भारत में पर्यटन - वर्तमान स्थिति, अवसर और चुनौतियाँ

भारत 365 दिनों के गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने के लिए बेहतर पर्यटन उत्पादों को बढ़ावा दे रहा है जिसमें क्रूज़, एडवेंचर, चिकित्सा, कल्याण, गोल्फ, पोलो आदि शामिल हैं.

Tourism in India – Current Status, Opportunities and Challenges
Tourism in India – Current Status, Opportunities and Challenges

अक्टूबर 2017 में  केंद्रीय मंत्रालय ने अन्य केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और हितधारकों के साथ मिलकर पूरे देश में "पर्यटन पर्व" का सफलतापूर्वक आयोजन किया.पर्यटन के लाभों पर ध्यान केंद्रित करने, देश की सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन और "सभी के लिए पर्यटन" के सिद्धांत को और सुदृढ़ करने के उद्देश्य से 21 दिन तक चलनेवाले इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इससे पहले, सितंबर 2017 में  रेडियो पर प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकों को भारत में यात्रा करने और घरेलू पर्यटन को एक बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए कहा था. इन दोनों घटनाओं को अलग अलग रूप में नहीं देखा जा सकता है. इससे सही मायने में पर्यटन के विकास को लेकर सरकार की गंभीरता तथा व्यापक दृष्टिकोण का संकेत मिलता है.

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अतः इस संदर्भ में भारत में पर्यटन की स्थिति, इस क्षेत्र में अवसर और संभावित विकास के मार्ग में आने वाली मुख्य चुनौतियों को समझने की कोशिश करते हैं.

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भारत में पर्यटन क्षेत्र की वर्तमान स्थिति -

• भारत के पर्यटन क्षेत्र में विदेशी पर्यटक आगमन (एफटीए) के मामले में 2015 में 8.2 मिलियन आगमन से 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई और 21.1 अरब डालर के विदेशी मुद्रा आय (एफईई) में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई. 2016 में एफटीए 10.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 8.9 मिलियन और 9.8 प्रतिशत की वृद्धि के साथ एफईई (अमरीकी डालर) 23.1 बिलियन अमरीकी डॉलर था.राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में घरेलू पर्यटकों के दौरे से होने वाली आय 2015 में अनुमानतः लगभग 143 करोड़ रूपये थी

• पर्यटन के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए  दो प्रमुख योजनाएं लागू की गई हैं - स्वदेश दर्शन (थीम-आधारित पर्यटन परिपथों का समन्वित विकास) और प्रसाद (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक वृद्धि ड्राइव).

• भारत 365 दिनों के गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने के लिए बेहतर पर्यटन उत्पादों को बढ़ावा दे रहा है जिसमें क्रूज़, एडवेंचर, चिकित्सा, कल्याण, गोल्फ, पोलो आदि शामिल हैं.

• अन्य प्रमुख पहलों में - पर्यटन के संवर्धन, पर्यटन अनुसंधान को बढ़ावा देने, स्वच्छ भारत मिशन आदि के हिस्से के रूप में स्वच्छ पाखवाड़ा के लिए विभिन्न देशों के साथ सामंजस्य समझौते और समझौतों पर हस्ताक्षर शामिल हैं.

• इन प्रयासों के परिणामस्वरूप  भारत यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक 2017 में अपनी 12 वें स्थान की स्थिति में सुधार कर सकता है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) द्वारा तैयार की गई द्विवार्षिक सूचकांक में  136 देशों के सर्वेक्षण में भारत को 40 वें स्थान पर रखा गया था.

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पर्यटन क्षेत्र में भारत के लिए अवसर –

दर्शनीय सुन्दरता : भारत महान पर्यटन क्षमता वाला देश है. कश्मीर से कन्याकुमारी तक, अरुणाचल प्रदेश से गुजरात तक, प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्टता और संस्कृति है – ये क्षेत्र अपने  ठंड / गर्म रेगिस्तान (लद्दाख / राजस्थान), नदियों (गंगा और ब्रह्मपुत्र), वन (निलिगिरि और उत्तर पूर्व), द्वीपों (अंडमान और निकोर्बार) आदि प्राकृतिक विशेषताओं से पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करने की शक्ति रखते हैं. साथ ही यहाँ के परिदृश्य में व्यापक विविधता भारत और विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए कई विकल्प प्रदान करती हैं. प्राकृतिक परिदृश्य के अतिरिक्त  पूरे देश में फैले सांस्कृतिक विरासत भी देश में पर्यटन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

धर्मों की जन्मस्थली : भारत तीन धर्मों का जन्मस्थान है- हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म. विशाल परिदृश्य में असंख्य पवित्र और धार्मिक पर्यटन स्थल हैं जो दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशियाई देशों के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त  हैं. पश्चिम में दिलवाड़ा जैन मंदिर की पूरी क्षमता, पूर्व और पूर्वोत्तर में बौद्ध स्थलों और दक्षिण में प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों का अभी तक पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है.

घरेलू पर्यटक : भारत 1.25 अरब आबादी के साथ दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है. दूसरे शब्दों में  वे यदि सही नीतियां और बुनियादी ढांचा मौजूद हो तो कम से कम 1.25 अरब पर्यटक यात्राओं का प्रस्ताव रख सकते हैं. मोदी की मान की बात से एक क्यू लेते हुए नीति निर्माताओं को भविष्य के लिए सोचना चाहिए और घरेलू पर्यटन क्षमता को टैप करने के लिए उचित रणनीतियों के साथ आगे आना चाहिए.

भारत द्वारा पर्यटकों को प्रदान किए जाने वाले उपरोक्त आकर्षण के बावजूद एक अच्छी तरह से विकसित पर्यटन प्रणाली के समक्ष कई चुनौतियाँ हैं. उनमें से कुछ हैं -

बुनियादी ढांचा का अभाव : यह भारतीय पर्यटन क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है. पर्यटन से जुड़ी आर्थिक और सामाजिक अवसंरचना,होटल, कनेक्टिविटी, मानव संसाधन, स्वच्छता, स्वास्थ्य सुविधाएं आदि काफी हद तक भारत में विकसित होने की अवस्था में हैं. बुनियादी ढांचे की खराब गुणवत्ता आईसीटी तत्परता घटक में भारत के 112 वें रैंक में और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक 2017 के स्वास्थ्य और स्वच्छता घटकों में 104 वें रैंक से स्पष्ट परिलक्षित होती है. इस उदासीनता का मुख्य कारण वित्तीय संसाधनों का खराब आवंटन है. गौरतलब है कि 2017-18 के बजट में  सरकार ने पर्यटन जैसे एक बड़े क्षेत्र के लिए केवल 1840 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.

सुरक्षा : पर्यटकों की सुरक्षा विशेष रूप से विदेशी पर्यटकों की, पर्यटन विकास के मार्ग में एक प्रमुख बाधा है. विदेशी नागरिकों पर विशेष रूप से महिलाओं पर हमलों, दूरदराज के देशों के पर्यटकों के स्वागत के लिए भारत की क्षमता पर कुछ सवाल उठाते हैं. सर्वेक्षण कराये गए 130 देशों में  भारत को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम  सूचकांक 2017 में सुरक्षा पहलुओं के मामले में 114 वें स्थान पर रखा गया था.

आम आदमी तक पहुँच  : देश के अधिकांश पर्यटन स्थलों में गरीब, महिला और बुजुर्गों की पहुंच नहीं है. ऐसा यात्रा की उच्च लागत, खराब कनेक्टिविटी और विभिन्न कारणों के लिए आवश्यक अनुमतियों की एक श्रृंखला के कारण है. भारतीय दिव्यांग  जो पूरी जनसंख्या के 2 प्रतिशत हैं, देश मंल कई पर्यटन स्थलों तक नहीं पहुंच सकते हैं.

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निष्कर्ष

देश में पर्यटन क्षेत्र में हो रहे तात्कालिक विकास के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आगमन में भारत का हिस्सा 0.50% से कम है, जबकि वैश्विक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन प्राप्तियों में हिस्सा करीब 1.30% है. पर्यटन न केवल तृतीयक क्षेत्र में नौकरियां प्रदान करता है बल्कि  यह उद्योग के प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों में भी वृद्धि को प्रोत्साहित करता है. इसलिए सरकार को पर्यटन क्षेत्र के समस्त विकास के लिए समावेशी विकास के मुख्य चालक के रूप में कार्य करने की क्षमता वाले निजी क्षेत्र की भागीदारी को एक बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करना चाहिए.

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