सरस्वती सिविलाइजेशन: मेजर जनरल जी डी बक्शी द्वारा लिखित पुस्तक विमोचित
पुस्तक में कहा गया है कि वैज्ञानिक रूप से यह सत्यापित हो चुका है कि सरस्वती नदी का उद्गम स्थल निम्न शिवालिक पर्वत श्रृंखला है.
मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) जी. डी. बक्शी द्वारा लिखित पुस्तक ‘सरस्वती सिविलाइजेशन: ए पैराडाइम शिफ्ट इन एंशियंट इंडियन हिस्ट्री’ हाल ही में विमोचित हुई. यह पुस्तक सरस्वती नदी के इतिहास के साथ-साथ भारत के इतिहास पर भी प्रकाश डालती है. इस पुस्तक में जनरल (सेवानिवृत्त) जी. डी. बक्शी ने सरस्वती नदी पर विस्तार से अध्ययन प्रस्तुत किया है जो कि भारतीय इतिहास और भौगौलिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है.
समय के साथ भारत के अधिकतर क्षेत्रों से सरस्वती नदी सूख चुकी है लेकिन इससे जुड़े विभिन्न अवशेष अब भी विद्यमान हैं. सरस्वती नदी से जुड़े विभिन्न सवालों का जवाब मेजर जनरल जी. डी. बक्शी ने अपनी हालिया पुस्तक 'सरस्वती सिविलाइजेशन: ए पैराडाइम शिफ्ट इन एंशियंट इंडियन हिस्ट्री' में तलाशने का प्रयास किया है.
‘सरस्वती सिविलाइजेशन’ पुस्तक के बारे में
• पुस्तक की प्रस्तावना डेक्कन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. वसंत शिंदे ने लिखी है. उनके द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पिछले एक दशक के दौरान कई विषयों के विद्वानों की शैक्षणिक पहल और पुरातात्विक एजेंसियों की तत्परता से इस नदी के अस्तित्व का पता चला है.
• पहले यह नदी उत्तर-पश्चिम भारत के विस्तृत क्षेत्र में मौजूद थी. अब यह नदी उत्तर—पश्चिम भारत में बहने वाली घग्गर—हाकरा के नाम से जानी जाती है.
• वैज्ञानिक रूप से यह सत्यापित हो चुका है कि सरस्वती नदी का उद्गम स्थल निम्न शिवालिक पर्वत श्रृंखला है जो अब पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी राजस्थान से बहते हुए पाकिस्तान बहावलपुर जिले और फिर गुजरात के कच्छ से होते हुए अरब सागर में मिलती है.
• मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) जी. डी. बक्शी द्वारा इस पुस्तक में प्राचीन भारतीय इतिहास के कई महत्वपूर्ण पहलुओं और विषयों को शामिल किया गया है और उपनिवेश काल के इतिहासकारों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया गया है.
जी.डी. बक्शी के बारे में
मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) गगनदीप बक्शी (सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक) भारतीय सेना के एक सेवानिवृत अधिकारी एवं लेखक हैं. उन्हें आमतौर पर जी. डी. बक्शी के नाम से जाना जाता है. वे जम्मू एवं कश्मीर राइफल्स में तैनात थे. उन्हें कारगिल युद्ध में एक बटालियन का नेतृत्व करने के लिए विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया. उन्होंने अंग्रेजी भाषा में बोस: एन इंडियन समुराई ए मिलेट्री एसेस्मेंट नेताजी एंड द आई एन ए (Bose: An Indian Samurai, A Military Assessment of Netaji and the INA) नामक पुस्तक भी लिखी है.
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