वाणिज्यिक बैंकों का संचालन: एक आलोचनात्मक समीक्षा
वाणिज्यिक बैंक देश की वित्तीय संस्थान प्रणाली का एक प्रमुख हिस्सा हैं । वाणिज्यिक बैंक वे लाभ कमाने वाले संस्थान हैं जो आम जनता से धन स्वीकार करते हैं और घरेलू, उद्यमियों, व्यवसायियों आदि जैसे व्यक्तियों को पैसे(ऋण) देते हैं | इन बैंकों का मुख्य उद्देश्य ब्याज, कमीशन आदि के रूप में लाभ कमाना है | इन सभी वाणिज्यिक बैंकों के कार्य भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा नियंत्रित किये जाते है, जोकि एक केंद्रीय बैंक है तथा भारत में सर्वोच्च वित्तीय नियोग है |
भारत में वाणिज्यिक बैंको का ढांचा:
एक वाणिज्यिक बैंक की आय का मुख्य स्रोत उधार लेने और उधार देने के बीच की व्याज दरों का अंतर है जिसे वे ऋण लेने वाले उधारकर्ताओं से वसूलते हैं तथा वह दर जो जमाकर्ता को ब्याज के रूप में मिलती है |
भारत में कुछ वाणिज्यिक बैंक हैं - आईसीआईसीआई बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, एक्सिस बैंक और एचडीएफसी बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया।
वर्तमान में, यहाँ भारत में भारतीय स्टेट बैंक ( इसके अन्य 5 सहभागी) और 20 राष्ट्रीकृत बैंक हैं | इसके अलावा, यहाँ दो बैंकों ओर हैं जिन्हें RBI द्वारा “अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों” के रूप में वृगिकृत किया गया है | आईडीबीआई (IDBI) और भारतीय महिला बैंक इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।
वाणिज्यिक बैंकों का वर्गीकरण
a. अनुसूचित बैंक: वे बैंक जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की दूसरी अनुसूची में शामिल किया गया है | इन्हें निम्नलिखित रूप में वर्गीकृत किया गया है :
b. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक: ये वे बैंक हैं जिनकी अधिकाँश हिस्सेदारी सरकार के पास रहती है | उदाहरण के लिए; एसबीआई, पीएनबी, सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया आदि
c. निजी क्षेत्र के बैंक: ये वे बैंक हैं जिनकी अधिकाँश हिस्सेदारी निजी वैयक्तिक के पास रहती है | उदाहरण के लिए ICICI बैंक, HDFC बैंक, AXIS बैंक आदि |
d. विदेशी बैंक: ये वे बैंक हैं जिनके प्रधान कार्यालय देश के बाहर स्थित होते हैं | उदाहरण के लिए; सिटी बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, बैंक ऑफ़ टोक्यो लिमिटेड
e. गैर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक: ये वे बैंक हैं जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में नहीं जोड़ा गया है |
वाणिज्यिक बैंकों के कार्य-
वाणिज्यिक बैंकों के प्राथमिक कार्य:
जमा स्वीकृति:
एक छोटी अवधि के ऋण व्यापारी होने के नाते, वाणिज्यिक बैंक जनता की जमाराशि को निम्न बचत के रूप में स्वीकार करते हैं :
I. निश्चित अवधि जमा(FD)
II. चालु जमा खाता (Current A/C)
III. आवर्ती जमा खाता (Recurring Deposit)
IV. बचत जमा खाता (Saving Account)
V. कर बचत जमा
VI. प्रवासी भारतीयों के लिए जमा खाता
पैसा उधार देना: वाणिज्यिक बैंकों का एक दूसरा प्रमुख कार्य ऋण और अग्रिम राशि देना है और इस तरह उस पर ब्याज कमाना है। यह कार्य बैंकों की आय का मुख्य स्रोत है।
ओवरड्राफ्ट सुविधा: यह सुविधा वर्तमान खाता धारक को उसके खाते में जमा राशि से अधिक राशि निकालने की अनुमति देता है |
ऋण और अग्रिम नकदी: एक प्रकार का सुरक्षित व् असुरक्षित ऋण किसी प्रकार की जमानत के बदले | विनिमय पत्र की रियायत : यदि किसी व्यक्ति को तुरंत पैसा चाहिए, वह सम्बंधित वाणिज्यिक बैंक के समक्ष विनिमय पत्र प्रस्तुत कर सकता है तथा उस पर रियायत प्राप्त कर सकता है |
नकद ऋण:
यह दी गई सुरक्षा पर धन की एक निश्चित राशि को निकालने की सुविधा प्रदान करता है |
वाणिज्यिक बैंकों के अतिरिक्त कार्य:
एजेंसी के कार्य: बैंक एक एजेंट के रूप में अपने ग्राहकों की ओर से भुगतान करता है और इस तरह के एजेंसी कार्यों के लिए शुल्क लेता है जैसे :
I. करों, बिलों का भुगतान
II. बिल व् चेक के माध्यम से धन संचय करना आदि |
III. निधि अंतरण
IV. शेयरों और डिबेंचरों की बिक्री-खरीद
V. लाभांश या ब्याज का संग्रह / भुगतान
VI. संपत्ति के ट्रस्टी और प्रबंधक के रूप में कार्य
VII. विदेशी मुद्रा लेनदेन
VIII. सामान्य उपयोगिता सेवाएं: लॉकर सुविधा
क्रेडिट निर्माण: यह वाणिज्यिक बैंकों के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। एक बैंक अपने प्राथमिक जमा के आधार पर क्रेडिट बनाता है। यह आगे आम उधारकर्ताओं / कंपनियों / निवेशकों को धन उधार देता है | यह उधार दिया गया धन उन लोगों द्वारा जमा कराया जाता है जिनके पास अतिरिक्त धन होता है और वे अपने धन पर तय प्रतिफल अर्जित करना चाहते हैं | वाणिज्यिक बैंक पैसे देने करने वाले जमाकर्ताओं को दिए गए ब्याज दर की तुलना में ग्राहकों (उधारकर्ताओं) से अधिक ब्याज दर वसूलते हैं |
भारत में वाणिज्यिक बैंकों की सूची
SBI व सहभागी बैंक:
I. स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर
II. स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद
III. स्टेट बैंक ऑफ मैसूर
IV. स्टेट बैंक ऑफ पटियाला
V. स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर
राष्ट्रीयकृत बैंक:
I. इलाहाबाद बैंक
II. आंध्रा बैंक
III. बैंक ऑफ बड़ौदा
IV. बैंक ऑफ इंडिया
V. बैंक ऑफ महाराष्ट्र
VI. केनरा बैंक
VII. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
VIII. कॉर्पोरेशन बैंक
IX. देना बैंक
X. इंडियन बैंक
XI. इंडियन ओवरसीज बैंक
XII. ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स
XIII. पंजाब एंड सिंध बैंक
XIV. पंजाब नेशनल बैंक
XV. सिंडिकेट बैंक
XVI. यूको बैंक
XVII. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
XVIII. यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया
XIX. विजया बैंक
विदेशी बैंक:
I. एबीएन एमरो बैंक
II. अबू धाबी कमर्शियल बैंक
III. अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कॉरपोरेशन
IV. एबी बैंक
V. बैंक इंटरनेशनल इंडोनेशिया
VI. बैंक ऑफ अमरीका
VII. बैंक ऑफ़ बहरीन और कुवैत
VIII. बैंक ऑफ़ सीलोन
IX. बार्कलेस बैंक
X. बीएनपी पारिबास
XI. चीन ट्रस्ट वाणिज्यिक बैंक
XII. सिटी बैंक
XIII. डीबीएस बैंक
XIV. ड्यूश बैंक
XV. हांगकांग व शंघाई बैंकिंग कॉरपोरेशन
XVI. जेपी मॉर्गन चेस बैंक
XVII. स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक
XVIII. यूबीएस एजी
सार्वजनि के क्षेत्र के अन्य बैंक:
I. आईडीबीआई बैंक
II. भारतीय महिला बैंक
यहाँ यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है आने वाले वर्षों में वाणिज्यिक बैंकों के नेटवर्क आर्थिक विकास में एक प्रमुख भूमिका निभायेंगे, विशेष रूप से पूरे देश में वित्तीय समावेशन की योजना की शुरुआत के बाद |