भारत ने अफगानिस्तान पर NSA-स्तरीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी की, 07 देश हुए शामिल

इस बैठक को अफ़ग़ानिस्तान के घटनाक्रम के परिणामों की जांच करने में प्रासंगिक बने रहने के भारतीय प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है.

India hosts NSA-level summit on Afghanistan; 7 nations in attendance
India hosts NSA-level summit on Afghanistan; 7 nations in attendance

भारत ने बुधवार, 10 नवंबर, 2021 को अफ़गानिस्तान में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के पतन और इस देश के तालिबान के अधिग्रहण के बाद, पड़ोसी अफगानिस्तान में चल रही स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक क्षेत्रीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी की है. इस सम्मेलन की अध्यक्षता भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल कर रहे हैं और ईरान, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ताजिकिस्तान के उनके समकक्ष भी इस सम्मेलन में उपस्थित हुए हैं.

भारत में अफ़गानिस्तान पर शिखर सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधि

इस शिखर सम्मेलन में ईरान के सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव एडमिरल अली शामखानी भाग ले रहे हैं; कजाकिस्तान के करीम मासीमोव, राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के अध्यक्ष; किर्गिज़ गणराज्य की सुरक्षा परिषद के सचिव, मराट मुकानोविच इमानकुलोव; रूसी संघ की सुरक्षा के सचिव निकोलाई पी पेट्रुशेव; ताजिकिस्तान की सुरक्षा परिषद के सचिव मसरुलो रहमतजोन महमूदज़ोदा; और तुर्कमेनिस्तान के मंत्रियों की कैबिनेट के उपाध्यक्ष, चार्मीरत काकलयेवविच अमावोव. उज्बेकिस्तान के विक्टर मखमुदोव, सुरक्षा परिषद के सचिव भी हैं.

भारत के अफ़गानिस्तान पर शिखर सम्मेलन के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी

भारत ने औपचारिक रूप से इस बैठक के लिए रूस, ईरान, चीन, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के NSA को आमंत्रित किया था. हालांकि चीन और पाकिस्तान पहले ही कह चुके हैं कि वे इस सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे. इस सम्मेलन के लिए अफगानिस्तान से किसी प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रित नहीं किया गया था.

अफ़गानिस्तान के घटनाक्रम से अवगत लोगों के अनुसार, यह पहली बार है कि सभी मध्य एशियाई देश, न केवल अफगानिस्तान के तत्काल भूमि पड़ोसी - ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान - इस सम्मेलन में कजाकिस्तान और किर्गिज़ गणराज्य के साथ इस चर्चा में भाग ले रहे हैं.

इस बैठक को अफगानिस्तान के घटनाक्रम के नतीजों को परखने में प्रासंगिक बने रहने के भारतीय प्रयासों के एक हिस्से के रूप में देखा जा रहा है.

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यह तीसरी ऐसी बैठक है जो अफगान स्थिति पर हो रही है. इस प्रारूप में पिछली दो क्षेत्रीय बैठकें सितंबर, 2018 और दिसंबर, 2019 में ईरान में हुई थीं.

इस बीच, स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, काबुल इस सम्मेलन को "अफगानिस्तान को सहायता के प्रावधान को सुविधाजनक बनाने" के लिए एक आशावादी कदम के रूप में देख रहा है.

अफ़गानिस्तान के सत्ता परिवर्तन की पृष्ठभूमि

संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके अन्य नाटो सहयोगियों द्वारा सेना की वापसी के बाद, तालिबान ने अगस्त, 2021 में एक सैन्य हमले में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. इस अराजकता ने अफगानिस्तान में एक बड़ा मानवीय संकट पैदा कर दिया है.

किसी भी देश ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है और यह देश आर्थिक पतन के कगार पर है क्योंकि इसे अब अंतर्ऱाष्ट्रीय सहायता बंद हो गई है. अफगानिस्तान को इस्लामिक स्टेट से भी खतरा है, जिसने पिछले कुछ महीनों में अपने हमले तेज कर दिए हैं.

तालिबान के अधिग्रहण के बाद से, भारत सरकार ने वैश्विक समुदाय को आगाह किया है कि, काबुल में बनाए गए सेटअप के लिए किसी भी औपचारिक मान्यता में जल्दबाजी न करें. इसने विश्व नेताओं से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया है कि, तालिबान अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करें कि अफगान धरती का उपयोग आतंकवादी समूहों, विशेष रूप से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तान स्थित संगठनों द्वारा नहीं किया जाएगा.

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