अशोक द ग्रेट( 268- 232 B .C.)

अशोक बिंदुसार का बेटा था | अपने पिता के शासन के दौरान वह तक्षिला और उज्जैन का राज्यपाल था | अपने भाइयों को सफलतापूर्वक हराने के बाद अशोक 268 B . C . के लगभग सिंहासन पर बैठा | अशोक के राजगद्दी पर पद ग्रहण(273 B . C .) तथा उसके वास्तविक राज्याभिषेक( 268 B .C.) में चार साल का अन्तराल था | अतः, उपलब्ध साक्ष्यों से यह पता चलता है कि बिंदुसार की मृत्यु के बाद राजगद्दी के लिए संघर्ष हुआ था |

Jagran Josh
Aug 20, 2015, 10:30 IST

अशोक बिंदुसार का बेटा था | अपने पिता के शासन के दौरान वह तक्षिला और उज्जैन का राज्यपाल था | अपने भाइयों को सफलतापूर्वक हराने के बाद अशोक 268 B . C . के लगभग सिंहासन पर बैठा | अशोक के राजगद्दी पर पद ग्रहण(273 B . C .) तथा उसके वास्तविक राज्याभिषेक( 268 B .C.) में चार साल का अन्तराल था | अतः, उपलब्ध साक्ष्यों से यह पता चलता है कि बिंदुसार की मृत्यु के बाद राजगद्दी के लिए संघर्ष हुआ था |

अशोक का परिवार

अशोक की माँ का नाम सुभदरंगी था | उसकी पत्नी का नाम देवी या वेदिसा था , जोकि उज्जयिनी की राजकुमारी थी | उसकी दो अन्य पत्नियों के नाम असंधिमित्रा व करुवकी थे | महेंद्र , तिवारा ( सिर्फ एक जिसका अभिलेख में वर्णन किया गया है ), कुणाल और तलुका अशोक के मुख्य बेटों में थे | इसकी दो बेटियाँ संघमितरा व चारुमति थीं  |

कलिंग के साथ युद्ध

अशोक ने कलिंग पर अपने शासन काल के 9वें साल में जीत हासिल की | कलिंग वर्तमान ओड़ीशा था | अशोक ने कलिंग पर उसके युद्ध कौशल क्षेत्र की वजह से आक्रमण किया | कलिंग युद्ध एक भयावह घटना थी जिसका उल्लेख शिलाराजाज्ञा में किया गया है | लगभग, 1.5 लाख  लोग घायल हुए जबकि कई हजार लोग युद्ध के दौरान मारे गए |

इस भयावह घटना ने अशोक पर गहरा प्रभाव डाला और उसके हृदय को परिवर्तित कर दिया | उसने कभी युद्ध ना करने की शपथ ली | उसने अब दिग्विजय के ऊपर धर्मविजय को वरीयता दी |

इतिहास में अशोक का स्थान : अशोक ने लोगों को जियो व जीने दो सिखाया | उसने जानवरों के प्रति सहानुभूति पर बल दिया | उनकी शिक्षा ने पारिवारिक संस्था तथा वर्तमान सामाजिक वर्ग पर बल दिया |अशोक देश में राजनीतिक एकीकरण लाये | उसने इन्हें एक धर्म, एक भाषा, तथा व्यवहारिक दृष्टि से एक लिपि जिसे ब्रहमी कहा गया में सीमित किया जिसका इस्तेमाल अशोक के अभिलेख में किया गया है | अशोक ने अपने उत्तराधिकारियों को  विजय व आक्रमण की नीति को त्यागने के लिए कहा |

अशोक व बौद्ध धर्म

अशोक ने बौद्ध धर्म  को अपने शासन काल के 9वें साल में एक भिक्षु लड़का जिसका नाम निगरोध से प्रेरित होकर समाविष्ट किया | अशोक ने बौद्ध धर्म को उपगुप्ता नामक बौद्ध भिक्षु से प्रभावित होकर समाविष्ट किया | अशोका ने अपने भबरू राजाज्ञा में कहा है कि उसे बौद्ध , संघ तथा धम्मा पर पूर्ण विश्वास है |

उसने अपने संदेशों को जन जन तक पहुंचाने के लिए उन्हें शिला राजाज्ञा तथा स्तम्भ राजज्ञों पर उत्कीर्ण करवाया |

अशोक ने शांति तथा सत्ता बनाए रखने के लिए एक बड़ी और शक्तिशाली सेना बनाई | अशोक ने अपने दोस्ताना संबंध एशिया ,यूरोप के अन्य राज्यों तथा आर्थिक संरक्षित बौद्ध धर्म मंडलों से बढ़ाए | चोल तथा पाण्ड्य राज्यों और ग्रीक राजाओं द्वारा शासित पाँच राज्यों में अशोक द्वारा धर्म प्रचारक  मण्डल भेजे गए |उसने केय्लोन और सुवर्णभूमि ( बर्मा ) और दक्षिण पूर्व एशिया के कई भागों में भी धर्म प्रचारक मण्डल भेजे |

अशोक की मृत्यु

अशोक की  मृत्यु 40 साल के शासन के बाद 232 B . C . में हुई | यह माना गया है कि इसकी मृत्यु के बाद इसका साम्राज्य पश्चिमी तथा पूर्वी हिस्से में  विभाजित हो गया | पूर्वी हिस्से पर अशोक के पोते दसरथ ने शासन किया जबकि पश्चिमी हिस्से को संप्रति ने संभाला | उसके साम्राज्य का विस्तार 265 B.C. में काफी बड़ा था | नक्शा देखें :

निष्कर्ष : अशोका की देखरेख में मौर्यन साम्राज्य अपने चर्मबिंदु पर पहुँचा | पहली बार, हिंदुस्तान के तमाम महाद्वीप, दक्षिण का अधिकतम हिस्सा, राजसी नियंत्रण में था | इस चीज़ ने हिंदुस्तान के राजनीतिक एकीकरण को राष्ट्र के तौर पर मदद की | अशोक ने बौद्ध धर्म को विश्व धर्म बनाने में सहायक का काम किया |

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