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क्या हैं महिला आरक्षण बिल? जानें इस बिल से जुड़े हर सवाल का जवाब
पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली केन्द्रीय कैबिनेट ने महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है. यह बिल पिछले 27 साल से लटका हुआ था. हालांकि कैबिनेट का फैसला अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ है, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी लेकिन बाद में उन्होंने यह ट्वीट डिलीट कर दिया. क्या हैं महिला आरक्षण बिल? जानें इस बिल से जुड़े हर सवाल का जवाब.

Women's Reservation Bill: पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली केन्द्रीय कैबिनेट ने महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है. यह बिल पिछले 27 साल से लटका हुआ था. इसके तहत लोकसभा और विधानसभाओं जैसी निर्वाचित संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है.
हालांकि कैबिनेट का फैसला अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ है, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी लेकिन बाद में उन्होंने यह ट्वीट डिलीट कर दिया. जिसके बाद से चर्चा तेज हो गयी है कि सरकार विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पेश कर सकती है.
क्या है महिला आरक्षण विधेयक?
महिला आरक्षण विधेयक के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटों को आरक्षित करने का प्राविधान है. यह संविधान के 85वें संशोधन से जुड़ा हुआ विधेयक है.
इस 33 फीसदी आरक्षण में से एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित किये जाने का भी प्रावधान है. लैंगिक समानता और समावेशी विकास के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण विधेयक होने के बावजूद यह लंबे समय से अधर में लटका है.
महिला आरक्षण विधेयक पर कब क्या हुआ?
महिला आरक्षण बिल 1996 में तत्कालीन एचडी देवगौड़ा सरकार द्वारा पेश किया गया था लेकिन यह पारित नहीं हो सका. उस समय यह बिल 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश किया गया था. इस बिल में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं था.
साल 1998 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इस बिल को फिर से लोकसभा में पेश किया. कई दलों के गठबंधन वाली यह सरकार भी बिल को पास कराने में नाकाम रही. वाजपेयी सरकार ने इसे 1999, 2002 और 2003-2004 में भी पारित कराने की कोशिश की थी लेकिन सफल नहीं हो पाए.
साल 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने भी इस बिल को 108वें संविधान संशोधन विधेयक के तौर पर राज्यसभा में पेश किया. कुश सहयोगी दलों के विरोध के कारण यूपीए सरकार ने इस बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया और बिल फिर अधर में लटका रहा.
क्या है मोदी सरकार की तैयारी:
मोदी सरकार अब इस बिल को नए सिरे से पेश करने की तैयारी में है. यह बिल राज्य सभा से पास हो चुका है और राज्य सभा एक स्थायी सदन है इसलिए यह बिल अभी तक अस्तित्व में है. अगर यह बिल लोकसभा में पारित हो जाता है तो यह राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद क़ानून बन जाएगा.
अगर यह बिल पास होकर कानून बन जाता है तो 2024 के चुनाव में महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण मिल जायेगा ऐसे में इससे लोकसभा की हर तीसरी सदस्य महिला होगी.
महिलाओं की बढ़ेगी भागीदारी:
लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण को पास करने का यह सही समय है. यह बिल 2010 में राज्यसभा में पारित हुआ था जिस कारण यह अब तक जिन्दा है. इस बिल के पास हो जाने के बाद संसद में हर तीसरी सीट पर महिला सांसद होगी.
इस बिल पर कांग्रेस और बीजेपी एक साथ:
साल 2014 में सत्ता में आई बीजेपी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान इस बिल पर ध्यान नहीं दिया लेकिन दूसरे कार्यकाल की समाप्ति के तरफ बढ़ते समय सरकार इस बिल को पेश पास कराना चाहती है. इस बिल को लेकर विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी सरकार के साथ खड़ी है.
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने 2017 में प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर इस बिल को पास कराने में सरकार का साथ देने की बात कही थी. वहीं 2018 में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बिल पर समर्थन की बात दोहराई थी.
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