NASA ने लांच किया लैंडसैट 9 उपग्रह, जानें इसकी खासियत
नासा ने एक शक्तिशाली और उन्नत सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा है. इसका काम पृथ्वी की निगरानी करना है. लैंडसैट 9 का काम अंतरिक्ष में पहुंच कर अपने सहयोगी सैटेलाइट लैंडसैट 8 की मदद करना है.

अमेरिकी नेशनल एयरोनाटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने भारतीय समयानुसार 27 सितंबर 2021 को रात 11.41 बजे एक शक्तिशाली सैटेलाइट लैंडसैट 9 (Landsat 9) को लांच कर दिया. इसके साथ चार छोटे सैटेलाइट की भी लांचिंग की गई है. कैलिफोर्निया के स्पेस फोर्स बेस से एटलस वी राकेट (Atlas V rocket) से यह लांचिंग की गई.
नासा (NASA) का नया लैंडसैट 9 उपग्रह अपने साथी लैंडसैट 8 के साथ हर 8 दिन में पूरी पृथ्वी की तस्वीरें लेकर हमारे ग्रह की सेहत पर निगरानी रखेगा. इस समय पृथ्वी जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के खतरनाक दुष्प्रभावों को झेल रही है. अंतरिक्ष से अवलोकन विकास का एक बेहतर दृश्य खोजने में मदद कर सकता है.
किसानों को होगा लाभ
नासा का कहना है कि सैटेलाइट की जानकारी से किसानों को भी बेहतर और उपयोगी फसल का फैसला करने में सहायक सिद्ध हुई है. इसके अतिरिक्त मुफ्त की जानकारी कई देशों को अपने कृषि संसाधनों (Agriculture Resourses) के बेहतर उपयोग में सहयोगी साबित होगा.
उन्नत सैटेलाइट अंतरिक्ष
नासा ने एक शक्तिशाली और उन्नत सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा है. इसका काम पृथ्वी की निगरानी करना है. लैंडसैट 9 का काम अंतरिक्ष में पहुंच कर अपने सहयोगी सैटेलाइट लैंडसैट 8 की मदद करना है.
पृथ्वी पर प्रभावों को जानने में मदद
सैटेलाइट इन आठ दिनों तक हर 99 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर और हर दिन 14 चक्कर लगाकर ग्रह की तस्वीरें जमा करेंगे. ये तस्वीरें उस आंकड़ा समूहों में जोड़ दी जाएंगी जो लोगों के लिए 50 साल से मुफ्त में उपलब्ध है. नासा का कहना है कि मध्यम विभेदन तस्वीरों की क्षमताएं शोधकर्ताओं का मानवीय गतिविधियों के संकेतों की पहचान करने और उनके पृथ्वी पर प्रभावों को जानने में मदद करेंगी.
लैंडसैट 9 एक विकसित तकनीक
लैंडसैट 9 एक विकसित तकनीक का उन्नत सैटेलाइट है जो अपनी श्रृंखला का नौंवा सैटेलाइट है. इसका संचालन नासा गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर करेगा और इसमें दो उपकरण लगे हैं. ऑपरेशनल लैंड इमेजर 2 पृथ्वी पर दिखाई देने वाली, नियर इन्फ्रारेड और शॉर्टवेव इन्फ्रारेड प्रकाश वाली तस्वीरों को लेगा. वहीं थर्मल इन्फ्रारेड सेंसर 2 (TIRS-2) पृथ्वी के सतह के भूभागों के तापमान का अध्ययन करेगा.
सारे बदलावों को समझने में मदद
लैंडसेट 9 नासा और अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग का संयुक्त अभियान है, जो पिछले पांच दशकों से पृथ्वी की प्रक्रियाओं और उनके बहुत सारे बदलावों को समझने में मदद कर रहा है. लैंडसैट सीरीज ने अंटार्कटिका के ग्लेशियरों की गति, कृषि में उपयोग लाए गए पानी की मात्रा, अमेजन के जंगलों में वनों की कटाई जैसे बहुत से बदलावों को मापा है.
लैंडसैट 7 और लैंडसैट 8 उपग्रह
फिलहाल नासा के लैंडसैट 7 और लैंडसैट 8 उपग्रह काम कर रहे हैं और उनकी कक्षा का स्वरूप हर 16 दिन का है, जिससे पृथ्वी के हर जगह की तस्वीर हर 8 दिन में ली जाती है. नासा का कहना है कि लैंडसैट के उपकरण पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए एक बार में 185 किलोमीटर लंबे हिस्से की तस्वीर लेते हैं. इसकी हर पिक्सल 30 मीटर बड़ी होती है.
पहला लैंडसैट कब लॉन्च किया गया
नासा ने पहला लैंडसैट साल 1972 में लॉन्च किया था. इसका नाम अर्थ रिसोर्स टेक्नोलॉजी सैटेलाइट जिसने पृथ्वी की 80 लाख तस्वीरें खींची थीं. नासा का कहना है कि इन सैटेलाइट से वैज्ञानिकों को बदलती पृथ्वी का वैश्विक परिदृश्य दिखता है.
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