारत का पहला 'डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व'

India's first Dugong Conservation Reserve: भारत का पहला 'डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व' (Dugong Conservation Reserve) तमिलनाडु में अधिसूचित किया गया है. राज्य सरकार ने हाल ही में देश के पहले 'डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व' की घोषणा की है. यह रिजर्व तमिलनाडु के तटीय क्षेत्र पाक खाड़ी (Palk Bay) में स्थापित किया गया है.

इसकी पहल राज्य सरकार ने सितम्बर 2021 में डुगोंग के संरक्षण को लेकर की थी. तमिलनाडु सरकार की यह योजना थी कि इस तरह की पहल से इन समुद्री जीवों के रहन क्षेत्रों को विकसित किया जायेगा और उन्हें संरक्षण प्रदान किया जायेगा. तमिलनाडु पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन विभाग की मुख्य सचिव सुप्रिया साहू ने बताया की यह पहल तमिलनाडु के संरक्षण इतिहास में एक और मील का पत्थर है.

'डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व' के बारे में:

इसे तमिलनाडु के तंजावुर और पुदुकोट्टई जिलों के तटीय क्षेत्र को शामिल करते हुए, पाक खाड़ी में इस रिजर्व को स्थापित किया गया है. डुगोंग कंजर्वेशन रिजर्व 448 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. इसकी पहल सितम्बर 2021 में की गयी थी. 

डुगोंग के बारे में:

  • डुगोंग सबसे बड़े शाकाहारी समुद्री स्तनधारी में से एक है. डुगोंग को 'सी काउ' (Sea Cow) भी कहा जाता है. ये समुद्री घास वाले समुद्री क्षेत्र में निवास करते है. यह सिरेनिया (Sirenia) प्रजाति का जीव है.
  • यह जीव वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I में अधिसूचित है. साथ ही  IUCN की रेड लिस्ट की संवेदनशील (Vulnerable) श्रेणी में शामिल है.
  •   डुगोंग को समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा माना जाता है. इसलिए इनका संरक्षण अति महत्वपूर्ण है. इनका  आवास क्षेत्र कई मछलियों और समुद्री जीवों का प्रजनन और भोजन क्षेत्र है.   
  • ये जीव भारत में मन्नार की खाड़ी,पाक खाड़ी, अंडमान तथा निकोबार द्वीप क्षेत्र और गुजरात के तटीय क्षेत्र कच्छ की खाड़ी में पाए जाते है.
  • ये जीव समुद्री घास को खाते है, इसलिए समुद्री घास क्षेत्र का संरक्षण बेहद जरुरी है. ट्रॉलिंग (मछली पकड़ने का एक तरीका) के कारण समुद्री घासों और प्रवाल भित्तियां नष्ट होती है. अतःइस प्रकार की एक्टिविटी की भी समीक्षा की जनि चाहिए.  

तमिलनाडु में जैव विविधता:

 तमिलनाडु का तटीय क्षेत्र जैसे मन्नार की खाड़ी, पाक खाड़ी और राज्य का पूर्वी तटीय क्षेत्र, समृद्ध समुद्री जैव विविधता का एक प्रमुख केंद्र है. इन क्षेत्रों में कई दुर्लभ और लुप्तप्राय मछलियों और कछुओं की प्रजातियों सहित समुद्री जीव निवास करते है. तमिलनाडु की तटरेखा 1076 किमी लंबी है जिसमे राज्य के 14 तटीय जिले शामिल है.

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