भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 04 मई 2022 को बताया कि देश के पास अभी भी शुक्र पर मिशन भेजने की क्षमता है. भारत दिसंबर 2024 में शुक्र ग्रह के अध्ययन हेतु शुक्रयान-1 भेजेगा. यह यान सौर मंडल के सबसे गर्म ग्रह की परिक्रमा करते हुए अध्ययन करेगा.
इसरो की बैठक में अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि मिशन की प्रोजेक्ट रिपोर्ट बन गई है तथा जरूरी फंड जुटा लिए गए हैं. उल्लेखनीय है कि भारत ने साल 2017 में शुक्रयान-1 मिशन की जानकारी दी थी. उन्होंने बताया, मिशन को प्रभावशाली बनाने के लिए वैज्ञानिकों से आग्रह किया है.
साल 2024 में ही क्यों चुना गया?
पृथ्वी से शुक्र औसतन 4.10 करोड़ किमी दूर है. यह दूरी सूर्य की परिक्रमा में बढ़ती-घटती रहती है. दिसंबर 2024 में शुक्र धरती के बेहद निकट होगा. इससे अंतरिक्ष यान के लिए सबसे छोटा परिक्रमा पथ तय करना संभव होगा. अगली बार ऐसा मौका साल 2031 में आएगा.
सौरमंडल का सबसे रहस्यमयी ग्रह
सौरमंडल का सबसे रहस्यमयी ग्रह शुक्र है. इसे सल्फर के बादलों ने ढका हुआ है, तो सतह पर ज्वालामुखी और लावा है. सितंबर 2020 में फास्फीन गैस मिलने का दावा वैज्ञानिकों ने किया, यह गैस सूक्ष्म-जीव भी बनाते हैं. भारतीय मिशन पृथ्वी के बाहर जीवन की पुष्टि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
योजना में इन्हें शामिल किया गया है?
बता दें जिन प्रयोगों की योजना बनाई गई है, उनमें सतह प्रक्रियाओं और उथले उप-सतह स्ट्रैटिग्राफी की जांच शामिल है. इसमें सक्रिय ज्वालामुखी हॉटस्पॉट और लावा प्रवाह शामिल हैं. इसके साथ ही वातावरण की संरचना, संरचना और गतिशीलता का अध्ययन और वीनसियन आयनोस्फीयर के साथ सौर हवा की जांच शामिल है.
किन-किन चीजों पर एक्सपेरिमेंट करेगा
शुक्रयान के लिए जो एक्सपेरिमेंट प्लान में हैं, उनमें शामिल हैं- सतह की जांच करना, सक्रिय ज्वालामुखियों का पता लगाना, लावा के बहाव की जानकारी जुटाना, सतह के निचले हिस्से की परतों की जांच करना, शुक्र ग्रह के ढांचे और आकार की बाहरी एवं आंतरिक संरचना की स्टडी, शुक्र ग्रह के वायुमंडल की जांच करना तथा सौर हवाओं से शुक्र ग्रह का संबंध पता करना.