सूडान की राजधानी में नागरिक शासन की मांग को लेकर हजारों लोगों ने की रैली

सूडान की राजधानी खार्तूम में पूर्ण नागरिक सरकार की मांग को लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं.

Thousands rally in Sudan's capital to demand civilian rule
Thousands rally in Sudan's capital to demand civilian rule

सूडान की राजधानी खार्तूम में पूर्ण नागरिक सरकार की मांग को लेकर हजारों लोग एक-साथ सड़कों पर उतर आए हैं. देश के भविष्य को लेकर हाल ही के हफ्तों में सैन्य जनरलों और सूडान के लोकतंत्र समर्थक समूहों के बीच संबंध काफी खराब हो गये हैं.

सूडान पर वर्ष, 2019 से एक अंतरिम नागरिक-सैन्य सरकार का शासन है. इस सेना ने लंबे समय से कायम निरंकुश शासक ओमर अल-बशीर को उनके शासन से चार महीने के बड़े जन-विरोध के बाद अप्रैल, 2019 में हटा दिया था. अल-बशीर के तख्तापलट के साथ, सत्तारूढ़ जनरलों ने विरोध आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने वाले नागरिकों के साथ सत्ता साझा करने पर सहमति व्यक्त की थी.

इसके बाद सूडान में सब कुछ अस्थिर रहा है. कुछ दिन पहले, एक प्रतिद्वंद्वी समूह ने सैन्य नेताओं के समर्थन में रैली की. गुरुवार की रैलियां इसी रैली के जवाब में आयोजित की गई थीं.

सूडानी नागरिकों का रवैया

सूडानी प्रोफेशनल्स एसोसिएशन ने गुरुवार को देश भर में बड़ी रैलियों का आह्वान करते हुए अपने एक बयान में यह कहा कि, "आइए हम अपने इस विरोध के साथ लोकप्रिय विद्रोह की एक नई लहर को जोड़ दें जो पूरी तरह से नागरिक और लोकतांत्रिक शासन का मार्ग प्रशस्त करेगी." इस समूह ने दिसंबर, 2018 में शुरू हुए राष्ट्रव्यापी विद्रोह का नेतृत्व किया था जोकि अल-बशीर के निष्कासन में परिणत हुआ था.

सूडान की राजधानी में हजारों पुरुषों और महिलाओं ने गुरुवार/ बृहस्पतिवार को सूडानी झंडा लहराते हुए और ये नारे लगाते हुए मार्च किया कि, "हम स्वतंत्र हैं! हम क्रांतिकारी हैं! हम अपनी यात्रा जारी रखेंगे!"

सूडान के अंतरिम अधिकारियों ने यह कहा है कि, पिछले महीने सेना के भीतर तख्तापलट के प्रयास को विफल करने के बाद से, संक्रमणकालीन सरकार में नागरिकों और जनरलों के बीच तनाव बढ़ गया है. इन अधिकारियों ने इस कदम के लिए अल-बशीर के वफादारों को जिम्मेदार ठहराया है. इस घोषणा ने नागरिकों में यह भय भी पैदा कर दिया है कि, यह सेना अंततः देश के नागरिक लोकतांत्रिक शासन में परिवर्तन में अवरोध पैदा कर सकती है.

सूडानी सैन्य नेताओं का रवैया

सैन्य नेताओं ने भी अपनी दिशा में बदलाव के संकेत दिए हैं. सत्तारूढ़ संप्रभु परिषद के प्रमुख जनरल अब्देल-फतह बुरहान ने यह कहा है कि, प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक की सरकार को भंग करने से चल रहे राजनीतिक संकट का समाधान हो सकता है. सत्तारूढ़ जनरलों के समर्थन में प्रतिद्वंद्वी विरोध के कुछ दिनों बाद, ये गुरुवार की रैलियां आती हैं.

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हमदोक की सरकार को खत्म करने और सैन्य शासन की स्थापना की मांग को लेकर शनिवार को हजारों सूडानी खार्तूम की सड़कों पर उतर आए थे. तब से, उनमें से सैकड़ों संप्रभु परिषद की सीट (रिपब्लिकन पैलेस) के बाहर डेरा डाले हुए हैं.

बुधवार को एक ट्वीट में, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सूडान से शांतिपूर्वक और बिना हिंसा के सभा करने के अपने अधिकार का प्रयोग करने का आह्वान किया था.

सूडानी नागरिक विरोध की पृष्टभूमि

इस गुरुवार की रैलियां सूडानी विद्रोह की 57वीं वर्षगांठ के साथ मेल खाती हैं जिसने वर्ष, 1964 में जनरल इब्राहिम अब्बूद के सैन्य शासन को समाप्त कर दिया था और सूडान में एक संवैधानिक सरकार का मार्ग प्रशस्त किया था.

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