अजंता की गुफाएँ : भारतीय चित्रकला का विश्व विरासत स्थल
अजंता की गुफाएँ औरंगाबाद के उत्तर में 107 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। इन गुफाओं का नाम यहाँ से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ‘अजिंठा’गाँव के नाम पर रखा गया है । इन गुफाओं की खोज 1819 में ब्रिटिश सेना की मद्रास रेजीमेंट के सैन्य अधिकारी द्वारा शिकार खेलते समय की गई थी। ये गुफाएँ अपनी भित्ति-चित्रकला के लिए प्रसिद्ध हैं | अजंता की गुफाएँ घोड़े की नाल के आकार की चट्टान की सतह पर खोदी गई हैं, जो बाघोरा नाम की एक संकीर्ण नदी के ऊपर लगभग 76 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। अजंता की गुफाओं को वर्ष 1983 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया था | ये गुफाएं अलग अलग अवधियों (लगभग दूसरी सदी से लेकर छठी सदी ई. तक) में खोदी गईं।
अजंता की गुफाओं से संबन्धित तथ्य :
I. अजंता की गुफाओं की खोज ब्रिटिश सेना की मद्रास रेजीमेंट के एक सैन्य अधिकारी जॉन स्मिथ ने 1819 ई. में की थी|
II. अजंता गुफाओं की निर्माण दूसरी से छठी सदी के बीच किया गया था |
III. वाकाटक वंश के वसुगुप्त शाखा के शासक हरिषेण (475-500ई.) के मंत्री वराहमंत्री ने गुफा संख्या 16 को बौद्ध संघ को दान में दिया था।
IV. अजंता गुफाओं में 200 से 650 ई. के बीच की बौद्ध धर्म से संबन्धित कहानियों को उत्कीर्ण (Depict) किया गया है |
V. ऐसा माना जाता है कि इन गुफाओं का निर्माण दो अलग-अलग कालों अर्थात सातवाहन और वाकाटक काल के दौरान किया गया था |
VI. अजंता गुफाओं की खुदाई घोड़े की नाल के आकार जैसे चट्टानी धरातल पर की गयी थी |
VII. इन गुफाओं की ऊँचाई 76 मी. तक है |
VIII. अभी तक यहाँ 30 स्थलों की खुदाई की जा चुकी है और अभी भी खुदाई जारी है |
IX. गुफा संख्या 17 के चित्र को ‘चित्रशाला‘ कहा गया है। इसका निर्माण हरिषेण नामक एक सामन्त ने कराया था।
X. ये गुफाएँ जातक कथाओं के माध्यम से भगवान बुद्ध के जीवन की घटनाओं को दर्शाती हैं |
XI. अजंता में निर्मित कुल 29 गुफाओं में वर्तमान में केवल 6, अर्थात गुफा संख्या 1, 2, 9, 10, 16, 17 ही शेष हैं। इन 6 गुफाओं में गुफा संख्या 16 एवं 17 ही गुप्तकालीन हैं।
XII. अजंता गुफाओं का निर्माण इतनी जटिलता से किया किया गया है कि वे लकड़ी पर की गयी नक्काशी के समान लगती हैं |
XIII. सह्याद्रि की पहाडि़यों पर स्थित इन 30 गुफाओं में लगभग 5 प्रार्थना भवन और 25 बौद्ध मठ हैं।
XIV. अजंता की गुफाओं को दो भागों में बाँटा जा सकता है। एक भाग में बौद्ध धर्म के हीनयान और दूसरे भाग में महायान संप्रदाय की झलक देखने को मिलती है।
XV. अजन्ता में 'फ़्रेस्को' तथा 'टेम्पेरा' दोनों ही विधियों से चित्र बनाये गए हैं। चित्र बनाने से पूर्व दीवार को भली भांति रगड़कर साफ़ किया जाता था तथा फिर उसके ऊपर लेप चढ़ाया जाता था।
XVI. अजन्ता की गुफा संख्या 16 में उत्कीर्ण ‘मरणासन्न राजकुमारी‘ का चित्र प्रशंसनीय है।
XVII. चावल के मांड, गोंद और अन्य कुछ पत्तियों तथा वस्तुओं का सम्मिश्रमण कर आविष्कृत किए गए रंगों से ये चित्र बनाए गए। आज भी इनका रंग हल्का या ख़राब नहीं हुआ है और चमक यथावत बनी हुई है।
XVIII. अजंता की गुफाओं को 1983 ई. में युनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थलों की सूची में स्थान दिया गया |
XIX. वर्तमान में इन गुफाओं का रख-रखाव भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) द्वारा किया जा रहा है |
XX. अजंता की गुफाओं में की गयी चित्रकारी तिब्बत व श्रीलंका की चित्रकला से प्रभावित है |
Image source: asi.nic.in