माउंटबेटन योजना और भारत के विभाजन

लॉर्ड माउंटबेटन, भारत के विभाजन और सत्ता के त्वरित हस्तांतरण के लिए भारत आये। प्रारम्भ में यह सत्ता हस्तांतरण विभाजित भारत की भारतीय सरकारों को डोमिनियन के दर्जे के रूप में दी जानी थीं। 3 जून 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपनी योजना प्रस्तुत की जिसमे भारत की राजनीतिक समस्या को हल करने के विभिन्न चरणों की रुपरेखा प्रस्तुत की गयी थी। प्रारम्भ में यह सत्ता हस्तांतरण विभाजित भारत की भारतीय सरकारों को डोमिनियन के दर्जे के रूप में दी जानी थीं।

लॉर्ड माउंटबेटन, भारत के विभाजन और सत्ता के त्वरित हस्तांतरण के लिए भारत आये। प्रारम्भ में यह सत्ता हस्तांतरण विभाजित भारत की भारतीय सरकारों को डोमिनियन के दर्जे के रूप में दी जानी थीं। 3 जून 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपनी योजना प्रस्तुत की जिसमे भारत की राजनीतिक समस्या को हल करने के विभिन्न चरणों की रुपरेखा प्रस्तुत की गयी थी। प्रारम्भ में यह सत्ता हस्तांतरण विभाजित भारत की भारतीय सरकारों को डोमिनियन के दर्जे के रूप में दी जानी थीं।

माउंटबेटन योजना

• भारत को भारत और पाकिस्तान में विभाजित किया जायेगा

• बंगाल और पंजाब का विभाजन किया जायेगा और उत्तर पूर्वी सीमा प्रान्त और असम के सिलहट जिले में जनमत संग्रह कराया जायेगा।

• पाकिस्तान के लिए संविधान निर्माण हेतु एक पृथक संविधान सभा का गठन किया जायेगा।

• रियासतों को यह छूट होगी कि वे या तो पाकिस्तान या भारत में सम्मिलित हो जाये या फिर खुद को स्वतंत्र घोषित कर दें।

• भारत और पाकिस्तान को सत्ता हस्तांतरण के लिए 15 अगस्त 1947 का दिन नियत किया गया।

ब्रिटिश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 को जुलाई 1947 में पारित कर दिया। इसमें ही वे प्रमुख प्रावधान शामिल थे जिन्हें माउंटबेटन योजना द्वारा आगे बढ़ाया गया था|

विभाजन और स्वतंत्रता

• सभी राजनीतिक दलों ने माउंटबेटन योजना को स्वीकार कर लिया|

• सर रेडक्लिफ की अध्यक्षता में दो आयोगों का ब्रिटिश सरकार ने गठन किया जिनका कार्य विभाजन की देख-रेख और नए गठित होने वाले राष्ट्रों की अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं को निर्धारित करना था|

• स्वतंत्रता के समय भारत में 562 छोटी और बड़ी रियासतें थीं

• भारत के प्रथम गृहमंत्री बल्लभभाई पटेल ने इस सन्दर्भ में कठोर नीति का पालन किया| 15 अगस्त 1947 तक जम्मू कश्मीर, जूनागढ़ व हैदराबाद जैसे कुछ अपवादों को छोड़कर सभी रियासतों ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए थे| गोवा पर पुर्तगालियों और पुदुचेरी पर फ्रांसीसियों का अधिकार था|

निष्कर्ष

माउंटबेटन योजना, केवल भारत के विभाजन को कार्यरूप देने के लिए ही नहीं थी बल्कि पाकिस्तान की मांग द्वारा प्रभावित क्षेत्रों के लिए एक तंत्र की स्थापना की| यह तय किया कि पाकिस्तान में शामिल होने वाले क्षेत्रों का निर्णय विधान सभा के प्रतिनिधियों द्वारा किया जायेगा या फिर जनमत-संग्रह द्वारा साथ ही कैबिनेट मिशन के अनुरूप एक ही संविधान सभा होगी या फिर नए गठित राष्ट्र के लिए अलग से संविधान सभा बनायी जाएगी| अतः हम कह सकते है कि माउंटबेटन योजना का मुख्य उद्देश्य भारत का विभाजन और सत्ता का  त्वरित हस्तांतरण था। प्रारम्भ में यह सत्ता हस्तांतरण विभाजित भारत की भारतीय सरकारों को डोमिनियन के दर्जे के रूप में दी जानी थीं।

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