सुरेश प्रभाकर प्रभु ने ‘इंडियन रेलवे- द वैविंग ऑफ ए नेशनल टैपेस्ट्री’ नामक पुस्तक का विमोचन किया
इस पुस्तक को संयुक्त रूप से बिबेक देबरॉय (सदस्य, नीति आयोग), संजय चड्ढा (संयुक्त सचिव, वाणिज्य मंत्रालय) और विद्याकृष्णमूर्ति ने लिखा है.
केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने 30 मार्च 2017 को ‘इंडियन रेलवे- द वैविंग ऑफ ए नेशनल टैपेस्ट्री’ नाम पुस्तक का विमोचन किया.
इस पुस्तक को संयुक्त रूप से बिबेक देबरॉय (सदस्य, नीति आयोग), संजय चड्ढा (संयुक्त सचिव, वाणिज्य मंत्रालय) और विद्याकृष्णमूर्ति ने लिखा है.
‘इंडियन रेलवे- द वैविंग ऑफ ए नेशनल टैपेस्ट्री’ नामक पुस्तक के बारे में:
• इस पुस्तक की मुख्य विषयवस्तु भारत में रेलवे का ऐतिहासिक विकास है.
• रेलवे के ऐतिहासिक विकास को विभिन्न अध्यायों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है, जिसमें विकास के विभिन्न कालों को क्रमानुसार बताया गया है.
• वर्ष 1853 से पूर्व में शुरू हुई पहली वाणिज्यिक यात्री रेल का जिक्र भी इस पुस्तक में है और यही इस पुस्तक की नींव भी है.
• कहानी शैली में लिखी गई इस पुस्तक में सबसे पहले 1830 में भारतीय उप-महाद्वीप में रेलवे के निर्माण को लेकर बनाई गई शुरुआती योजना के बारे में बताया गया है.
• इसके बाद वर्ष 1840 और उसके आसपास इस विषय पर व्यापक स्तर पर हुई विभिन्न चर्चाओं के साथ-साथ 1850 एवं 1860 में भारत में रेलवे के आगमन तक की पूरी कहानी को रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है.
• पुस्तक के अंतिम अध्याय में 20वीं सदी के शुभारंभ से लेकर स्वतंत्रता मिलने तक के कालक्रम को शामिल किया गया है.
• इस पुस्तक में भारतीय रेलवे इतिहास को बेहतर तरीके से चित्रित किया गया है.
• यह पुस्तक वास्तव में रेलवे के इतिहास पर लिखी गई अत्यंत प्रासंगिक पुस्तक है.
• यह पुस्तक भारतीय रेलवे के इतिहास की छोटी-छोटी घटनाओं का विस्तार से वर्णन करती है.
• इस पुस्तक के आवरण पृष्ठ पर भाप वाला लोको इंजन है, जिसे राजपुताना मालवा क्षेत्र में मीटर गेज के लिए इस्तेमाल किया गया था.
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